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Audio-Visual Teaching Aids in Hindi
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Introduction { प्रस्तावना }
दृश्य श्रव्य अध्ययन सामग्री की अवधारणा नयी नहीं है और सत्रहवी शताब्दी में इसका पता लगाया जा सकता था जब बोहेमियन के एक शिक्षक जॉन अमोस कोमेनियास (1592-1670) ने अपनी पुस्तक ओर्बियस सेंसुअलियम पिक्टोरस या “सेंसुअल वर्ल्ड की तस्वीर” को शिक्षण सहायक के रूप में पेश किया | इसका चित्रण रोजमर्रा की जिंदगियों के 150 चित्रों के साथ किया गया था | इसी तरह जीन रूसो ( 1712-1778 ) और जे . एच . पेस्टॉलोजी ( 1746-1827 ) नें शिक्षण में दृश्य एवं खेल सामाग्री के उपयोग की वकालत की |
हाल ही में , द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और उसके बाद भी सशस्त्र सेना द्वारा दृश्य श्रव्य सामग्री का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था | द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सशस्त्र बालों में चित्र और अन्य दृश्य सामाग्री के सफल उपयोग ने निर्देशात्मक उपकरणों की प्रभावशीलता को साबित कर दिया |
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फिल्मस्ट्रिप्स , माइक्रोफॉर्म , स्लाइड , अनुमानित अपारदर्शी सामग्री, टेप रिकॉर्डिंग और फ़्लैशकार्ड से लेकर विभिन्न प्रकार की दृश्य – श्रव्य सामग्री हैं | वर्त्तमान डिजिटल दुनिया में , दृश्य श्रव्य सामग्री कई मल्टीमीडिया जैसे – शैक्षिक डी.वी.डी. , पॉवर पॉइंट , टेलीवीजन , शैक्षणिक श्रंखला , यूट्यूब , कंप्यूटर , प्रोजेक्टर और अन्य बहुत सारे दृश्य श्रव्य उपकरण आज के समय में उपस्थित हैं , जिनका प्रयोग करके शिक्षण अधिगम को आसान बनाया जा सकता है | दृश्य श्रव्य सामग्री का लक्ष्य छात्रों के लिए अधिगम को सरल , प्रभावी एवं समझनें में आसान करना हैं |
अध्यापन के दौरान पाठ्य सामग्री को समझाते समय शिक्षक जिन-जिन सामग्रियों का प्रयोग करता है वह सहायक सामग्री कहलाती है। किन्तु आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सहायक सामग्री के संबंध में कई नवाचार हुए है जिनकी सहायता से अध्ययन को रोचक व प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है। इन सामग्रियों द्वारा सीखा ज्ञान न केवल छात्रों में उत्साह जागृत करता है वरन् सीखे हुए ज्ञान को लंबे समय तक अपने स्मृति पटल में संजोए रख सकता है। दूसरी और शिक्षक भी अपने अध्यापन के प्रति उत्साहित रहता है। परिणाम स्वरूप कक्षा का वातावरण हमेशा सकारात्मक बना रहता है।
Audio-Visual Teaching Aids की परिभाषाएँ
दृश्य-श्रव्य सामग्री / Audio-Visual Teaching Aids का प्रयोग छात्र और विषय सामग्री के मध्य अन्तःक्रिया को तीव्रतम गति पर लाकर छात्रों को शिक्षोन्मुखी तथा जिज्ञासु बनाती है । एक अच्छे शिक्षक के लिए विषय पर आधिपत्य अध्यापन का बहुपयोगी माध्यम है।
.”सहायक सामग्री वह सामग्री है जो कक्षा में याअन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित या. बोली गई पाठ्य सामग्री को. समझने में सहायता प्रदान करती है। “ डेण्ड के अनुसार
“श्रव्य-दृश्य साधन अनुभव प्रदान करते हैं। उनके प्रयोग से वस्तुओं तथा शब्दों का संबंध सरलता से जुड़ जाता है । बालकों के समय की बचत होती है, जँहा बालकों का मनोरंजन होता है वँहा बालकों की कल्पना शक्ति तथा निरीक्षण शक्ति का भी विकास होता है।” एडगर ब्रूस वैसल के अनुसार
“कोई भी ऐसी सामग्री जिसके माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को उद्दीप्त किया जा सके, अथवा श्रवणेन्द्रिय संवेदनाओं के द्वारा आगे बढ़ाया जा सके वह सहायक सामग्री कहलाती है। “ कार्टर ए गुड
“ श्रव्य – दृश्य सामग्री का अर्थ उस समस्त सामग्री से है , जो कक्षा में अथवा अन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित अथवा मौखिक रूप में पाठ्य – सामग्री को समझने में सहायता देती है | “ ई. सी. डेंट
