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ड्राफ्टिंग का अर्थ एंव इसके विभिन्न उपकरण | Meaning of drafting and its various tools in Hindi
ड्राफ्टिंग का अर्थ एंव इसके विभिन्न उपकरण | Meaning of drafting and its various tools in Hindi
ड्राफ्टिंग का अर्थ एंव इसके विभिन्न उपकरण | Meaning of drafting and its various tools in Hindi
ड्राफ्टिंग का अर्थ एंव इसके विभिन्न उपकरण | Meaning of drafting and its various tools in Hindi

ड्राफ्टिंग के लिये आवश्यक वस्तुयें कौन-कौन सी है? 

वस्त्रों की सिलाई करने से पहले, उसका खाका बना लेना चाहिये। इस खाके को ही ड्राफ्ट और खाका बनाने की प्रक्रिया को ड्राफ्टिंग कहते है। ड्राफ्ट बनाना एक कला है। ड्राफ्ट बनाने में वस्त्र की नाप को ड्राफ्ट बनाये जाने वाले कागज के आकार के अनुसार छोटा करना पड़ता है। इसके लिए सेमी. में एक विशिष्ट पैमाना मानकर ड्राफ्ट तैयार करना चाहिए। तुरपन आदि को भी ड्राफ्ट बनाते समय ध्यान में रखना चाहिए।

ड्राफ्टिंग उपकरण

(1) कटिंग टेबल – कपड़े की कटाई के विभिन्न व्यवहार किया जाने वाला टेबल ‘कटिंग टेबल’ कहलाता है। रेखांकन के निमित्त भी टेबल का होना आवश्यक है। रेखांकन कार्य दीर्घ अभ्यास पर आधारित होता है। घरेलू स्तर पर एक ही टेबल से दोनों कार्य किए जा सकते हैं। रेखांकन टेबल तथा कटिंग टेबल की बनावट विशेष प्रकार की होती है। इसकी सतह चिकनी, बिना जोड़ वाली होनी चाहिए, जिससे सीधी रेखाएँ खींचने में व्यवधान नहीं होने पाए। इनकी लम्बाई कम से कम पाँच फीट होती हैं, जो पेंट, हाउस कोट, नाइटी जैसे लम्बे कपड़ों की रेखांकन के लिए उचित हो । रेखांकन टेबल की चौड़ाई ढाई से तीन फीट रहती है। रेखांकन टेबल की ऊँचाई साधारण टेबल से अधिक होती है, जिससे रेखांकन या कटाई करते समय झुकना नहीं पड़े। कटिंग या रेखांकन टेबल के नीचे दराज होने चाहिए। इनमें सिलाई में प्रयुक्त होने वाले आवश्यक सामान रखे जा सकते हैं।

(2) रेखक- सिलाई-क्रिया के अन्तर्गत रेखांकन के निमित्त व्यवहार किया जाने वाला रेखक एक फुट का होता है। इस पर बारह इंच के सूचक-चित्र अंकित रहते हैं। प्रत्येक इंच आठ विभागों में विभक्त रहता है। ये विभक्तियाँ मापक फीते के समकक्ष होती हैं। रेखक लकड़ी, धातु या प्लास्टिक के बने होते हैं। रेखांकन करते समय इनकी सहायता से रेखाएँ खींची जाती हैं।

(3) टेलर्स स्क्वायर या ‘एल’ स्क्वायर – रेखांकन में टेलर्स स्क्वायर या ‘एल’ स्क्वायर का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। यह अंग्रेजी के ‘L’ अक्षर के आकार का होता है, ‘इसलिए इसे ‘L’ स्क्वायर भी कहते हैं। इसका एक हिस्सा 12″ का तथा दूसरा हिस्सा 20″ या 24″ का होता है। समकोण खींचने में टेलर्स स्क्वायर का उपयोग किया जाता है। इसके मध्य में गोलाकार आकृति खींचने के निमित्त विशेष आकार बना हुआ रहता है। टेलर्स स्क्वायर पर इंच के निशान भी बने रहते हैं। पैंट, पायजामा, कोट आदि बड़े वस्त्र काटने में टेलर्स स्क्वायर का विशेष रूप से व्यवहार किया जाता है।

