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मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ?
नमस्कार दोस्तों कैसे है आप लोग आज हम फिर से आपके लिए नयी post लेकर आए हैं जिसका नाम है ” मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? ” उम्मीद करते हैं की आपको हमारी post पसंद आएगी |
भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार ( Fundamental Rights Of Indian Citizens )
मौलिक अधिकार देश के प्रत्येक नागरिक के अधिकार हैं जो किसी व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक हैं। भारतीय संविधान, जो विश्व का सबसे बड़ा संविधान है, में भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों को इसके भाग 3 के अनुच्छेद 12 से 35 तक में दिया गया है। संविधान में दर्शाए गए छह मौलिक अधिकारों को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया था। प्रारंभ में, 7 मौलिक अधिकार थे, लेकिन बाद में 44 वें संवैधानिक संशोधन 1978 में “संपत्ति के अधिकार” को हटा दिया गया। प्रत्येक नागरिक को अपने मौलिक अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए, जो स्पष्ट रूप से नीचे दिए गए हैं।
समानता का अधिकार (अनुच्छेद – 14 से 18तक )
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 2 संवैधानिक अधिकार 5](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/संवैधानिक-अधिकार-5-1024x576.png)
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कानून के समक्ष समानता और कानूनों की समान रूप से संरक्षण (अनुच्छेद 14)
धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध (अनुच्छेद 15)
सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता (अनुच्छेद 16)
अस्पृश्यता का उन्मूलन और इस प्रथा का निषेध (अनुच्छेद 17)
सैन्य और शैक्षणिक क्षेत्रों को छोड़कर पदवी की समाप्ति (अनुच्छेद 18)
भारत के संविधान द्वारा दी गई समानता के अधिकार का अपवाद है कि किसी राज्य का राज्यपाल या राष्ट्रपति किसी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं होता है।
2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद- 19 से 22तक )
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 3 स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/स्वतंत्रता-अधिकार-1024x576.png)
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 3 स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/स्वतंत्रता-अधिकार-1024x576.png)
स्वतंत्रता संबंधित छह अधिकारों का संरक्षण (अनुच्छेद 19)
(i) भाषण और अभिव्यक्ति का अधिकार
(ii) हथियारों के बिना और शांति से सभा करने का अधिकार,
(iii) संगठन या संघ बनाने का अधिकार
(iv) पूरे भारत में स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार,
(v) देश के किसी भी हिस्से में निवास का अधिकार,
(vi) कोई भी व्यापार या व्यवसाय करने का अधिकार या संचालित करने का अधिकार,
अपराधों के सजा के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20)
जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता (अनुच्छेद 21): कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं रहेगा।
प्राथमिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21A): यह 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा का अधिकार देता है।
कुछ मामलों के गिरफ्तारी और कस्टडी के खिलाफ संरक्षण (अनुच्छेद 22): गिरफ्तारी के आधार के बारे में बिना बताए, गिरफ्तार किए गए किसी व्यक्ति को हिरासत में नहीं रखा जा सकता।
3. शोषण के खिलाफ अधिकार (अनुच्छेद- 23 & 24)
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 4 शोषण के खिलाफ मौलिक अधिकार](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/संवैधानिक-अधिकार-1024x576.jpg)
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 4 शोषण के खिलाफ मौलिक अधिकार](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/संवैधानिक-अधिकार-1024x576.jpg)
मानव के अवैध व्यापार और जबरन मजदूरी कराने का निषेध (अनुच्छेद 23) देह व्यापार और भीख मंगवाने और इस प्रकार के अन्य जबरन काम कराने का निषेध हैं।
कारखानों में बाल मजदुर पर प्रतिबंध (अनुच्छेद 24) 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे को किसी कारखाने या खदान में काम करने के लिए या किसी अन्य खतरनाक रोजगार में संलग्न नहीं किया जा सकता है।