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सहायक सामग्री वह सामग्री, उपकरण तथा युक्तियाँ हैं जिनके प्रयोग करने से विभिन्न शिक्षण परिस्थितियों में छात्रों और समूहों के मध्य प्रभावशाली ढंग से ज्ञान का संचार होता है।
सहायक सामग्री के प्रयोग के उद्देश्य
- छात्रों के पाठ में प्रति रूचि जाग्रत करना।
- बालकों में तथ्यात्मक सूचनाओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना।
- सीखने की गति में सुधार करना।
- छात्रों को अधिक क्रियाशील बनाना।
- अभिरूचियों पर आशानुकूल प्रभाव डालना।
- तीव्र एवं मन्द बुद्धि छात्रों को योग्यतानुसार शिक्षा देना।
- जटिल विषयों को भी सरस रूप में प्रस्तुत करना।
- बालक का ध्यान अध्ययन (पाठ) की ओर केन्द्रित करना।
- अमूर्त पदार्थों को मूर्त रूप देना।
- बालकों की निरीक्षक शक्ति का विकास करना।
-: ( Audio-Visual Teaching Aids )श्रव्य दृश्य सहायक साधनो का महत्व :-
- शिक्षार्थीयो का ध्यान आकर्षित करना ताकि उनमें सिखने कि रूची उत्पन्न करना है।
- विषय के मुख्य बिन्दुओ को स्पष्ट करने के लिये।
- भाषा सम्बन्धीत परेशानी को दुर करने मे सहायक होती है।
- सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली ढंग से नियोजित करती है।
- किसी सन्देश को चित्र या दृश्य की सहायता से प्रस्तुत किया जाये तो
- उसमें निहीत विचारो की तुलना, विषरण, फैलाव स्पष्ट हो जाता है भाषा की सहायता एवं दृश्य से अवगम तथ्यात्मक होती है।
- इनसे विचार स्पष्ट ओर सरल होकर समझ में आते है।
- शिक्षक को अपना विषय क्रमबद्ध संगठित करने में सहायता देती है।
- सीखने की प्रक्रिया को बढ़ाते है।
- दृश्य सहायक माध्यम की सहायता से सन्देश को कम समय में एक साथ अनेक लोगों तक पहुचा सकते है।
- इससे शिक्षक तथा शिक्षार्थी का समय बचता है।
शिक्षण में प्रयुक्त होने वाली दृश्य श्रव्य सामग्री / Audio-Visual Teaching Aids को निम्नलिखित विभागों में विभाजित किया जा सकता है।
- (क) परम्परागत सहायक सामग्री – परम्परागत सहायक सामग्री में श्यामपट्ट पुस्तक तथा पत्र पंत्रिकायें आदि का समावेश होता है।
- (ख) दृश्य सहायक सामग्री – दृश्य सहायक सामग्री में वे सामग्री आती है जिन्हें देखा जा सकता है जैसे, वास्तविक पदार्थ चित्र मानचित्र, रेखाचित्र, चार्ट, पोस्टर्स, प्रतिमान बुलेटिन बोर्ड, फ्लैनल बोर्ड, ग्लोब तथा ग्राफ।
- (ग) यांत्रिक सहायक सामग्री – यांत्रिक सहायक सामग्री में निम्न सामग्री का समावेश होता है।
(क) परम्परागत सहायक सामग्री
श्यामपट्ट
श्यामपट्ट से सब भली भांति परिचित होते है भारत में श्यामपट्ट सहायक सामग्री सहायक सामग्री की स्थिति का विवरण देते हुए शिक्षा आयोग ने लिखा है ‘‘हमारे अधिकांश विद्यालयों में विशेषकर प्राथमिक स्तर पर आज भी एक अच्छे श्यामपट्ट, एक छोटे पुस्तकालय, आवश्यक नक्शे और चार्ट, साधारण वैज्ञानिक उपकरण और आवश्यक प्रदर्शन सामग्री जैसे बुनियादी साज सामान और शिक्षक साधनों का पूर्ण अभाव सा ही है।
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शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये प्रत्येक विद्यालय को इस प्रकार के बुनियादी साज सामान और शिक्षण साधनों का दिया जाता आवश्यक है। हमारी सिफारिश है कि प्रत्येक श्रेणी के विद्यालयों के लिये न्यूनतम आवश्यक शिक्षण साधनों एवं साज सामान की सूचियाॅं तैयार कर प्रत्येक विद्यालय को तुरन्त एक अच्छा श्यामपट्ट दिया जावें।
श्यामपट्ट के महत्व के विषय में ‘‘मेककल्सकी’’ के ये विचार पूर्णत सही है, श्यामपट्ट को महत्वूपर्ण दृश्य उपकरण माना जाता है यह विद्यालय में पढाई जाने वाले प्रायः प्रत्येक विषय को मानस पटल पर अंकित करने में सहायता दे सकता है यह केवल साधन है साध्य नही इसका मुख्य उद्देश्य शुद्ध मानसिक विचारों को विकसित करना है।
