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सिलाई मशीन की देखभाल अथवा मशीन के साधारण दोष एवं उनके निवारण का उपाय
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सिलाई की मशीन की देखभाल
सिलाई की मशीन की, जो गृहिणी के लिए इतने महत्त्व का उपकरण है, भली-भाँति देखभाल करना अत्यावश्यक है। देखभाल ही नहीं वरन् उसका उपयोग भी विधिपूर्वक होना चाहिए। यदि मशीन में कुछ खराबी आ जाती है तो हमारा सिलाई का काम रुक जाता है जब तक कि वह खराबी दूर न कर दी जाये। सदैव कारीगर या मैकेनिक के भरोसे बैठना समय की बहुत हानि करता है। इसलिए यह कहा जाता है कि गृहिणी को मशीन के प्रयोग व देखभाल के विषय में इतनी जानकारी अवश्य हो कि वह साधारण त्रुटि को स्वयं ही ठीक कर सके। इससे वह आत्मनिर्भर हो जायेगी। यदि मशीन में कोई दोष है तो उसका बखिया भी अच्छा नहीं होता जिससे कपड़ा भी भद्दा लगता है। मशीन एक महँगी वस्तु है और उसकी उपयोगिता इतनी अधिक है कि उचित देखभाल में उसका सेवा-काल बढ़ाना बुद्धिमत्ता है।
सिलाई मशीन की देखभाल
(1) मशीन को धूल-मिट्टी से बचाइये जब यह प्रयोग में न हो तो उसे ढककर रखिये।
(2) दिन-प्रतिदिन की सफाई के अतिरिक्त प्रतिवर्ष मशीन को एक बार खोलकर उसके विभिन्न पुर्जों को मिट्टी के तेल में धोकर साफ कीजिये। इस सफाई के पश्चात् मशीन बहुत हल्की चलती है। यदि यह कार्य गृहिणी स्वयं करना न जानती हो तो एक बार कुशल कारीगर से मशीन को साफ करवा लिया जाये। फिर वह स्वयं ही मशीन की सफाई करने लगेगी।
(3) मशीन में तेल देना- प्रति सप्ताह या दो सप्ताह पश्चात् मशीन में तेल देना लाभकारी होता है। यदि समय-समय पर तेल नहीं दिया जाता तो पुर्जे घिसने लगते हैं। मशीन पर प्रायः इस बात के संकेत दिये रहते हैं कि तेल किस-किस स्थान पर दिया जाये। ऐसे प्रत्येक छिद्र में दो-तीन बूँद डालिए। तेल डालने के पश्चात् एक दिन व एक रात्रि को मत चलाइए। यदि तेल डालते ही मशीन को तुरन्त प्रयोग में ले लिया गया तो सिलने वाला कपड़ा तेल से गन्दा हो सकता है। वस्त्र सीने से पहले किसी रद्दी कपड़े पर कुछ सिलाई करके देख लिया जाये कि कहीं तेल तो नहीं आता।
मशीन के लिये विशेष रूप से तैयार किया गाय बढ़िया तेल जो बन्द डिब्बों में बाजार में मिलता है, काम में लेना चाहिए। प्रत्येक कम्पनी अपनी मशीन हेतु अपने नाम जैसे- ऊषा लुब्रिकेटिंग ऑयल (Usha lubricating oil) तेल बनाती है।
तेल देते समय नीडल बार को ऊँचा कर लेना चाहिए। तेल देने के बाद प्रेशर फुट को ऊँचा करके, सुई में से धागे निकालकर दो-चार मिनट तक मशीन को यदि खाली ही चलाया जाये तो ते सभी पुर्जों तक पहुँच जायेगा।
मशीन के साधारण दोष तथा उनका निवारण
धागे का टूटना – बखिया दो धागों से बनता है— सुई वाले धागे से जो ऊपरी धागा कहलाता है और बॉबिन वाले धाके से जो नीचे का धागा कहलाता है। इनमें से धागा टूट सकता है।
सुई के धागे का टूटना – यह धागा निम्नांकित कारणों में से किसी कारण से भी टूट सकता है-
- यदि सुई मुड़ी हुई हो या टूटी हुई हो।
- यदि उसी ठीक से न लगी हो ।
- धागा ठीक से न पिरोया गया हो।
- धागा अधिक मोटा हो या घटिया किस्म का हो।
- यदि ऊपरी धागे का तनाव बहुत हो ।
- धागा कहीं अटक गया हो या धागे में गाँठें हों।
- शटल वाले स्थान में कूड़ा व धागे आदि जमा हो गये हों।
बॉबिन के धागे का टूटना — यह भी निम्न में से किसी भी कारण से टूट सकता है-
- यदि बॉबिन में धागा ठीक से न लपेटा गया हो।
- यदि बॉबिन का पेंच अधिक कसा हुआ हो।
- यदि ऊप व नीचे के धागों के तनाव में अधिक अन्तर हो ।
- यदि शटल या बॉबिन केस ठीक से न लगा हो या टूट गया हो।
प्रत्येक कारण की बारी-बारी से जाँच कीजिये। आपको पता लग जायेगा कि कौन-सा कारण उस दोष विशेष के लिए उत्तरदायी है। सुई टेढ़ी है तो नयी सुई लगाइये। हो सकता है कि ऊपर के धागे को नियन्त्रित करने वाला स्प्रिंग टूटा हो या ढीला होकर प्रभावहीन हो गया हो। यदि ऊपर का धागा टूटता है तो इस स्प्रिंग की जाँच अवश्य होनी चाहिए। यदि नीचे का धागा कसा या ढीला है तो बॉबिन केस के पेंच को ठीक कीजिये। धागे में दोष है तो धागा बदलिये। मशीन से सम्बन्धित पुर्जो की सफाई कीजिये।