( 4 ) टेलरिंग कार्य – सुन्दर कटाई के निमित्त आकृतियों का सुन्दर रेखांकन आवश्यक है। इसके लिए सही सूचक रेखाएँ आवश्यक हैं। सुन्दर आकृतियाँ खींचने के लिए गृहिणी का चित्रकारी जानना आवश्यक नहीं। टेलरिंग कर्व द्वारा रेखांकन अत्यन्त सहज हो जाता है। इसे फ्रेंच कर्व भी कहते हैं।

(5) टेलर्स चॉक – कपड़े पर चिन्ह लगाने के निमित्त विशेष प्रकार के चॉक मिलते हैं। इन्हें टेलर्स चॉक के नाम से जाना जाता है। ये साबुन की बट्टी की तरह मुलायम होते हैं तथा बाजारों में कई रंगों में उपलब्ध हैं। किसी भी रंग के कपड़े पर रेखांकन चिन्ह देने के लिए विपरीत रंग के चॉक का उपयोग किया जाता है जिससे चिन्ह स्पष्ट दिखाई दें। मुलायम होने के कारण ये कपड़े पर आसानी से चलते हैं। इन्हें आसानी से मिटाया भी जा सकता है।

(6) पिनें तथा पिन कुशन- कपड़े पर कागज से नमूना उतारते समय पिनें काम आती हैं। सिलाई करते समय भी कपड़ों की तहों को इनकी सहायता से एक साथ रखा जाता है। विशेषकर कृत्रिम तथा रेशमी कपड़ों के निमित्त पिनों का उपयोग किया जाता है क्योंकि ये कपड़े अधिक ट्रायल के समय अतिरिक्त कपड़े को दबाने के लिए पिनों की आवश्यकता होती है। पिनें 1-1/4″ से 1-1/8″ तक की रखनी चाहिए। कपड़े पर लगाने वाली पिनें स्टेनलेस स्टील की होती हैं तथा इनकी नोक अत्यन्त पतली होती है। पतली नोक के कारण कपड़े पर छेद नहीं होता । पिनों को रखने के निमित्त पिन कुशन का उपयोग किया जाता है।

(7) कार्बन पेपर – नमूनों को उतारने के लिए कार्बन पेपर की आवश्यकता होती है। ये दो प्रकार के होते हैं। टाइपिंग वाले कार्बन पेपर का उपयोग नमूना उतारने के निमित्त नहीं किया जाता है। इसके लिए पेंसिल कार्बन का व्यवहार किया जाता है।

(8) मार्किंग ह्वील या ट्रेसिंग ह्वील – यह एक प्रकार का काँटेदार चक्र हो है। कपड़े पर नमूने उतारने तथा सिलाई के चिन्ह लगाने के निमित्त इसका उपयोग किया जाता है। ये निशान पतले कागज पर ऑफ पेपर पर दे दिये जाते हैं। निशान वाले कागज को कपड़े पर रखकर, रेखाओं ऊपर मार्किंग ह्वील या ट्रेसिंग ह्वील चला देने से निशान कपड़े पर आ जाते हैं। कढ़ाई के नमूने उतारने के निमित्त भी इनका उपयोग किया जाता है।

( 9 ) भूरा कागज- सिलाई के नमूने पहले बड़े भूरे कागज पर रेखांकित किए जाते हैं। नमूनों को बनाने के निमित्त बड़े भूरे कागजों का उपयोग किया जाता है। ये कागज साधारण कागज की अपेक्षा मोटे होते हैं और शीघ्र फटते नहीं।

(10) कागज पर बने नमूने- बाजार में कपड़े काटने के निमित्त कागज पर बने हुए नमूने बिकते हैं। इन नमूनों के साथ परिधान का तैयार रूप भी दिया रहता है। नमूने की नाप में अपनी आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है। इस प्रकार के कागज नमूनों की सहायता में सही फिटिंग के वस्त्र बन जाते हैं। नमूने बनाने के निमित्त मोटे तथा मजबूत कागज का उपयोग किया जाता है, जिससे उनका उपयोग बार-बार किया जा सके।