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4. धर्म स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद- 25 से 28तक )
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 5 धर्म स्वतंत्रता का अधिकार](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/धर्म-का-अधिकार-1024x576.png)
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 5 धर्म स्वतंत्रता का अधिकार](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/धर्म-का-अधिकार-1024x576.png)
मान्यता और पेशा चयन, धर्म चयन और इसके प्रचार की स्वतंत्रता(अनुच्छेद 25)
धार्मिक कर्म के प्रबंधन की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 26)
किसी भी धर्म के प्रचार के लिए करों के भुगतान से स्वतंत्रता (अनुच्छेद 27)-राज्य किसी भी नागरिक को किसी विशेष धर्म या धार्मिक संस्थानों के प्रचार या रखरखाव के लिए कोई कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
शिक्षण संस्थानों के धार्मिक शिक्षा या पूजा में भाग लेने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 28)
5. सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार (अनुच्छेद 29 और 30)
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 6 सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/सांस्कृतिक-एवं-शैक्षणिक-अधिकार-1024x576.png)
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 6 सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/सांस्कृतिक-एवं-शैक्षणिक-अधिकार-1024x576.png)
अल्पसंख्यकों की भाषा, लिपि और संस्कृति का संरक्षण (अनुच्छेद 29) जहां एक धार्मिक समुदाय अल्पमत में है, संविधान उसे अपनी संस्कृति और धार्मिक हितों को संरक्षित करने में सक्षम बनाता है।
शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के लिए अल्पसंख्यकों का अधिकार (अनुच्छेद 30) – ऐसे समुदाय को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार है और राज्य अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा बनाए गए ऐसे शैक्षणिक संस्थान के साथ भेदभाव नहीं करेगा।
6. संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32)
संवैधानिक उपचारों के अधिकार को डॉ. बीआर अंबेडकर ने “संविधान की आत्मा” कहा है।
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 7 6. संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32)](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/6.-संवैधानिक-उपचार-का-अधिकार-अनुच्छेद-32-1024x576.png)
![मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ? 7 6. संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32)](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/6.-संवैधानिक-उपचार-का-अधिकार-अनुच्छेद-32-1024x576.png)
मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए, न्यायपालिका को अधिकार जारी करने की शक्ति से लैस किया गया है। सुप्रीम कोर्ट भारत के क्षेत्र के भीतर किसी भी व्यक्ति या सरकार के खिलाफ मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए एक आदेश या निम्नलिखित रिट जारी कर सकता है:
(i) बन्दी प्रत्यक्षीकरण(Habeas Corpus): यह आधिकारिक या एक निजी व्यक्ति को जारी किया जाता है जिसने किसी अन्य व्यक्ति को अपनी हिरासत में रखा है। बाद में अदालत के सामने पेश किया जाता है ताकि अदालत को यह पता चल सके कि उसे किस आधार पर कैद किया गया है।
(ii) परमादेश(Mandamus): इसका शाब्दिक अर्थ है आदेश। यह व्यक्ति को कुछ सार्वजनिक या कानूनी कर्तव्य करने का आदेश देता है जिसे व्यक्ति ने करने से मना कर दिया है।
(iii) निषेध(Prohibition): यह रिट उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र की सीमा से बाहर नहीं जाने के लिए जारी की जाती है। यह कार्यवाही की पेंडेंसी के दौरान जारी किया जाता है।
(iv) सर्टिओररी: यह रिट कोर्ट या ट्रिब्यूनल के आदेश या फैसले को रद्द करने के लिए अदालतों या ट्रिब्यूनलों के खिलाफ भी जारी की जाती है। आदेश होने के बाद ही इसे जारी किया जा सकता है।
(v) क्वो वारंटो(Quo warranty): यह एक कार्यवाही है जहां अदालत दावे की वैधता की जांच करती है। इसमें, एक उच्च न्यायालय एक सार्वजनिक अधिकारी को हटा सकता है यदि उसने अवैध रूप से पद प्राप्त कर लिया है।
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मौलिक अधिकार क्या है ? हमारे पास कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं ?
