![कपड़ों पर डिजाइन उतारने की विधियाँ | Methods of embroidering designs on clothes in Hindi 1 कपड़ों पर डिजाइन उतारने की विधियाँ | Methods of embroidering designs on clothes in Hindi](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2023/01/QUIZSANSAR-compressed-scaled.jpg)
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कपड़ों पर डिजाइन उतारने की विधियाँ | Methods of embroidering designs on clothes in Hindi
![कपड़ों पर डिजाइन उतारने की विधियाँ | Methods of embroidering designs on clothes in Hindi 2 कपड़ों पर डिजाइन उतारने की विधियाँ | Methods of embroidering designs on clothes in Hindi](https://quizsansar.com/wp-content/uploads/2023/01/QUIZSANSAR-compressed-1024x576.jpg)
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कपड़ों पर डिजाइन उतारने की विधियाँ | Methods of embroidering designs on clothes
डिजाइन को कपड़े पर उतारना कोई सरल बात नहीं है। डिजाइन उतारते समय बड़ी सावधानी की आवश्यकता होती है। डिजाइन की रेखाएँ यदि टेड़ी-मेढ़ी होंगी तो कढ़ाई करने वाले को असुविधा होगी तथा कढ़ाई भी सुन्दर नहीं हो पायेगी। डिजाइन की रेखाएँ स्पष्ट होनी चाहिए ताकि कढ़ाई वाले की आँखों पर जोर न पड़े।
डिजाइन उतारने में कई विधियों प्रयुक्त की जाती हैं। उनमें मुख्य विधियाँ निम्नानुसार हैं-
1. कार्बन द्वारा – यह विधि सरल एवं सर्वोत्तम है। कपड़े के जिस स्थान पर डिजाइन उतारनी हो वहीं कार्बन कागज को उल्टा रखकर को उल्टा रखकर कपड़े, कार्बन कागज व डिजाइन को एक साथ पिन कर दो और पेंसिल से डिजाइन की रेखाएँ उतार लो। कपड़े पर डिजाइन अक्स हो जायेगा।
2. गेरू अथवा पेंसिल की कालिख द्वारा- डिजाइन के कागज की उल्टी और रेखाओं पर पिसा हुआ गेरू या पेंसिल की कालिख अच्छी तरह मूल दो तत्पश्चात् कागज को सीधी ओर यथास्थान रखकर पिन के द्वारा स्थिर कर और रेखा पर पेंसिल चलाओ। इस प्रकार भी डिजाइन की रेखाएँ कपड़े पर दिखायी देंगी। रेखाएं शीघ्र ही न मिट जायें, इसलिए उस पर पेंसिल चला दो ।
3. डिजाइन की रेखाओं पर पिन से छिद्र हुए डिजाइन की रेखाओं पर महीन पिसा हुआ कोयला एक मलमल के कपड़े में पोटली बाँधकर फेरों कोयले के स्थान पर छिद्रों के ऊपर नील 1 च स्पिरिट का घोल भी हुई की सहायता से लगाया जा सकता है। इस प्रकार नमूने की रेखाएँ कपड़े पर अंकित हो जाती हैं। रेखाओं को स्पष्ट करने के लिए पेंसिल फेर देनी चाहिए ।।
कभी-कभी कढ़े हुए कपड़े से दूसरे कपड़े पर काढ़ने के लिए डिजाइन उतारने की आवश्यकता पड़ जाती है। इसके लिए निम्नलिखित विधि प्रयुक्त की जाती है।
कढ़े हुए नमूने के ऊपर दूसरे कपड़े के उस भाग को स्थिर करो, जहाँ डिजाइन काढ़ना हो ।
एक फूल या काँसे की कटोरी को डिजाइन पर रगड़ो। कटोरी रगड़ने से हल्की-हल्की रेखाएँ कढ़ाई करने वाले कपड़े पर उभर आती हैं। इन रेखाओं को अधिक स्पष्ट करने के लिए उन पर पेंसिल चला दो।
कढ़ाई करने के सम्बन्ध में निम्न बातों का ध्यान रखने से कढ़ाई की कृतियाँ उच्च कोटि की तथा अधिक आकर्षक होती हैं।
कपड़े के प्रकार के आधार पर डिजाइन का चुनाव निर्भर करता है। परदे व चादर का डिजाइन ट्रे क्लॉथ के डिजाइन से भिन्न होगा। साड़ी के डिजाइन और पिनेफोर या बिब के डिजाइन में अन्तर होगा। डिजाइन के चुनाव के साथ-साथ वस्त्र पर डिजाइन की स्थिति का भी ध्यान रखना पड़ता है यत्र-तत्र यदि कहीं भी डिजाइन काढ़ दिया जाये तो कभी-कभी वस्त्र फूहड़ता का प्रतीक बन जाता है।
कढ़ाई में रंगों का उपयुक्त मेल बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इस विषय में दक्षमता तो अनुभव से प्राप्त होती है परन्तु यहाँ इतना बताना उपयुक्त होगा कि सामान्यतः स्वाभाविक रंगों के प्रयोग से ही प्रभावकारी परिणाम प्राप्त होते हैं। जैसे— गुलाब सफेद, गुलाबी व लाल रंग से और पत्तियाँ, पत्तियों के प्राकृतिक हरे रंग में ही बनायी जायें।
कढ़ाई करने के उपकरण उपयुक्त होने चाहिए। सुई नुकीली और चिकनी होगी तो कढ़ाई अच्छी होगी। सुई अच्छे धातु की बनी होगी तो उसे जंग नहीं लगेगा। कपड़े की मोटाई पर सुई की मोटाई निर्भर करती है। बारीक या गफ कपड़े में पतली तथा मोटे कपड़े के लिए मोटी सुई उपयुक्त होती रहती है। कैंची भीतेज और नुकीली हो । फ्रेम की कढ़ाई के लिए आवश्यक उपकरण है। इससे कढ़ाई में झोल नहीं पड़ते।
उत्तम कढ़ाई के लिए कपड़ा व धागा भी उपयुक्त होना चाहिए। उनके रंग भी मेल खाते हो तो कढ़ी हुई वस्तु बहुत आकर्षक हो जाती है। उनके रंग पक्के हो अन्यथा धुलने पर वस्त्र बिगड़ जायेगा।
कढ़ाई करने में गाँठों का प्रयोग भद्दा लगता है। टाँके बराबर नाप के हों और समान दूरी पर हों, अधिक ढीले या अधिक कसे हुए न हों तो तभी कढ़ाई सुन्दर होगी। साधारणतः रेशमी धागा ही कढ़ाई में प्रयोग किया जाता है। जैसे– D.M.C. की लच्छियाँ या सिल्कों धागा जो चमकदार सूती धागा होता है। सूती कपड़े के लिए सूती धागा अधिक उपयुक्त होता है। इससे कढ़ा हुआ वस्त्र धुलता अच्छा है। परन्तु सिल्को बारीक कपड़े के लिए ठीक नहीं रहता। यह केवल 40 नम्बर का ही होता है। साटिन धागा इसलिए अधिक उपयुक्त माना जाता है क्योंकि यह 24, 40 और 60 नम्बरों का भी बनता है।
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