( 11 ) टेल्स स्केल – यह लड़की, प्लास्टिक या धातु का बना होता है। इस पर सेंटीमीटर तथा इंच सूचक अंक होते हैं। इसकी लम्बाई साठ सेंटीमीटर या चौबीस इंच होती है। इसकी आकृति एक ओर सपाट तथा दूसरी ओर घुमावदार होती है। कॉलर को आकार देने के निमित्त इसका उपयोग किया जाता है। कपड़े पर बड़ी रेखाएँ टेलर्स स्केल की सहायता से खींची जाती हैं।

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भारत के परम्परागत वस्त्र एवं वेषभूषा | Traditional clothes and costumes of India in Hindi
भारत के परम्परागत वस्त्र एवं वेषभूषा | Traditional clothes and costumes of India in Hindi
भारत के परम्परागत वस्त्र एवं वेषभूषा | Traditional clothes and costumes of India in Hindi
भारत के परम्परागत वस्त्र एवं वेषभूषा | Traditional clothes and costumes of India in Hindi

भारत के परम्परागत वस्त्र एवं वेषभूषा (Traditional clothes and costumes of India) 

भारत के परम्परागत वस्त्रों में से कुछ वस्त्र जिनकी प्रसिद्धि विश्व के कोने-कोने में थीं, वे निम्न प्रकार के हैं-

बंगाल

1. ढाका की मलमल – ढाका जो पूर्व भारत की ही एक अंग था, अब बांग्लादेश की राजधानी हो गया है। यहां विश्व की सबसे सूक्ष्म एवं बारीक मलमल के वस्त्र बनाये जाते थे, जिसके समान आज तक वैसा मलमल वस्त्रों का निर्माण विश्व के किसी भी देश से नहीं हो पायी है।

ढाका के मलमल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि पूरे थान को केवल एक छोटी सी अंगूठी में से निकाला जा सकता है। इसी तरह एक और कहावत है कि ढाका की मलमल के पूरे थान को दियासलाई की डिब्बी में रखा जा सकता था। पूरे मेहनत एवं लगन के साथ यदि बुनकर काम करता था तो वह केवल 5 गज वस्त्र ही 5 महीने में बुन कर तैयार कर पाता था। वस्त्रों के गुण, उसकी सुन्दरता, अलौकिकता एवं उत्कृष्टता के आधार पर कलाकार उन्हें कई प्रकार के सुन्दर-सुन्दर नामों से अंलकृत करते थे। जैसे— आब-ए-खां या बहता पानी, वफ्ते हवा यानि हवा से भी हल्का शबनम (ओस) मलमल खास । यह सभी वस्त्र ढाका ही मलमल के विभिन्न प्रकार है।

ढाका की सबसे महीन मलमल, मलमल खास है। इसमें इसकी बानों की संख्या, 1,000 से 1,800 तक हुआ करती थी ।

2. ढाका की साड़ियाँ – ढाका की मलमल की तरह ही ढाका की साड़ियाँ विश्व में काफी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी है। यहां की साड़ियाँ कला के उत्कृष्ट नमूने होती थी। ये साड़ियाँ अत्यन्त हल्की बारीक कोमल एवं सूक्ष्म धागों से निर्मित होती थी। जिसकी सुन्दरता ऐश्वर्यता एवं अलौकिकता की बराबरी की कोई दूसरी साड़ियां नहीं थी। सोने-चाँदी के तारों से जड़ी ये साड़ियां “जामदानी” कहलाती थी । ढाका की साड़ियों में बोर्डर पर पशु-पक्षी, मोर, हंस, उड़ती चिड़िया, कृत्य करती मानव आकृतियाँ आदि के नमूने बने होते हैं इन्हीं सोने-चाँदी के तारों से बने हुए नमूने बने होते हैं, इन्हीं सोने-चाँदी के तारों से बने हुए नमूने युक्त, साड़ियों को जामदानी कहा जाता था। जामदानी काफी लोकप्रिय थी।