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आनुवांशिक अभियांत्रिकी या Genetic engineering in Hindi 2021
यहाँ आप आनुवांशिक अभियांत्रिकी या जीनी इंजीनियरी क्या है और आनुवांशिक अभियांत्रिकी के विभिन्न उपयोग के बारे में जानेंगे। आनुवांशिक अभियांत्रिकी या Genetic engineering in Hindi 2021 यह आपके लिए अत्यंत सहयोगी होगी |
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आनुवांशिक अभियांत्रिकी , जीनी इंजीनियरी या जीन अभियन्त्रिकी को जीन क्लोनिंग gene cloning भी कहतें हैं | जीवों में संलक्षणी गुणों में परिवर्तन हेतु आनुवंशिक पदार्थ को जोड़ना , हटाना या ठीक करना आनुवांशिक इंजीनियरी का उद्देश्य है | क्योंकी DNA अणुओं में जोड़-तोड़ जीनी अभियांत्रिकी का आधार होता है, इसे पुनर्संयोजी DNA प्रद्योगिकी भी कहतें है |
जीन अभियांत्रिकी में आनुवंशिक पदार्थ का हेर-फेर पूर्व निर्धारित लक्ष्य की ओर निर्देशित किया जाता है अर्थात जीवों के आनुवांशिक पदार्थ (DNA) में जोड़-तोड़ करके उनके दोषपूर्ण आनुवंशिक लक्षणों के जींस को हटाकर, उनके स्थान पर DNA में उत्कृष्ट लक्षणों के जींस को समाविष्ट करना ही जीनी अभियन्त्रिकी है |
इस तकनीकी में दो DNA अणुओं को सर्वप्रथम कोशिका केन्द्रक से पृथक किया जाता है और एक या अधिक प्रकार के विशेष एंजाइम, रेस्ट्रिक्शन एंजाइम के द्वारा उनके टुकड़े किये जातें हैं |
इसके बाद इन टुकड़ों को इच्छानुसार जोड़कर कोशिका में पुनरावृत्ती व जनन के लिए पुनः स्थापित कर दिया जाता है | संक्षेप में जीन क्लोनिंग या आनुवंशिक इंजीनियरिंग विदेशी DNA के एक विशिष्ट टुकड़े को कोशिका में स्थापित करना होता है |
आर्बर ने बैक्टीरिया कोशिकाओं में रेस्ट्रिक्शन एंजाइम restriction enzyme नामक ऐसे पदार्थ की उपस्थिती की जानकारी प्राप्त की जो किसी भी बाह्य DNA को विशिष्ट टुकड़ों में तोड़ने के लिए एक तीव्र रसायन का कार्य करता है |
यह न्यूक्लिक अम्ल की फास्फेट-शर्करा की बंधता को तोड़ता है | किसी बैक्टीरिया पर जब कोई विषाणु आक्रमण करता है तब यह प्रक्रिया उसमे रक्षास्थल का कार्य करती है |
स्मिथ ने ग्राम ऋणात्मक बैक्टीरिया हीमोफिलस इन्फ्लुएंजी से रेस्ट्रिक्शन एंजाइम विलगित किया और सन 1971 में नैथंस ने बन्दर के ट्यूमर विषाणु ( SV 40 ) के DNA को तोड़ने के लिए एक एंजाइम का उपयोग किया |
सन 1978 तक लगभग 100 से भी अधिक विभिन्न प्रकार के रेस्ट्रिक्शन एंजाइम या निर्बन्धन एंडोन्युक्लिएज विलगित करके लक्षणित किये जा चके थे |
इस प्रकार इसकी खोज सन 1970 में आर्बर, नैथंस एवं स्मिथ ने की | इसके लिए उन्हें वर्ष 1978 ई. में नोबेल पुरस्कार भी मिला | इसी से जीन अभियांत्रिकी की नींव पड़ी |
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![आनुवांशिक अभियांत्रिकी या Genetic engineering in Hindi 2021 10 आनुवांशिक-अभियांत्रिकी-या-Genetic-engineering-in-Hindi-2021](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/आनुवांशिक-अभियांत्रिकी-या-Genetic-engineering-in-Hindi-2021.jpg)