यद्यपि श्यामपटट कोई आकर्षक वस्तु नही है परन्तु स्वच्छता, शुद्धता एवं तीव्रता के मानक स्थापित करने में इसका अत्यधिक महत्व है। यह एक ऐसा साधन है जो कक्षा में सदैव उपलब्ध रहता है कोई प्रकरण पढाते समय श्यामपट्ट पर बनाया गया चार्ट चित्र छात्रों को ज्ञान प्रदान करता है। साराशं लिखने हेतु नियम परिभाषा आदि लिखने हेतु, शब्दार्थ रिक्त स्थान पूर्ति हेतु, मुख्य निर्देश लिखने हेतु, सूचना अंकन तिथि ज्ञान व तालिका हेतु काम आता है।
पुस्तकों को ज्ञान का द्वार कहा जाता है जहां शिक्षण होगा, वहां पुस्तके भी अवश्य होगी और भारतीय विद्यालयो में तो इसका प्रयोग आजकल पर्याप्त मात्रा में हो रहा है। यद्यपि अनेक विद्धानों ने शिक्षा जगत मे पुस्तकीय शिक्षा के विरूद्ध आदोंलनो को जन्म दिया और इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप पुस्तकों को महत्वहीन माना भी जाने लगा किन्तु बींसवी सदी के प्रथम दो दशकों से पुनः पुस्तकों के महत्व की स्वीकार किया गया। विशेष रूप से अमेरिका मे ंप्रयोग द्वारा यह सिद्ध किया गया कि पुस्तकों को शिक्षण विधि से पृथक नही किया जा सकता। अतः पुस्तकों को शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण साधन स्वीकार किया गया।
पत्र- पत्रिकायें
पत्र पत्रिकाओं का भी हिन्दी षिक्षण में महत्वपूर्ण स्थान है! इनके द्वारा लोगो को भाषा व साहित्य के विषय में महत्वपूर्ण सूचनायें प्राप्त होती है। ये शिक्षक एवं छात्र, दोनो के लिये उपयोगी है क्योंकि इनके द्वारा उनके ज्ञान को पूर्ण एवं आधुनिक बनाया जाता है हमारे देश में आज इनके अध्ययन पर पर्याप्त बल दिया जा रहा है क्योंकि औद्योगिकरण, नगरीकरण आदि के कारण समाज में महान परिवर्तन हो रहे है तथा जब तक शिक्षक एवं छात्र इन तत्कालीन परिवर्तनों से स्वयं अवगत नहीं होने, वे भाषा एवं साहित्य की नवीन प्रवृतियों से भी अवगत नही हो सकेगें।
(ख)दृश्य सहायक सामग्री
1. वास्तविक पदार्थ
छात्र वास्तविक पदार्थो को देखकर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते है वास्तविक पदार्थो को देखने पर व्यर्थ का भ्रम दूर हो जाता है और ज्ञान में स्थायित्व व दृढता आती है वास्तविक वस्तुओं के प्रदर्शन से शिक्षण में रोचकता जाती है तथा छात्र भी ज्ञान को शीध्रता से ग्रहण कर लेते है सत्य तो यह है कि वास्तविक पदार्थो द्वारा प्रदान किया हुआ ज्ञान अत्यन्त उपयोगी व स्थायी होता है।
2. चित्र
सहायक सामग्री में चित्रों का महत्वपूर्ण स्थान होता है चित्रों की सहायता से विषय वस्तु को रोचक बनाकर छात्रों का ध्यान आकर्षित किया जा सकता है चित्रों से छात्रों की कल्पना शान्ति का भी विकास होता है वास्तविकता से अधिक निकट होने के कारण इनके माध्यम से प्राप्त ज्ञान अधिक स्थाई होता है। शिक्षण में चित्रों के माध्यम से शिक्षक नवीन पाठ की प्रस्तावना निकलवाने हेतु, कठिन शब्द का अर्थ निकलवाने हेतु, पाठ के विकास हेतु प्रयोग में लाता है।
3. मानचित्र
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मानचित्रों की सहायता से विभिन्न स्थानों का क्षेत्रफल, स्थिति, उपज, जलवायु, जनसंख्या, तापक्रम आदि का प्रदर्शन किया जाता है। भाषा शिक्षण में विभिन्न राज्यों की सीमाओं, राजधानियों तथा अनेक महत्वपूर्ण स्थानों का ज्ञान सरलतम रूप में इनके द्वारा किया जा सकता है।
4. रेखाचित्र
किसी वस्तु को पूर्णरूप से स्पष्ट करने की दृष्टि से रेखाओं द्वारा बनाया गया चित्र रेखाचित्र होता है वस्तुतः पाठयक्रम के सभी विषयों तथा लगभग सभी प्रकार की विषय वस्तु को रेखाचित्रों की सहायता से दृश्यात्मक रूप में अच्छी तरह अभिव्यक्ति किया जा सकता हैं रेखाचित्रों की कक्षा में ही शिक्षण करते समय श्यामपटट् पर तैयार किया जा सकता है?