ढाका की साड़ियों पर विभिन्न आकार-प्रकार के नमूने बनाये जाते थे। जब साड़ियों पर तिरछी लाइनें डालकर नमूने बनाये जाते थे। जब साड़ियों पर तिरछी लाइने डालकर नमूने बनाये जाते थे। तो इसे ‘तेरछा’ कहा जाता था। जब साड़ी के सम्पूर्ण भाग पर ‘बूटे’ बनाये जाते थे तो इसे “बूटेदार” साड़ियाँ कही जाती थी । “पन्ना हजारे” यहाँ की काफी प्रसिद्ध साड़ियाँ थी। फूलों के गुच्छे वाले नमूनों की साड़ियाँ ही “पन्ना हजारे” कहलाती थी। फूलों के जाल वाले नमूने से व्यक्त साड़ियाँ “जतार” कहलाती थी। ‘छोटे-छोटे फूल-पत्तियों वाली डिजाईन वाली साड़ियाँ “फुलवार” तथा बड़े-बड़े फूल पत्तियों वाली नमूने से बनी साड़ियाँ “तारेदार” कहलाती थी। साड़ियों के आंचल एवं बोर्डर अत्यन्त ही सुन्दर-सुन्दर नमूनों से सजे होते थे।

वर्तमान समय में भी ढाका में साड़ियाँ बनती हैं पर अब उनमें पहले की तरह विशेष आकर्षण सुन्दरता एवं अलौकिकता देखने को नहीं मिलती है।

3. चंदेरी साड़ियाँ – मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पास चंदेर स्थान में निर्मित साड़ियाँ कहलाती है। चंदेरी साड़ियाँ चंदेरी साड़ियाँ कहलाती है। चंदेरी साड़ियाँ अपनी बारीख सूक्ष्मता, कोमलता एवं उत्कृष्टता के लिये सम्पूर्ण विश्व प्रसिद्ध थी।

चंदेरी साड़ियाँ अधिकांशतः सूती होती है जिससे बोर्डर एवं आंचल पर सिल्क अथवा सुनहरी धागों से सुन्दर-सुन्दर नमूने बने होतें हैं जो दोनों ओर से दो अलग-अलग रंगों अथवा एक ही रंग के सिल्क के धागों से निर्मित होते हैं। कुछ चंदेरी साड़ियों की लम्बाई व मीटर तक रखी जाती है जिसे महाराष्ट्र की महिलायें अत्यधिक पसन्द करती है। आजकल चंदेरी साड़ियों की लम्बाई व मीटर तक रखी जाती है जिसे महाराष्ट्र की महिलायें अत्यधिक पसन्द करती हैं। आजकल चंदेरी साड़ियां पूरी तरह से रेशमी धागे से बनायी जाती है है जिसे “चंदेरी सिल्क साड़ी” कहते हैं।

इसकी सुन्दरता, ऐश्वर्यता, अलौकिकता एवं कोमलता देखते ही बनती है। आज भी चंदेरी में अत्यन्त सुन्दर आकर्षक एवं कलात्मक साड़ियाँ बनती है। जिनके बोर्डर एवं पल्लू के नमूने अत्यन्त सुन्दर होते हैं।

4. बालूचर साड़ियाँ — मुर्शिदाबाद के समीप बोलूचर स्थान में निर्मित होने वाली साड़ियों “बालूचर बूटीदार साड़ियाँ” कहलाती थी। इन साड़ियों के मध्य भाग में छोटे-छोटे बूटे अथवा अन्य छोटे-छोटे नमूने होते थे, जैसे— फूल-पत्ती, पशु-पक्षी मानव आकृतियाँ आदि से साड़ियाँ हस्तकरघा से तैयार की जाती थी जिसकी बोर्डर एवं पल्लू पर उत्कृष्ट नमूने बने होते हैं। बालूचर की साड़ियों में मुगलकाल का प्रभाव भी झलकता था जैसे— फूल सुंघती बेगम, हुक्का पीते सामंत, पारसी-ईरानी परिधानों में घोड़े पर सवार सामंत नृत्य करती।

मानव-आकृतियाँ इत्यादि। बालूचर साड़ियों का अत्यधिक उपयोग हिंदू स्त्रियों द्वारा किया जाता था। आजकल बालूचर बूटीदार साड़ियाँ विलुप्त हो गई है। परन्तु इन्हें अभी भी संग्रहालयों में सुरक्षित देखा जा सकता है।

आज भी बालूचर में सुन्दर एवं आकर्षक साड़ियाँ बनती है परन्तु पहले की साड़ियों की तरह आज की साड़ियों में सौन्दर्य एवं आकर्षण देखने को नहीं मिलती है। गुजरात के परम्परागत पटोला एवं बांधनी हैं-