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आनुवांशिक अभियांत्रिकी या जीनी इंजीनियरी के विभिन्न उपयोग
uses of genetics engineering
आनुवांशिक अभियांत्रिकी या Genetic engineering in Hindi 2021 का प्रयोग उत्पादनों, अनेक मानव जींस की खोज, रोगों के कारण व उनके इलाज की सहायता में हो रहा है | हम जींस के नियंत्रण में संश्लेषित होने वाले अनेक लाभदायक पदार्थों का औद्योगिक स्तर पर उत्पादन कर सकते हैं | इस प्रद्योगिकी के महत्वपूर्ण प्रयोज्य इस प्रकार हैं-
जींस का निर्माण
किसी विशेष कोशिका से m-RNA अणु को अलग करके प्रतिवर्ती ट्रांसक्रिपटेज ( reverse transcriptase ) एंजाइम की सहायता से इस पर DNA श्रृंखला का संश्लेषण कराया जा सकता है |
जीन का विश्लेषण तथा संग्रह
DNA अणुओं को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर उनका संग्रह करके किसी भी जीव के सम्पूर्ण जीनोम का विश्लेषण किया जा सकता है | इसे “जीनी संग्रह” के रूप में रिकॉर्ड किया जा सकता है | संग्रह की इस विधि को “शाटगन विधि” कहतें हैं |
जीन्स का प्रतिस्थापन
जीनी चिकित्सा से अवांछित जीन्स को हटाया जा सकता है और इसके स्थान पर नये वांछित जीन्स को प्रवेश कराया जा सकता है | इस प्रकार व्यक्ति लम्बाई, बुद्धि, ताकत आदि को नियंत्रित किया जा सकता है |
रोगजनक विषाणुओं का रूपांतरण
रोगजनक विषाणुओं के आनुवांशिक पदार्थ में परिवर्तन करके कैंसर, एड्स आदि रोगों के विषाणुओं को रोगजनक के बजाय इन्ही रोगों के उपचार में प्रयोग किया जा सकता है |
विषाणु प्रतिरोधी मुर्गियां
आनुवांशिक अभियांत्रिकी या जीनी इंजीनियरी द्वारा मुर्गियों की ऐसी प्रजातियों का विकास किया गया है जो विषाणुओं के संक्रमण का प्रतिरोध करती हैं |
व्यक्तिगत जीन्स को अलग करना
कुछ जींस को अलग करने की तकनीक विकसित की गयी, जो निम्नलिखित समूहों में वर्गीकृत की जा सकती है-
- विशेष प्रकार की प्रोटीन बनाने वाली जीन ,
- r-RNA की जींस तथा
- नियंत्रण करने वाली जींस ; जैसे- प्रोमोटर जीन तथा रेगुलेटरी जीन | चूजों में ओवोएल्ब्युमीन की जीन, चूहों में ग्लोबिन तथा इम्यूनोग्लोबिन जींस, अनाजों व लेग्युम्स में प्रोटीन संग्रह की जीन्स आदि को पृथक किया जा चुका है |
समुद्री तेल फैलाव का सफाया
इसमें पहले एक प्लाज्मिड में कई जीन्स को जोड़कर एक पुनर्संयोजित DNA बनाया जाता है और इसका पुंजकीकरण करके एक समुद्री जीवाणु में प्रवेश कराया जाता है | यह जीवाणु समुद्री सतह पर फैले तेल का सफाया कर देता है | इसे उच्चझक्की जीवाणु कहतें हैं |
पौधों में नाइट्रोजन अनुबंधन
पुनर्संयोजी DNA प्रद्योगिकी के द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्षमता रखने वाले जीवाणुओं का संवर्धन करके इन्हें फलीरहित पादपों में प्रविष्ट कराया जाता है |
आनुवांशिक रोगों का पता लगाना
अनेक रोगों का गर्भ में ही एम्नीओसेन्टसिस तकनीक द्वारा पता लगाया जाता था, किन्तु DNA पुनर्संयोजन तकनीक द्वारा पुन्जकीकृत DNA क्रम के उपलब्ध होने से गर्भस्थ शिशु के पुरे जीनोटाइप का निरिक्षण किया जा सकता है |