मशीन का भारी चलना इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
- शटल में धूल या मैल जम गया हो।
- बहुत दिनों से मशीन में तेल न दिया गया हो या पुर्जों में तेल जम गया हो।
- शटल या बॉबिन केस में धागा फँसा हो ।
इन तीनों कारणों को दूर कीजिये। मशीन खूब हल्की चलेगी। यदि बॉबिन वाइन्डर क्लाइव्हील से सटा हो या बुहत दिनों से मशीन प्रयोग में न लगायी गयी हो, तो मशीन की भारी चलती है।
सुई का बार-बार टूटना – सुई तब टूटती है जब-
- सुई कपड़े के उपयुक्त न हो।
- सुई क्लैम्प में पूरी तरह घुसाकर कसी न गयी हो या क्लैम्प न कसा गया हो।
- सुई टेढ़ी हो ।
- बॉबिन केस का रिंग गलत लगा हो ।
मशीन की सुइयाँ भिन्न-भिन्न मोटाई की होती है। कपड़े के अनुरूप सुई को बदलिये। सुई को क्लैम्प में पूरी तरह अन्दर करके पेंच को कसिये। टरेई या दोषयुक्त सुई को बदलिये। शटल केस के रिंग की भी जाँच कीजिये ।
नीचे के धागों में गुच्छे बनना— यह दोष निम्न में से किसी एक या अधिक कारणों से उत्पन्न हो सकता है –
- सुई ठीक से न लगी हो या उसी उचित साइज की न लगी हो ।
- सुई टेढ़ी हो ।
- धागा सुई में ठीक से न पड़ा हो।
- ऊपर का धागा ठीक से न डाला गया हो।
- धागे का तनाव अधिक ढीला हो ।
- यदि बॉबिन केस या फीड डॉग में गन्दगी फँस गयी हो ।
- बॉबिन पर धागा ठीक से लपेटा गया हो।
उपर्युक्त कारणों का निवारण कीजिये, धागे के गुच्छे बनाना बन्द हो जायेगा ।
कपड़े का रुक-रुककर आगे खिसकना- निम्न दोषों के कारण हो सकता हैं—
- यदि धागों पर तनाव है।
- यदि प्रेशर फुट या पेंच अधिक ढीला हो ।
- स्टिच रेग्युलेटर से स्टिचों का नियन्त्रण ठीक न किया गया हो तो कपड़ा आगे कठिनाई से खिसकेगा। अतः उपर्युक्त कारणों की उपस्थिति के लिए जाँच करके उचित उपाय प्रयोग में लाइये।
कपड़े का इकट्ठा होना – इसके निम्न कारण मुख्य हैं–
- धागों का अधिक तनाव हो।
- धागे ठीक से न पिरोये हो।
- धागा अधिक मोटा हो।
- प्रेशर फुट का दबाव उपयुक्त न हो।
उपर्युक्त कारणों में से कपड़े के इकट्ठे होने का कोई कारण हो सकता है। एक-एक कारण की जाँच कीजिए और दोष के निवारण के उपाय कीजिए।
बखिए का खराब होना या बार-बार टूटना – बखिए के ठीक न होने के भी निम्न में से कोई एक या एक से अधिक कारण हो सकते हैं।
- ऊपर का या नीचे का धागा ठीक से पड़ा हो।
- धागा अधिक मोटा या पतला हो।
- ऊपर और नीचे के धागों के तनाव ठीक न हों- एक धागा अधिक कसा हुआ हो और दूसरा अधिक ढीला।
- शटल टूटा हो ।
- सुई टेड़ी हो या घिसी हुई हो।
- प्रेशर फुट ठीक न हो तो धागे का डालना, धागे की मोटाई, उनका तनाव और सुई अथवा प्रेशर फुट एवं शटल की जाँच कीजिए और जो दोष मिले उसके अनुरूप उपाय कीजिए।
सुई का उपयुक्त नम्बर- सुई मोटी हो या पतली, यह कपड़े के प्रकार पर निर्भर करता है। सामान्यतः विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के लिए निम्न नम्बरों की सुइयाँ-
- ऊनी वस्त्र – 9 नम्बर
- महीन या रेशमी वस्त्र – 12 नम्बर
- साधारण सूती वस्त्र – 16 नम्बर
- मोटे वस्त्र – 18 नम्बर
यदि कपड़े के प्रकार के उपयुक्त सुई प्रयोग की जाती है तो बखिया उत्तम आती है।
कुछ सामान्य सुझाव फिर से यहाँ दिये जा रहे हैं, जिनको ध्यान में रखने से मशीन का उपयोग अच्छी प्रकार से होगा-
- मशीन को साफ रखिए।
- मशीन को बराबर तेल देते रहिए।
- सुई ओर धागा कपड़े के उपयुक्त होने चाहिए।
- सुई को ठीक से लगाइये और धागों को ऊपर व नीचे ठीक से पिरोइए।
- वस्त्र पर सिलाई करने से पूर्व उसी कपड़े की कतरन पर टाँकों की जाँच कर लीजिए।
- बॉबिन को ठीक से भरिए और ठीक से उसका केस लगाइए।
- जब सुई में धागा पिरोया हुआ हो तो मशीन को खाली मत चलाइये।
- सिलते समय कपड़े को मत खींचिए। कपड़ा अपना आप आगे आयेगा।
- पहिये को उल्टी ओर नहीं चलाना चाहिए।
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