इसके सफल प्रयोग के लिये आवश्यक है कि जिन रेखाओं तथा शब्द संकेतों को इस प्रकार की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया जाये, उन्हें छात्रों द्वारा पूरी तरह समझा जायें। शिक्षण में पाठयवस्तु को शुरू-शुरू में पढानेे का प्रश्न है उसमें आरेखों से कोई सहायता प्राप्त नही होती लेकिन बाद की अवस्था में, चाहें यह प्रस्तुतीकरण की हो या अभ्यास या पुनरावृति उसमें रेखाचित्र महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकते है।
5. चार्ट
चार्ट उस प्रदर्शनात्मक साधन को कहते है, जिसमें तथ्यों व चित्रों का समन्वय छात्रों की अधिगम में सुगमता प्रदान करता है तथा जिसमें क्रमबद्ध व तार्किक रूप में चित्रात्मक तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है इसकी सहायता से किसी घटना को क्रमित रूप में प्रदर्शित किया जाता है विभिन्न क्रियात्मक संबंधों की स्पष्ट करने हेतु चार्ट का प्रयोग आवश्यक होता है चार्ट इतनेे बडे आकार के होने चाहिये कि कक्षा में बैठे सभी बालक उनसे लाभ उठा सकें। चाटों के प्रकार – चार्ट निम्नालिखित प्रकार के होते है
6. पोस्टर्स
पोस्टर्स में वैसे तो वस्तुओं, व्यक्तियों, स्थानों व घटनाओं के ही चित्र होते है किन्तु उनमें ये चित्रात्मक अभिव्यक्ति चित्रों की तरह बिलकुल स्पष्ट और प्रत्यक्ष ढंग से नही होती वरन् एक खास अंदाज में अप्रत्यक्ष एवं संकेतात्मक रूप में होती हेतु अपनी विशिष्ट शैली के आधार पर ये किसी मनोवृŸिा को जन्म देने, बदलने तथा किसी कार्य को करने की प्रेरणा देने मे ऐसे प्रभावी वातावरण की रचना कर सकते है जिसमें न केवल व्यक्तिगत व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाया जा सकता है वरन् आंदोलन के रूप में पूरे समूह को ही उत्तेजित किया जा सकता है।
7. प्रतिमान (माडॅल)
प्रतिमान से अर्थ किसी भी वस्तु की ऐसी प्रतिमा से है जिसे छात्र छू सके तथा उनकी जिज्ञासा को शान्त कर नवीन अनुभव प्रदान कर सके जिन बातों को चित्रों के द्वारा दृश्यनीय नही बनाया जा सकता, उन्हें माॅडल के द्वारा दृश्यनीय बनाया जा सकता है इसके माध्यम से छात्रों को किसी वस्तु का भीतरी तथा बाहरी दोनो आकारों को स्पष्ट ज्ञान प्रदान किया जा सकता है वास्तविकता का बोध कराने की दृष्टि से माॅडल अदभुत दृश्य साधन है ताजमहल, रेल का इंजन, वायुयान कक्षा में नही लाये जा सकते किन्तु उनके छोटे प्रतिमान द्वारा उनकी बनावट को प्रदर्शित किया जा सकता है।
8. बुलेटिन बोर्ड
इन बोर्डो पर विद्वानों के कथन तथा महत्वूपर्ण समाचारों एवं सूचनाओं एवं चित्रों आदि को प्रदर्शित किया जाता है इन बोर्डो पर प्रदर्शित सामग्री एक निश्चित क्रम में तथा छात्रों की आयु एवं मानसिक स्तर के अनुरूप होनी चाहिये, जहां सभी छात्र उसे सुविधाजनक ढंग से देख सके। वस्तुतः इस बोर्ड पर चित्र विज्ञापन, कार्टून, चार्ट, ग्राफ समाचार, विशिष्ट, पत्र पत्रिकाओं के लिख तथा बालकों के रचनात्मक कार्य प्रदर्शित किये जा सकते है।
9.फ्लेनल बोर्ड
इस फैल्ट बोर्ड भी कहा जाता है इस बोर्ड को रंगीन फ्लेनल कपडे़ से तैयार किया जाता है भाषा की पाठ्य सामग्री जो विभिन्न अंशों में विभाजित करके पढाई जाती है, उसे क्रमशः इस बोर्ड पर प्रदर्शित करके पढाया जा सकता है। इस बोर्ड पर चित्रों को केवल थोडा सा दबाकर चिपकाया जा सकता है और प्रयोग के पश्चात् उन्हें हटाया भी जा सकता है वस्तुतः चित्रों को एक क्रम में प्रदर्शित करने और उनमें विभिन्न व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना करने के लिये यह साधन अत्यधिक उपयोगी है।
10.ग्लोब
यह वास्तव में भूमि के सर्वाधिक सही प्रतिनिधित्व का रूप है चंूकि भूमि गोल है तथा ग्लोब भी गोल है, अतः इसके द्वारा छात्रों को पृथ्वी के विभिन्न भागों का ज्ञान, सूर्य ग्रहण, चन्द्रग्रहण, पृथ्वी और सूर्य का सम्बन्ध, पृथ्वी का क्षेत्रफल, दिन रात तथा पृथ्वी पर वायुमण्डल का प्रभाव आदि के विषय में विस्तृत जानकारी दी जा सकती है।