इस विधि के द्वारा बिंदु उत्परिवर्तन, विलोपन आदि सभी उत्परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है | इस विधि का प्रयोग गर्भस्थ शिशु में थैलेसीमिया, फिनाइलकीटोन्यूरिया आदि रोगों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है |
औद्योगिक रसायन
पेट्रोल, ईंधन, कीटनाशी, आसंजक, प्रणोदक, विलायक, रंजक, विस्फोटक आदि कई प्रकार के पदार्थ हमें खनिज तेल पदार्थों से प्राप्त होतें हैं | इन्हें हम जीनी अभ्यांत्रिकी द्वारा रूपांतरित जीवाणुओं की सहायता से पादपों के किण्वन से प्राप्त कर सकते हैं |
इस तकनीक के द्वारा इन्सुलिन तथा मानव वृद्धि हार्मोन का उत्पादन किया जा रहा है |
इस तकनीक द्वारा मानव इंटरफेरांन (ल्युकोसाइटिक इंटरफेरॉन, फाइब्रोब्लास्टिक इंटरफेरान, प्रतिरक्षक इंटरफेरान) का उत्पादन किया जा रहा है |
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DNA का द्विगुणन , डीएनए का द्विगुणन का महत्व AND WORK OF DNA
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![आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड 11 GENETICS CODE](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/GENETICS-CODE-BY-QUIZSANSAR.jpg)
![आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड 11 GENETICS CODE](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/GENETICS-CODE-BY-QUIZSANSAR.jpg)
आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड
आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड , इस post में आपको अनेक प्रकार की सहायक जानकारी प्राप्त होगी | प्रायः अनेक परीक्षाओं में आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड के विषय में पूछा जाता है | इसलिए यह post अत्यंत सहायक सिद्ध होने वाली है |
![आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड 12 GENETICS CODE , आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/GENETICS-CODE-BY-QUIZSANSAR.jpg)
![आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड 12 GENETICS CODE , आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/GENETICS-CODE-BY-QUIZSANSAR.jpg)
DNA आनुवंशिक सूचनाओं या संदेशों के टेप की भाँती है जिसमे नाइट्रोजन क्षारकों के अनुक्रमांक के रूप में आनुवांशिक सन्देश होते हैं | प्रोटीन में प्रायः विभिन्न प्रकार के 20 अमीनो अम्ल होते हैं परन्तु न्यूक्लिक अम्ल में केवल चार ही क्षारक होतें हैं | इसे इस प्रकार भी कह सकतें हैं कि प्रोटीन भाषा की वर्णमाला में 20 अमीनो अम्ल रुपी अक्षर होतें हैं | इसी प्रकार न्यूक्लिकअम्लों की भाषा की वर्णमाला में चार क्षारक रुपी अक्षर होते है क्योंकि आनुवांशिक सूचना m-RNA से होकर प्रोटीन तक पहुँचती है, अतः RNA की भाषा का प्रोटीन की भाषा का अनुवाद करने के लिए एक शब्दकोष को तैयार करना अनुवांशिक कूट की समस्या थी | एक चार अक्षरों की भाषा व दूसरी 20 अक्षरों की भाषा होने के कारण यह संभव नहीं है की RNA भाषा का एक अक्षर अर्थात एक क्षारक प्रोटीन भाषा का एक अक्षर अथवा एक अमीनो अम्ल के समतुल्य हो सके |
इस प्रकार आनुवंशिक संकेत पद्धति में कुल 4*4*4=64 कोडॉन होते हैं |
