स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य एवं उद्देश्य
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स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य एवं उद्देश्य

स्वास्थ्य शिक्षा के प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं-

  1. स्वास्थ्य शिक्षा का प्रमुख लक्ष्य मनुष्य के चरित्र को ऊँचा उठाना है।
  2. इसका लक्ष्य मनुष्य को सामूहिक जीवनयापन हेतु तैयार करना है।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा का लक्ष्य है सहनशीलता, परस्पर सहयोग तथा किसी मनुष्य का मानसिक दृष्टि से अध्ययन करना है।
  4. यह मनुष्य को समय का सदुपयोग करना सिखाता है।
  5. यह मनुष्य में मनोरंजन का साधन भी है।
  6. अच्छे स्वास्थ्य के आदर्श स्थापित करना।
  7. अच्छे पर्यावरण का निर्माण करना।

स्वास्थ्य शिक्षा के उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु, हमें कुछ उद्देश्यों का पालन करना पड़ता है। इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु हमें निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक हैं-

(i) स्वास्थ्य रक्षा सम्बन्धी आवश्यकताओं का ज्ञान – स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा मनुष्य अपने जीवन को सुखमय व विभिन्न रोगों से रहित बना सकता है। इसके लिए उसे स्वास्थ्य सम्बन्धी सिद्धान्तों की जानकारी होना आवश्यक है। इसके द्वारा मनुष्य को यह बताया जाता है कि जीवन में स्वास्थ्य कितना महत्त्वपूर्ण हैं।

(ii) स्वास्थ्य निर्देशन एवं निरीक्षण- माता-पिता के लिए आवश्यक है कि वह बालक के कपड़े व सामान्य स्वास्थ्य का निरीक्षण नियमित रूप से करते रहें। बालक की मनोवृत्ति, अवस्था तथा उसकी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसके सुधार के लिए आवश्यक निर्देशन देते रहना चाहिए जिससे बालक सरलतापूर्वक अपनी कमियों को दूर कर सके।

(iii) बालक के स्वास्थ्य को अच्छा बनाने का प्रयास – स्वास्थ्य शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है बालक के स्वास्थ्य को अच्छे से अच्छा बनाने का प्रयास करना। माता-पिता को इस बात को सदैव ध्यान में रखना चाहिए कि बहुत से बालक अस्वस्थ इस कारण रहते हैं चूँकि उन्हें स्वस्थ रहने का प्रशिक्षण बाल्यावस्था में नहीं मिला होता हैं।

(iv) संक्रामक रोगों से बचाव- संक्रामक रोग मुख्य रूप से दूषित वातावरण के कारण उत्पन्न होते हैं तथा शरीर को क्षति पहुँचाते हैं। इनकी रोकथाम के लिए पहले उसके बारे में जानना आवश्यक है कि वे किन कारणों से होते हैं, कितने दिनों के लिए होते हैं उनसे कैसा बचा जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य शिक्षा अत्यन्त आवश्यक है।

(v) अच्छी स्वास्थ्य अभिवृत्तियों का विकास- माता-पिता व अध्यापकों को स्वास्थ्य शिक्षा के विभिन्न नियमों का ज्ञान होना अति आवश्यक है ताकि वे बालकों को पूर्ण स्वस्थ रहने हेतु प्रेरित कर सकें।

(vi) बालक के स्वास्थ्य का पूर्ण परीक्षण- स्वास्थ्य शिक्षा का एक उद्देश्य यह भी है कि बालक के विभिन्न अंगों की परीक्षा करना ताकि शरीर में यदि किसी बात की कमी है या कोई दोष है तो उसे दूर किया जा सके।

(vii) प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान देना व अभ्यास करना- बालक को खेलते समय, व्यायाम करते समय, अस्थि भंग, चोट, जल जाना, मोच आ जाना आदि घटनाएँ साधारणतया हो ही जाती है। ऐसी परिस्थिति में अध्यापक को प्राथमिक सहायता के लिए तैयार रहना पड़ता है। ऐसी घटनाओं से आहत बालक को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

(viii) अभिभावकों एवं समाज के अन्य सदस्यों को स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों एवं सिद्धान्तों से अवगत कराना।

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