11.ग्राफ
ग्राफ के द्वारा संख्यात्मक आंकडों को प्रस्तुत किया जाता है इसके माध्यम से संबंधों एंव विकास के प्रदर्शन के साथ साथ तुलनात्मक अध्ययन को प्रस्तुत किया जा सकता हैं शिक्षक इसका प्रयोग विभिन्न तथ्यों को स्पष्ट करने एवं उनके तुलनात्मक अध्ययन के लिये कर सकता है ग्राफ के मुख्य प्रकार इस तरह है –
- चित्र ग्राफ
- बार ग्राफ
- वृत्त ग्राफ
- लाइन ग्राफ
(ग) यांत्रिक सहायक सामग्री
A.श्रव्य सामग्री
श्रव्य सामग्री वह शिक्षण साधन है जिससे संदेश केवल सुन सकते है और देख नहीं सकते।
1.टेप रिकार्डर
यह एक श्रव्य यंत्र है। ध्वनि का आलेखन डिस्क पर यांत्रिक विधि से , टेप व तार पर आलेखन चुम्बकिय विधि से और चलचित्र आलेखन प्रकाशीय विधि से किया जाता है।
2.रेडियो
भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1924 में मद्रास प्रान्त रेडियो क्लब एवं वाई. एम.सी.ए. लाहौर द्वारा रेडियो प्रसारण सेवा प्रारंभ की गई। रेडियो के माध्यम से वार्ता, सूचनाएँ संबंधि मनोवृत्ति निर्मित हो सके। यह संदेश संचार की प्रभावशाली विधि हैं।
3.टेलीफोन
टेलीफोन ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा लोग एक स्थान से दूसरे स्थान जाए बिना किसी विषय वस्तु पर वार्ता कर सकते है । इससे प्रसार कार्यकर्ता कृषकों को कृषि, पशुपालन, स्वास्थ्य आदि की जानकारी देता हैं।
4.सार्वजनिक भाषण उपकरण
इस उपकरण के तीन भाग होते है।
4.1.प्रवर्धक
यह विद्युत तरंगो को प्रबधंन कर फैलाता है इसे विद्युत अथवा बेटरियों की आवश्यकता पड़ती है।
4.2.ध्वनि ग्राहक
यह ध्वनि तरंगो को पुनः विद्युत तरंगो में बदल देता है।
4.3.ध्वनि विस्तारक
यह प्रवर्धित तरंगो को पुनः ध्वनि तरंगो में बदल देता है। इसका उपयोग विद्यालयों चुनाव, भाषणों, मन्दिरो, मस्जिदों, गुरूद्वारों आदि में किया जाता है।
B.दृश्य-सामग्री
यह शिक्षण सामग्री है जिससे संदेश केवल देख सकते है और सुन नहीं सकते।
1.स्लाईड
स्लाईड फिल्म में कैमरे से पहले चित्र खींच लिया जाता है। इस स्लाईड को प्रोजेक्टर के द्वारा प्रकाश के माध्यम से बडा प्रतिबिम्ब बड़े पदे पर डाला जाता है। स्लाईडे 35 मिमि फिल्म में बनाई जाती है, और इनका आकार 2X2 इंच होता है, इन्हे बॉक्स में लम्बे समय के लिये सुरक्षित रखा जा सकता है।
2.फिल्म स्ट्रिप (फिल्म पट्टी)
स्थाई चित्रों की श्रृंखला होती है। किसी क्रिया के प्रत्येक फिल्म स्ट्रिप चरण को क्रमबद्ध तरीके से जमाया जाता है। प्रत्येक पट्टी पर लगभग 30-60 चित्र, तस्वीर या अक्षर होते है। प्रत्येक चित्र में विषय से सम्बन्धित टाइटल होता है। सामान्यतः 70 मि.मी. या 35 मि.मी. की फिल्मों का शिक्षा के लिये उपयोग किया जाता है। इसमें लगातार एक के बाद एक चित्र को पर्दे पर दिखाकर उन्हें गतिशील दिखाया जाता है। इसमें 5-125 तक फोटो हो सकते है किसी क्रिया की प्रत्येक चरण की फोटो कैमरा द्वारा क्रमबद्ध तरीके से लेते रहते है। जब सभी चरण पुरे हो जाते है तो रील को निकालकर तैयार करवा लेते है। चलचित्र को सामान्यतः ट्रॅनिग प्रोग्राम में उपयोग किया जाता है।
C. श्रव्य-दृश्य सामग्री
1.नाटक एवं कठपुतली
नाटक में कुछ लोग मंच पर किसी विषय पर अपनी प्रस्तुति या अमिनय प्रस्तुत करते है । कठपुतली में छोटी-छोटी मनुष्यों की फोटो बनाकर विषय को इनके द्वारा डंदपचनसंजम किया जाता है, जिसे नाटक के रूप में मंच पर बनाकर दिखाया जाता है। कठपुतली विभिन्न प्रकार के होते है ।
जैसे – हाथ द्वारा चलायी जाने वाली, हाथ द्वारा धागे की सहायता से चलायी जाने वाली कठपुतली ।
2.टेलीविजन / सिनेमा