इस सम्बन्ध में अनेक सिद्धांत प्रस्तुत किये गये परन्तु क्रिक द्वारा पस्तुत सिद्धांत ही सर्वाधिक मान्य है | इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक अमीनो अम्ल के लिए तीन नाइट्रोजन क्षारकों का एक अनुक्रम त्रिक कोड होता है, अतः आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड DNA अणुओं में स्थित नाइट्रोजन क्षारकों का वह अनुक्रम है जिसमे प्रोटीन अणुओं के संश्लेषण के लिए सन्देश निहित रहते है |
कोडॉन
न्युक्लियोटाईड्स के उस समूह को जसमे किसी एक अमीनो अम्ल के लिए सन्देश या कोड हों, कोडॉन कहतें है, जैसे- AUG समारंभ कोडॉन है |
एंटीकोडॉन
t-RNA में उपस्थित उस तीन क्षारक समूह को जो m-RNA में उपस्थित कोडॉन का पूरक हो, एंटीकोडॉन कहतें हैं |
त्रिक कोड
गैमो ने तीन अक्षरीय कोड की संभावना प्रकट की | DNA व RNA में कुल चार न्युक्लियोटाइड्स होतें हैं और लगभग 20 अमीनो अम्लों के विन्यास का कोड इनके विन्यास पर आधारित होता है | अगर यह मान लिया जाए की प्रत्येक कोड केवल एक न्यूक्लिओटाइड का बना होता है तो इससे कुल चार कोड बनेगे जो केवल 4 अमीनो अम्लों के विन्यास को नियंत्रित क्र सकतें हैं | अगर प्रत्येक कोड को दो न्युक्लियोटाड्स का बना हुआ माना जाए तो (4*4) केवल 16 कोड्स बनेगे | ये भी 20 अमीनो अम्लों के लिए पर्याप्त नहीं हैं | तीन न्यूक्लियोटाइड्स के बने कोड से (4*4*4=64) 64 कोड शब्द बनते हैं | ये बीस अमीनो अम्लो के लिए आवश्यकता से अधिक हो जाते हैं, अतः गैमो की तीन अक्षरीय कोड की संभावना सही है |
आनुवंशिक कूट या जेनेटिक कोड
अगर आपको ये post पसंद आई हों या आप कोई सुझाव देना चाहते हों तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं |
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![पौधों में कायिक जनन 13 kayik janan](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/कायिक-जनन-1.jpg)
![पौधों में कायिक जनन 13 kayik janan](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/कायिक-जनन-1.jpg)
पौधों में कायिक जनन
![पौधों में कायिक जनन 14 kayik janan](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/कायिक-जनन-1.jpg)
![पौधों में कायिक जनन 14 kayik janan](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/कायिक-जनन-1.jpg)
पौधों में कायिक जनन ( KAYIK JANAN ) प्रजनन की अथवा नए पौधों के पुनर्निर्माण की क्रिया है | इस क्रिया में नया पौधा मात्री पौधे के किसी भी कायिक भाग से बनाता है | इसके सभी लक्षण व गुण मात्री पौधे के सामान ही होतें है | कायिक जनन को कायिक प्रवर्धन के नाम से भी जाना जाता है |
मात्री पौधे के कायिक (KAYIK ) अंगों द्वारा नए पादपों का बनना कायिक जनन या कायिक प्रवर्धन कहलाता है |
यह क्रिया निम्न पादपों में सामान्य रूप से देखने को मिलती है जबकी उच्च श्रेणी के पौधों में यह केवल निम्न दो प्रकार से होती है-
- प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन
- कृत्रिम कायिक प्रवर्धन
प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन
