विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने की उपयोगी विधियाँ
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विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने की उपयोगी विधियाँ
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विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने की उपयोगी विधियाँ

विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने की उपयोगी विधियाँ

विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने की विधियाँ निम्नलिखित है-

1. स्वास्थ्य स्कूल वातावरण- शिक्षा के क्षेत्र में वातावरण का प्रमुख स्थान है। इसके आधार पर यह आवश्यक है कि भौतिक एवं मानव-सम्बन्धी वातावरण की परिवृद्धि के लिए स्वास्थ्य-शिक्षा को सर्वोपरि स्थान दिया जाए। स्कूल भवन जितना स्वच्छ, आकर्षक और संयोजित होगा उतना ही वह स्कूल अधिक सजीव, प्रतिभासित होगा। स्वच्छ कक्षाएँ, क्रीड़ा स्थान एवं सहयोगी स्नेहशील अध्यापक भी स्कूल के स्वस्थ वातावरण को प्रस्तुत करने में सहायक सिद्ध होते हैं। वातावरण का अनुगमन सदा प्रत्येक व्यक्ति द्वारा होता है, अतः व्यक्ति वातावरण के अनुरूप ही आगे बढ़ता है।

2. विधिपूर्ण स्वास्थ्य निर्देशन- स्कूलों में विधिपूर्ण निर्देशन स्वस्थ विधि, भौतिक शास्त्र, साधारण विज्ञान, शारीरिक विज्ञान, गृह विज्ञान, सामाजिक विज्ञान तथा भाषणों के माध्यम से दिया जाता है। इसके द्वारा छात्रों को शरीर को स्वस्थ रखने का ज्ञान उत्पन्न होगा और वे अपने आप को निरोग रखकर बीमारियों से सुरक्षित रखने में सफल होंगे। छात्रों को स्वस्थ रखने के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें क्रीड़ाओं, व्यायाम तथा भोजन आदि के गुणों से परिचित करा दिया जाये।

3. स्वास्थ्य सम्बन्धी भाषण तथा वार्ताएँ- छात्रों को स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान कराने के लिए आवश्यक है कि उन्हें समय-समय पर भाषण दिये जायें। उपस्थित छात्रों को भाषण एवं वार्ताओं के माध्यम से ज्ञान प्रदान करना अत्यन्त सुलभ कारण है। भाषित शब्द का प्रभाव मुद्रित शब्द की अपेक्षा अधिक होता है। संयोजित, सुरक्षित एवं संयुक्त भाषण ही छात्रों को स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान से परिचित करा सकता है। इसके द्वारा ज्ञान- वृद्धि के साथ-साथ उनका मनोरंजन भी सुलभतया हो सकता है।

4. मुद्रित सामग्री- पुस्तकें, लघु पस्तिकाएँ, विज्ञापन, चार्ट तथा सूची पत्र स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान प्रदान कर सकते हैं। नगरों तथा प्रान्तों में स्वास्थ्य अधिकारियों से यह सम्पूर्ण सामग्री उपलब्ध हो सकती है। छात्रों को भी इस दिशा में उत्साहित किया जा सकता है कि वे भोजन, व्यायाम, निद्रा, रोग तथा अन्य तत्सम्बन्धी विषयों पर चार्ट तैयार करे।

5. स्वास्थ्य-प्रदर्शन सम्बन्धी पुस्तकें- छात्रों को इस बात के लिए प्रोत्साहन दिया जाए कि वे अपने पास स्वास्थ्य प्रदर्शन सम्बन्धी पुस्तकों को सुरक्षित करें। इस पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ पर उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी विशेष नियम को उल्लिखित करना चाहिए। साथ ही उन्हें इस पुस्तक पर नियत की गई तस्वीरों, शरीर के विभिन्न अंगों की क्रियाओं तथा कतिपय आवश्यक नियमों को लिख देना चाहिए। इस पुस्तक पर छात्र विशेष के स्वास्थ्य का वर्णन भी होना आवश्यक है।