टेलीविजन या सिनेमा में चित्रों को और वार्ता दोनो का उपयोग एक साथ किया जाता है और लोग देख और सुनकर नई बातें सीखते है। शब्दों और तस्वीरों का इस प्रकार गठन करना कि एक कथा तैयार हो सके। इसमें सीन पर लगातार वार्ता के साथ तस्वीरें प्रदर्शित होती है। जिससे प्रदर्शन सामग्री गति में प्रदर्शित होती है। दूरदर्शन के प्रत्येक सफल कार्यक्रम के पीछे कुशल तैयारी का परिणाम है।
टेलीविजन / सिनेमा के लाभ
- एक साथ कई लोगों से एक ही समय में सम्पर्क किया जाता है।
- चयनित टारगेट समूह को प्रभावित किया जा सकता है।
- नेताओं को प्रभावित करने के लिये।
- व्यक्तियों की सबसे आवश्यक समस्याओं तथा स्थिति का ज्ञान होता है।
- स्थानिय लोगो में नेतृत्व विकसित करने में सरलता होती हैं।
- लोगो के विचारों को स्थानान्तरित को सुलझाने में अधिक उपयोगी होती है।
- यह विधि जटिल समस्याओं को करने में अधिक उपयोगी होती है।
- नयी तकनीकों को पद्धतियों को सीमांतरण करने में उपयोगी होता है।
- कार्यकर्ता गहरे सम्पर्क में बना रहता है।
-: निष्कर्ष :-
निष्कर्ष स्वरुप हम यह कह सकते हैं की शिक्षण प्रक्रिया सीखने के लिए audio visual aids / दृश्य – श्रव्य सामग्री एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है | यह शिक्षक को अपने पाठ को छात्रों के समक्ष प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने में सहायक है | इसकी सहायता से छात्र का ध्यानाकर्षण बना रहता है और छात्र उत्सुकता के साथ नयी चीजों को सीखते एवं उनको याद रखते हैं | सभी विद्यालयों का पाठ्यक्रम , दृश्य श्रव्य अध्ययन सामग्रियों के विषय एवं उपयोग को ध्यान में रखते हुए निर्माण किया जाना चाहिए |
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First in the world (विश्व में प्रथम)
विश्व में प्रथम
सर्वप्रथम | व्यक्ति का नाम |
---|---|
एवरेस्ट शिखर पर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति | शेरपा तेनजिंग (भारत) व सर एडमंड हिलेरी ( न्यूजीलैंड ) |
उत्तरी ध्रुव पर पहुँचने वाला प्रथम व्यक्ति | रोबर्ट पियरी (USA) |
दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाला प्रथम व्यक्ति | एमुन्डसेन (नार्वे ) |
विश्व का पहला धर्म | सनातन धर्म |
उत्तरीय ध्रुव पर पहुँचने वाली प्रथम महिला | कैरोली मिकेल सेन |
द. ध्रुव पर पहुँचने वाली प्रथम महिला | फ्रैन फिप (कनाडा) |
पुस्तक मुद्रित करने वाला पहला देश | चीन |
कागजी मुद्रा जारी करने वाला पहला देश | चीन |
सिविल सेवा प्रतियोगिता शुरू करने वाला पहला देश | चीन |
संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रथम राष्ट्रपति | जॉर्ज वाशिंगटन |
ब्रिटेन का प्रथम प्रधान मंत्री | राबर्ट वालपोल |
संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रथम महासचिव | ट्रिग्वेली (नार्वे) |
शिक्षा को अनिवार्य करने वाला प्रथम देश | प्रशा |
प्रथम फ़ुटबाल विश्व कप जीतने वाला देश | उरुग्वे |
संविधान निर्माण करने वाला प्रथम देश | संयुक्त राज्य अमेरिका |
पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल | मोहम्मद अली जिन्ना |
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के प्रथम सम्मलेन का आयोजन-स्थल | बेलग्रेड |
चीन पहुँचने वाला प्रथम यूरोपियन | मार्कोपोलो |
वायुयान से पहली उड़ान भरने वाला व्यक्ति | राईट बन्धु |
विश्व के चारों ओर समुद्रीय यात्रा करने वाला प्रथम व्यक्ति | फर्दिमेंड मैगलन |
चन्द्रमा पर मानव भेजने वाला प्रथम देश | संयुक्त राज्य अमेरिका |
कृत्रिम उपग्रह को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपण करने वाला प्रथम देश | रूस |
आधुनिक ओलम्पिक का आयोजन करने वाला प्रथम देश | यूनान |
चीन गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति | डॉ. सनयात सेन |