5. पटोला – काठियावाड़ एवं गुजरात में निर्मित साड़ियाँ “पटोला” कलाती थी। काठियावाड़ के निकट “पट्टन” नामक स्थान को ही “पटोला” का जन्म स्थान माना जाता है। पटोला साड़ियां शादी-विवाह के शुभ अवसर विशेष रूप से पहनी जाती थी। इसकी प्रसिद्धि दूर- दूर के देशों तक विख्यात थी। आज भी गुजरात में पटोला साड़ियाँ तैयार की जाती है। जिसे स्त्रियाँ शादी-विवाह के शुभ अवसर पर विशेष उत्साह एवं उल्लास के साथ पहनती है। आज तक पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के अन्य स्थानों जैसे- सूरत, बम्बई, अहमदाबाद एवं उड़ीसा में भी होने लगा है सम्बलपुर की साड़ियां भी पटोला, डिजाइन के आधार पर बनने लगी है। साड़ियों के अलावा चुन्नी, पर्दे चादर, बेडशीट आदि भी इस तकनीक से बनाये जाने लगे हैं।

पटोला वस्त्र में मुख्य रूप से परम्परागत नमूने ही बनाये जाते थे, जैसे— नृत्य करती स्त्रियाँ फूल पत्तियां टोकरी, हाथी, घोड़ा, डायमण्ड, पक्षी इत्यादि। नमूने के आधार पर पटोला को भी विभिन्न नामों से अलंकृत किया गया है। जैसे-

1. फुलवारी फूलों के गुच्छे वाले नमूनों को फुलवारी कहा जाता

2. बाघ कुंजर, 3. नारी-कुंजर कहा जाता है।

6. बाँधनी – प्राचीन समय से ही बांधनी की साड़ियाँ, चुनरी ओढ़नी चादरें आदि काफी प्रसिद्ध थी। बांधनी का कार्य मुख्यतः गुजरात, राजस्थान, काठियावाड़ एवं सिंहा में होता था। राजस्थान की “बाधनी” की साड़ियां एवं चुनरी बहुत ही लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध थी। इसकी प्रसिद्धि विश्व के दूर-दूर के देशों में फैली हुई थी। आजकल ‘बांधनी” कला से वस्त्रों की सुभारत के अन्य स्थानों में भी होने लगा है।

“बांधनी” साड़ियाँ शादी-विवाह के अवसरों पर अत्यधिक उल्लास एवं उत्साह के साथ पहना जाता है। इन साड़ियाँ को विवाहिता के लिए मंगलमय एवं सौभाग्यसूचक व शुभ माना जाता है। रंग-बिरंगे चटकील एवं तेज रंगों से सजे बांधनी साड़ियां तरुणाई एवं उल्लास के प्रतीक माने जाते हैं।

7. ब्रोकेड— “ब्रोकेड” अंग्रेजों के द्वारा दिया गया सामूहिक वस्त्रों का नाम है। प्रारम्भ में ब्रोकेड वस्त्रों को “कम रत्वाव” ही कहा जाता ता । ब्रोकेड वस्त्रों की सम्पूर्ण सतह रेशमी धाग से निर्मित होती थी तथा सोने-चांदी के तारों से इस प्रकार के सजाया जाता था इसकी भीतरी सतह पूरी छिप जाती थी तथा उत्तरी सतह पर सुनहरे नमूने ही दिखाई देते थे। ब्रोकेड वस्त्र काफी बहुमूल्य होते थे।

8. रुचि के अनुरूप वस्त्रों का चयन- व्यक्तियों की अपनी अपनी पसन्द होती है। कुछ व्यक्ति जार्जेंट व सूती वस्त्र अधिक पसन्द करते हं जबकि कुछ ब्रोकेड व रेशमी वस्त्र पहनना अच्छा समझते हैं।

9. वस्त्र की मजबूती- वस्त्र का चयन करते समय मजबूती एवं टिकाऊपन को भी देख लेना जरूरी है। मजबूत वस्त्र हही ज्यादा दिन तक अच्छी सेवाएं दे सकते हैं तथा इन पर लगाया गया सामन्त धन की सही उपयोग हो पाता है। वस्त्र खरीदते समय इसकी रचना पर पूरा बल देना चाहिए। ताने-बाने के धाके पास-पास, घने-घने और सटे होने चाहिए। वस्त्र मजबूत होने के साथ-साथ कोलम भी होनी चाहिए ताकि पहनने पर त्वचा को सुखद एवं आरामदायक लगे।