6. स्वास्थ्य केन्द्र – प्रत्येक स्कूल का कर्त्तव्य है कि वह स्वास्थ्य इकाई के रूप में स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना करें। इन केन्द्रों के माध्यम से ही छात्र स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों तथा उनके परिपालन की क्रियाओं से परिचित हो सकते हैं। इनके द्वारा ही छात्रों को स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों के परिचालन और उन्हें दैनिक जीवन में अपनाने की बातों के सम्बन्ध में परिचित कराया जा सकता है। ये स्वास्थ्य केन्द्र स्कूल रेडक्रास के सहयोग से वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, भाषण प्रतियोगिताओं तथा नाटकों आदि का आयोजन करवा सकते हैं।

7. स्वास्थ्य सप्ताह – स्वास्थ्य की परिवृद्धि के लिए एक सप्ताह उसके प्रचार के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इस सप्ताह के मध्य स्कूल के छात्र सफाई का काम अपने हाथ में ले सकते हैं। अध्यापकों के निर्देशन में वे अपनी-अपनी कक्षाओं को साफ कर सकते हैं। इस अवस्था पर विशेष प्रकार के चार्ट, पुस्तिकाएँ तथा इश्तिहार आदि तैयार किये जा सकते हैं। उनके प्रदर्शन के अतिरिक्त भाषणों का भी आयोजन हो सकता है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग से भी इस सम्बन्ध में सहायता ली जा सकती है।

8. छाया चित्रों का प्रदर्शन- स्वास्थ्य-रक्षण के लिए छायाचित्र अत्यन्त लाभदायक है। इनके द्वारा अप्रत्यक्ष तथा परोक्ष वस्तुएँ की दृष्टिपथ में आ जाती है। इन छायाचित्रों के द्वारा ही तुलनात्मक सौन्दर्य प्रस्तुत किया जा सकता है। अच्छे-बुरे, सुन्दर, गले-सड़े, स्वास्थ्यप्रद एवं अस्वास्थ्यप्रद पदार्थों एवं स्थानों का दिग्दर्शन इसके द्वारा ही कराया जा सकता है। उन रोगों से बचने के उपायों एवं असुन्दर को सुन्दर बनाने की विधियों को इनके द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। गतिहीन छायाचित्रों के द्वारा भी अभिप्राय सिद्धि हो सकती है। गतिहीन छायाचित्रों के द्वारा एक अनवरत चित्र समूह प्रस्तुत किया जाता है, और इसे इच्छानुसार पर्दे पर कुछ समय के लिए रोक कर दिखाया जा सकता है। स्कूल में दिखाए जाने वाले ऐसे गतिहीन छायाचित्र कम कीमत रखने के अतिरिक्त बहुमूल्य शिक्षा प्रदान करते हैं।

9. रेडियो – रेडियो पर स्वास्थ्य सम्बन्धी भाषण एवं नाटकीय प्रस्तुतीकरण छात्रों के लिए अत्यन्त लाभदायक सिद्ध होते हैं। सम्पूर्ण विश्व में रेडियो को जनता तक शिक्षा पहुँचाने का साधन बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य सम्बन्धी नियम, गीत, नाटक, कविताएँ तथा योजनाएँ आदि स्कूल प्रसारण के समय प्रसारित की जा सकती है। इस प्रकार के कार्यक्रम का अत्यधिक सरल, शिक्षाप्रद, रुचिपूर्ण तथा रचनात्मक आदि होना अत्यन्त आवश्यक है।

10. अभियात्रा एवं मनोरंजन- स्वास्थ्य-शिक्षा सम्बन्धी अभियात्रा तथा मनोरंजन के लिए छात्रों को कई स्थानों की सैर कराई जा सकती है। उन्हें किसी अच्छे अस्पताल, जलस्रोत केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों, रेडक्रास मेलों, प्रदर्शनी, शारीरिक व्यायाम, स्कूलों एवं कालेजों, सैनिक शिक्षा वाले केन्द्रों, कसरत के अखाड़ों, क्रीड़ा स्थलों तथा अन्य राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय खेलों को दिखाने आदि के लिए बाहर ले जाया जा सकता है।

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