प्रथम नगर जिस पर परमाणु बम गिराया गया | हिरोशिमा (जापान) |
सर्वाधिक पशुओं वाला देश | भारत |
विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय | तक्षशिला विश्वविद्यालय (800 B.C.) |
चन्द्रमा पर उतरने वाला प्रथम व्यक्ति | नील आर्मस्ट्रांग (USA ) |
अंतरिक्ष में पहुँचने वाला प्रथम व्यक्ति | मेजर युरी गागरीन (रूस) |
अंतरिक्ष में तैरने वाला प्रथम व्यक्ति | एलेक्सी लेनोव (रूस) |
अंतरिक्ष में भेजा जाने वाला प्रथम अंतरिक्ष शटल | कोलम्बिया |
इंग्लैण्ड की प्रथम महिला प्रधान मंत्री | मार्गेट थैचर |
किसी मुस्लिम देश की प्रथम महिला प्रधान मंत्री | बेनजीर भुट्टो (पाकिस्तान) |
विश्व में किसी देश की प्रथम महिला प्रधान मंत्री | एस. भंडारनायके (श्री लंका ) |
अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम महिला | बेलेंटिना तेरेश्कोवा (रूस) |
एवरेस्ट पर चढने वाली प्रथम महिला | जुंको तेबई (जापान ) |
ब्रिटेन की पहली रानी | जेन |
संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रथम महिला सभापति | विजयालक्ष्मी पंडित |
भारत पर आक्रमण करने वाला पहले युरोपवाशी | सिकंदर |
विश्व में किसी देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति | मारिया एस्टेला राजाबेल (अर्जेंटीना ) |
अंटार्टिका महाद्वीप पर पहुँचने वाली प्रथम महिला | कैरोलिन मिकल्सन |
पृथ्वी का मानचित्र बनाने वाला प्रथम व्यक्ति | अनेग्जीमेंडर |
विश्वकोष संकलन करने वाला प्रथम व्यक्ति | एस्पेओसीप्स (एथेंस) |
सर्वाधिक उम्र में एवरेस्ट पर चढने वाला प्रथम व्यक्ति | रिचर्ड व्यास |
विम्बलडन ट्राफी जीतने पहला एशियन व्यक्ति | आर्थर ऐश |
साहित्यिक के प्रथम नोबल पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति | प्रुधों सली |
शान्ति के क्षेत्र में प्रथम नोबल पुरस्कार से सम्मानित्र व्यक्ति | ज्यां हेनरी दुनांत एवं फ्रेडरिक पासी |
भौतिक विज्ञान में प्रथम नोबल पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति | W.K. रोएंट्जेन |
रासायन विज्ञान में प्रथम नोबल पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति | J.H. वैन्टहाफ |
चिकित्सा विज्ञान में प्रथम नोबल पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति | A.E.वान बेहरिग |
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रथम नोबल पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति | रेगनर फरिश एवं जॉन टीनबरगन |
इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने वाली प्रथम महिला | गर्टरूड एडरले |
विश्व का प्रथम देश जहाँ व्यक्ति को ऐच्छिक मृत्यु का अधिकार प्राप्त किया गया | नीदरलैंड (हालैंड) |
बैंक नोट जारी करने वाला पहला देश | स्वीडन |
![First in the world (विश्व में प्रथम) 8 First in the world (विश्व में प्रथम)](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2020/09/PicsArt_09-13-09.58.08.jpg)
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First in the world
no. | first | name |
---|---|---|
1 | First men to climb Mount Everest | Sherpa Tenzing Norgay & Sir Edmund Hillary |
2 | First men to reach North pole | Robert Edwin Peary |
3 | First man to reach South Pole | Roald Amundsen |
4 | First religion of the world | Sanatan Dharma |
5 | First country to print books | China |
6 | First country to issue paper currency | China |
7 | First country to start civil services competition | China |
8 | First President of United states of America | George Washington |
9 | First Prime Minister of Great Britain | Robert Walpole |
10 | First Secretary General of United Nations | Trygve Lie |