यह क्रिया प्रकृती में मिलती है | इस क्रिया के अंतर्गत पादप का कोई अंग अथवा रूपांतरित भाग मात्री पौधे से अलग हों कर नया पौधा बनाता है | यह क्रिया अनुकूल परिस्थितियों में होती है | पौधे का कायिक भाग; जैसे- जड, तना व पत्ती इस क्रिया में भाग लेतें है | ये भाग इस प्रकार से रूपांतरित होतें है की वे अंकुरित हो कर नया पौधा बना सके | विभिन्न प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन की विधियाँ अग्रवत हैं |
भूमिगत तना
- तने का मुख्य भाग अथवा कुछ भाग भूमिगत वृद्धि करता है तथा एक प्रकार से भोजन संग्रह करने वाले अंग के रूप में रूपांतरित हों जता है परन्तु इस पर कक्षस्थ कलिकाएँ मिलती हैं जिनसे नया पौधा विकसित होता है अथवा शाखाएं निकलतीं हैं जो मृदा से बाहर आकर नया पौधा बना लेती हैं |
उदाहरण के लिए –
कन्द- वृद्धि असमान होती है; जैसे- आलू | इस पर आँख मिलती है, जिसमे कक्षस्थ कलिका शल्क पत्रों से ढकी रहती है | यह कक्षस्थ कलिका अनुकूल समय में अंकुरित हों कर नया पौधा बना लेती है | निश्चित पर्व सन्धियाँ नहीं मिलती हैं |
![पौधों में कायिक जनन 15 KAYIK JANAN KYA HAI ? KAND KISE KAHTE HAIN ?](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/KAYIK-JANAN.jpg)
![पौधों में कायिक जनन 15 KAYIK JANAN KYA HAI ? KAND KISE KAHTE HAIN ?](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/KAYIK-JANAN.jpg)
प्रकन्द- यह भूमिगत तना मृदा के भीतर समानान्तर अथवा क्षैतिज वृद्धि करता है | इस पर पर्व या पर्व संधियाँ मिलतीं हैं | पर्व संघनित होतें हैं | पर्व संधियाँ श्ल्क्पत्रों से ढकी होतीं हैं जिसमे कक्षस्थ कलिका मिलती है | in कक्षस्थ कलिकाओं से नए पौधे निकलतें हैं; जैसे- अदरक, हल्दी आदि |
घनकन्द- यह भूमिगत तना मृदा में उर्द्धव वृद्धि करता है | इनमे पर्वसंधियों पर शल्कपत्रों से कलिकाएँ ढकी रहतीं हैं जिनसे नया पौधा बनाता है ; जैसे- अरबी, केसर, जिमीकन्द आदि |
शल्ककन्द- यह प्ररोह का वह रूपांतरण है जहां तना छोटा होता है तथा इस समानीत तने के चारों ओर रसीले गूदेदार शल्क पात्र मिलतें हैं | शल्क पत्रों के कक्ष में कक्षस्थ कलिकाएँ होती हैं जो नए पौधों को जन्म देती हैं; जैसे- प्याज, ट्यूलिप, रजनीगंधा आदि |
अर्धवायवीय तना
यह तना भूमि के समानांतर क्षैतिज वृद्धि करता है | प्रत्येक पर्वसंधि से जड़े तथा प्ररोह (शाखा) निकलती है | कभी-कभी पर्वसंधि का कुछ भाग मृदा में अथवा जल में मिलता है |
उदाहरण के लिए –
ऊपरी भूस्तारी- यह तना विसर्पी होता है तथा मृदा के बाहर की ओर क्षैतिज रूप से मिलता है | प्रत्येक पर्व संधि से जड़ें फूटतीं हैं तथा प्ररोह (शाखा) निकलता है जो विपरीत दिशा में वायु में वृद्धि करता है | पर्वसंधि से निकलती प्रत्येक शाखा एक नया अपुधा बना लेती हैं; जैसे- दूब घास, खट्टी बूटी, सेन्टेला आदि |
भूस्तारी- इनमे पर्व संधियों से जड़ें एवं वायवीय भाग निकलतें हैं | भूस्तारी के टूटने पर प्रत्येक वायवीय शाखा स्वतंत्र पौधे बन जाती है; जैसे – अरवी, केला आदि |
