पाठ्यचर्या चयन में प्रमुख समस्याएँ | Main Problems in Curriculum Selection in Hindi
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पाठ्यचर्या चयन में प्रमुख समस्याएँ | Main Problems in Curriculum Selection in Hindi

पाठ्यचर्या चयन में प्रमुख समस्याएँ (Main Problems in Curriculum Selection)

शिक्षा की प्रक्रिया अनवरत चलाने हेतु कई तत्त्वों की आवश्यकता होती है। जैसे सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व पाठ्यचर्या चयन या उनकी अन्तर्वस्तु का चयन जिसका उपरोक्त विवरण दिया गया है। किन्तु पाठ्यचर्या चयन में आने वाली कुछ समस्याएँ होती हैं। उन समस्याओं पर विचार किया जाता है। विचार-विमर्श में कुछ प्रश्न उपस्थित हुए जो कि एक समस्या का रूप धारण करते हैं वे समस्याएँ अथवा वे प्रश्न निम्नलिखित हैं-

1) पाठ्यवस्तु के चयन की सांस्कृतिक उपयोगिता कितनी है?

2) कुछ तत्त्व सदैव उपयोगी नही रहते हैं। अतः उन्हें पाठ्यचर्या में सम्मिलित करना कितना सार्थक है?

3) हमेशा पाठ्यवस्तु उपयोगी नहीं होती सिर्फ उनका आधार छात्रों की रुचियों तक ही सीमित रहता है।

4) प्रायः सामाजिक समस्याओं को पाठ्यवस्तु के माध्यम से पाठ्यचर्या में सम्मिलित नहीं किया जा सकता इसका कारण यह है कि नित्य नयी समस्याएँ उपस्थित होती हैं।

5) विषय वस्तुओं में आपस में सामन्जस्य नहीं बैठ पाता है।

6) विषय वस्तु से छात्रों की प्रकृति का पता नहीं चल पाता है। अतः पाठ्यचर्या चयन में समस्या आती है।

7) छात्रों हेतु वर्तमान आवश्यकताएँ व समस्याएँ तथा भावी आवश्यकताओं व समस्याओं को समझना कठिन कार्य है।

8) छात्रों के लिए पाठ्यवस्तु की कितनी उपयोगिता है, यह अनुभव सरल नहीं है।

9) विषय से सम्बन्धित कठिनाइयाँ आती हैं क्योंकि प्रत्येक विषय पाठ्यचर्या में आवश्यक होने पर भी उन्हें पाठ्यचर्या में स्थान देना सम्भव नहीं होता है।

10) व्यक्तिगत भिन्नताओं के कारण पाठ्यचर्या में विषयवस्तु में चयन की समस्या आती है।

अतः उपरोक्त समस्याएँ पाठ्यचर्या चयन में आती हैं जिसकी व्याख्या निम्नलिखित हैं-

1) छात्रों की प्रकृति सदैव अलग-अलग होती हैं। छात्रों की क्षमता, रुचियाँ, पारिवारिक स्थिति, आर्थिक स्थिति भिन्न-भिन्न होती है। एक बार पाठ्यचर्या निर्माण हो जाता है तो वह कई वर्षों के लिए उपयोगी होता है किन्तु इतने वर्षों में बालकों की प्रकृति बदलती रहती है। इस परिवर्तन की गति अति तीव्र होती है। अतः यह समस्या महत्त्वपूर्ण समस्या है।

2) छात्रों की वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जा सकता है किन्तु भविष्य की आवश्यकताओं के विषय में स्पष्टता नहीं होती है। इसी प्रकार वर्तमान समस्याओं का समाधान पाठ्यचर्या के माध्यम से कुछ सीमा तक हो सकता है किन्तु भविष्य में छात्रों की समस्याएँ कितनी बड़ी, किस स्तर की होंगी, यह कहना बहुत ही कठिन कार्य है। सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक, सामाजिक उन्नति के परिणामस्वरूप आवश्यकताएँ तथा समस्याओं में भी परिवर्तन आता है। इस कारण विभिन्न सामाजिक विषयों का अध्ययन, विश्लेषण तथा नए अनुसंधानों की आवश्यकता अनुभव की जा रही है।

3) प्रत्येक व्यक्तियों की कुछ विशेषताएँ होती हैं। यदि विशेषताएँ व्यक्तियों की भिन्नताएँ भी होती हैं। इसी प्रकार प्रत्येक छात्र की अलग-अलग रुचियाँ, आदतें, आवश्यकताएँ, क्षमताएँ, योग्यताएँ होती हैं। इस प्रकार पाठ्यचर्या निर्माण समिति के सदस्यों तथा शिक्षाविदों के लिए यह समस्या का विषय रहा है क्योंकि पाठ्यचर्या तो सभी के लिए समान ही बनाई जाती है। अतः यह एक व्यापक समस्या है।

4) जनतन्त्र की शिक्षा देना भी शिक्षा का आवश्यक अंग है। पाठ्यचर्या निर्माण के समय जनतन्त्रीय समाज व नागरिकता के गुणों की शिक्षा देना आवश्यक है। यद्यपि पाठ्यवस्तु में चयन के समय कठिनाइयाँ भी आती हैं।

5) भारत एक बहुत उन्नत देश नहीं है। इसके कई कारण हैं, शिक्षा में कमी, गरीबी, जनसंख्या में वृद्धि, जागरूकता में कमी आदि। इस समस्या का समाधान करने के लिए कई उपायों की आवश्यकता है। इसके लिए पाठ्यचर्या में विज्ञान, आधुनिक विषयों, तकनीकी आदि को महत्त्वपूर्ण स्थान देना आवश्यक है। ऐसे में पाठ्यचर्या निर्माताओं तथा शिक्षाविदों के बीच में संतुलन बनाए रखना एक समस्या है।

6) शिक्षा में प्रत्येक स्तर पर शिक्षण आवश्यक है क्योंकि हर स्तर पर बालक का विकास अलग-अलग होता है। प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च स्तर पर शिक्षण प्रक्रिया भी अलग-अलग होती है। इनकी ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता भी अलग-अलग होती है। इस प्रकार पाठ्यचर्या चयन में अलग-अलग स्तर पर पाठ्यवस्तु रखना कठिन है। विभिन्न स्तरों पर एक ही उद्देश्यों की पूर्ति करना समस्या ही है।

7) ज्ञान की विशालता तथा असीमितता के कारण छोटी सी अन्तर्वस्तु का चयन करने की समस्या अति विकट है। प्रत्येक विषय की अपनी विशेषता होती है। इसी कारण पाठ्यचर्या निर्माता सीमा में बंध जाता है। इतनी अधिक सामग्री होने के कारण वह दुविधा में रहता है कि किस तत्त्व को पाठ्यचर्या में सम्मिलित किया जाए व किस को नहीं।

8) पाठ्यचर्या निर्माताओं को पाठ्यवस्तु की उपयोगिता की जानकारी होने के कारण भी यह समस्या आती हैं। कई बार इससे जुड़े विवादों के कारण उसे इन तत्त्वों को पाठ्यचर्या में रखने में समस्या आती है।

अतः पाठ्यचर्या निर्माण करने वाले सदस्यों को उपर्युक्त समस्याओं का सामना करना पड़ता था।

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