11 | First country to make education compulsory | Prussia/Germany |
12 | First country to win the World CUP Football | Uruguay |
13 | First country to make a constitution | United States of America |
14 | Pakistan’s first Governer General | Mohammad Ali Jinnah |
15 | First summit of NAM was organized in | Belgrade(former Yugoslavia) |
16 | First European to visit China | Maffeo Polo |
17 | First man to fly an aeroplane | Wright Brothers(Wilbur and Orville Right) |
18 | First person to sail around the world | Ferdinand Megellan |
19 | First country to send human to Moon | United States of America |
20 | First country to launch satellite into space | Russia(former USSR) |
21 | First country to host the modern Olymic games | Greece |
22 | First President of the Republic of China | Dr. Sun Yat-Sen |
23 | First city to be attacked with Atom Bomb | Heroshima(Japan) |
24 | First Radio Telescope Satellite was launched into space | Japan |
25 | First Russian(Soviet) Prime Minister to visit India | V.I. Bulganin |
26 | First University of the world | Takshashila/Taxila University |
27 | First man to set foot on the Moon | Neil Armstrong(U.S.A.) |
28 | First man to go into space | Major Yuri Alekseyevich Gagarin(USSR) |
29 | First Space Shuttle launched | Columbia |
30 | First Space Ship landed on Mars | Viking-I |
31 | First Woman Prime Minister of England | Margaret Thacher |
32 | First Woman Prime Minister of any Muslim country | Benazir Bhutto |
33 | First Woman Prime Minister of a country | Sirimavo Bhandarnaike (Sri Lanka) |
34 | First Woman cosmonaut in Space | Valentina Tereshkova(USSR) |
35 | First Woman to climb Mt. Everest | Junko Tabei(Japan) |
36 | First deaf and dumb to cross the Srait of Gibralter | Taranath Shenoy(India) |
37 | First Woman President of UN General Assembly | Smt. Vijayalakshmi Pandit |
38 | First Woman to reach the North Pole | Ann Bancoft |
39 | First European Invader of Indian soil | Alexander,The Great |
40 | First Woman to reach Antarctica | Caroline Mikkelsen’s |
41 | First Woman to be a working member of an Antarctic Expedition | Jackie Ronne |
42 | First man to draw the map of Earth | Anaximander |
43 | First man to compile Encyclopedia | Aspheosis(Athens) |
44 | The oldest man to climb Mt. Everest | Yuichiro Miura(Japan) |
45 | First Asian to win Wimbledon Trophy | Arthur Ashe(U.S.A.) |
46 | First man to win Noble Prize for Literature | Sully Prudhomme(France) |
47 | First man to win Noble Prize for Peace | Jean H. Dunant(Switzerland)& Frederic Passy(France) |
48 | First man to win Noble Prize for Physics | W.C. Rontgen(Germany) |
49 | First man to win Noble Prize for Chemistry | J.H. Van’t Hoff(Howlland) |
50 | First man to win Noble Prize for Medicine | Emil Adolf Von Behrig(Germany) |
51 | First man to win Noble Prize for Economics | Ragnar Frisch(Norway)& Jan Tinbergen(Howlland) |
52 | First Woman President of a country | Marma Estela I.M. Cortas de Peron(Argentina) |
53 | First Space Tourist(Male) | Dennis Tito(U.S.A) |
54 | First Space Tourist(Female) | Mrs. Anousheh Ansari(Irani American) |
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