![पौधों में कायिक जनन 16 KAYIK JANAN](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/KAYIK-JANAN-QUIZSANSAR.jpg)
![पौधों में कायिक जनन 16 KAYIK JANAN](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/KAYIK-JANAN-QUIZSANSAR.jpg)
भूस्तारिका- जलोदभिद होने के कारण इनकी पर्वासंधियाँ जल निमग्न होती हैं | प्रत्येक पर्व संधि से पत्तियों का एक समूह निकलता है, जिसमे नीचे जड़ों का गुच्छा होता है जो मात्री पादप से अलग होकर नया पादप बनाता है; जैसे- समुद्र सोख, पिस्टिया आदि |
अन्तः भूस्तारी- मुख्य तना मृदा के भीतर क्षैतिज रूप से बढ़ता है | शाखाएं प्रत्येक पर्व संधी से मृदा के बाहर निकल आती है; जैसे- पुदीना |
मूल- कुछ पौधों के मूल कायिक प्रवर्धन करतें हैं ; जैसे- शकरकन्द, सतावर, डेहलिया, याम, आदि में अपस्थानिक कलिकाएँ निकलतीं हैं जो नया पौधा बना लेतीं हैं | कुछ कास्थीय पौधों की जड़ों; जैसे- मुराया, एल्बीजिया, शीशम आदि से भी प्ररोह निकलतें हैं जिनकी वृद्धि नये पौधे के रूप में होती है |
![पौधों में कायिक जनन 17 KAYIK JANAN](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/20210520_195142.jpg)
![पौधों में कायिक जनन 17 KAYIK JANAN](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/20210520_195142.jpg)
पत्ती- पत्तियों द्वारा कायिक प्रवर्धन सामान्यतः कम ही मिलता है | कुछ पौधों; जैसे- ब्रायोफिल्लम तथा केलेंचो में पत्ती के किनारों पर पत्र कलिकाएँ बनती हैं जिनसे छोटे-छोटे पौधे विकसित होतें हैं | बिगोनिया अथवा एलिफेंट इअर प्लांट ( ELEPHANT EAR PLANT )में पत्र कलिकाएँ पर्णवृंत तथा शिराओं आदि पर व पूर्ण सतह पर निकलती हैं |
![पौधों में कायिक जनन 18 QUIZSANSAR KAYIK JANAN PATTI](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/QUIZSANSAR-MOOL.jpg)
![पौधों में कायिक जनन 18 QUIZSANSAR KAYIK JANAN PATTI](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/QUIZSANSAR-MOOL.jpg)
BULBIL KYA HAI ? BULBIL
बुलबिल- ये प्रकालिकाएं कायिक प्रवर्धन करने वाले जनन अंग हैं | ग्लोबा बल्बीफेरा में पुष्पक्रम के निचले भाग के कुछ पुष्प बुलबिल अथवा प्रकलिकाएं बनातें हैं जो रूपांतरित बहुकोशिकीय संरचनाएँ है | प्याज, अमेरिकन एलोई आदि में भी प्रकालिकाएं मिलतीं है जो-बहुत से पुष्पों के परिवर्तन से बनतीं हैं | प्रकालिकाएं मात्री पौधे से अलग हो कर नए पौधे के रूप में विकसित होतीं हैं |
![पौधों में कायिक जनन 19 KAYIK JANAN KISE JAHTE HAI ?](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/KAYIK-JANA.jpg)
![पौधों में कायिक जनन 19 KAYIK JANAN KISE JAHTE HAI ?](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2021/05/KAYIK-JANA.jpg)
डायोस्कोरिया बाल्बीफेरा की जंगली प्रजाति तथा लिलियम बल्बीफेरम आदि में प्रकालिका पत्ती के अक्ष से निकलती है | खट्टी बूटी में प्रकलिकाएं कंदिल मूल के फूले हुए भाग से निकालती हैं | ये सभी प्रकलिकाएं मात्री पादप से अलग हो कर नए पादप में विकसित होती हैं |
पौधों में कायिक जनन
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