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ई-गवर्नेस का महत्व | Significance of E-Governance in Hindi
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ई-गवर्नेस का महत्व (Significance of E-Governance)

आईसीटी अनुप्रयोग लोक प्रशासन प्रणालियों की संरचनाओं पर प्रभाव डालते हैं। तकनीकी प्रगति निम्नलिखित को सक्षम करके प्रशासनिक प्रणालियों को सुगन बनाती है। प्रशासनिक विकास और प्रभावी सेवा वितरण।

(1) प्रशासनिक विकास (Administrative Development ) – प्रशासनिक सुधारों ने अक्सर प्रक्रियात्मक विवरण और सरकारी संगठनों की प्रणालियों और प्रक्रियाओं के पुनर्गठन पर ध्यान केंद्रित किया है। इन सुधारों का मूल उद्देश्य प्रणालियों की क्षमता को बढ़ाना है। आईसीटी का उपयोग किया जा सकता है और इस प्रक्रिया को और गति देने के लिए अब उपयोग किया जा रहा है। वे निम्नलिखित तरीकों से मदद करते हैं:

(a) प्रशासनिक प्रक्रियाओं का स्वचालन (Automations of Administrative Processes) – वास्तव में ई- शासित प्रणाली के लिए न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी और यह प्रणाली संचालित होगी। जबकि शुरू में जो समाधान पेश किए गए थे, वे खराब सूचना लेआउट, अपर्याप्त नेविगेशन प्रावधान, सेवाओं में सामयिक व्यवधान, आवधिक पुरानी सामग्री और बहुत कम या कोई ‘बैक ऑफिस’ समर्थन के साथ काफी आदिम थे। हालांकि, तकनीकी प्रगति और नागरिकों के बढ़ते दबाव ने इन क्षेत्रों में को प्रेरित किया है। अब प्रशासनिक विभागों को कम्प्यूटरीकृत कर नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा गया है। संचालन में दक्षता सुनिश्चित करने वाले सरकारी विभागों के आसपास सॉफ्टवेयर बनाया और डिजाइन किया गया है। विभागों ने अपने-अपने विभागों की जानकारी रखने वाली अलग-अलग वेबसाइटें लॉन्च की हैं।

इसने ऑनलाइन संचालन और फाइल संचलन को सक्षम किया है। बजट बनाना, लेखांकन, डेटा प्रवाह आदि आसान हो गया है। इससे कार्यालय संचालन और प्रक्रियाओं की दक्षता में वृद्धि हुई है और अनावश्यक देरी कम हुई है।

(b) कागजी काम में कमी (Paper Work Reduction ) – ऑटोमेशन का तत्काल प्रभाव कागजी कार्रवाई पर पड़ेगा। इलेक्ट्रॉनिक मार्ग के माध्यम से संचार को सक्षम करने और इलेक्ट्रॉनिक रूप में सूचना के भंडारण और पुर्नप्राप्ति के साथ कागजी कार्रवाई को काफी हद तक कम कर दिया गया है। यह सब ‘कम कागजी कार्यालय’ का उदय हुआ है। इस अवधारणा को एक कार्यालय की स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है जहाँ विभिन्न पदाधिकारियों के बीच सभी जानकारी फाइल और मेलॠ ऑनलाइन वितरित की जाती है। दुबे के शब्दों में, कम कागजी कार्यालय प्रभावी इलेक्ट्रॉनिक संचार प्रक्रियाओं का कार्यान्वयन है जो प्रजनन कार्यों और अनावश्यक कागजात को समाप्त करने में सक्षम बनाता है।

अवधारणा वह है जहाँ फाइलें और मेल द्धसूचनाऋ प्रत्येक कर्मचारी के डेस्क पर छोटे कम्प्यूटरों को तारों पर प्रेषित की जाती हैं। कार्यालय का काम, जैसे, फाइल मूवमेंट, नोटिंग आदि कम्प्यूटरीकृत है और प्रलेखन, रिपोर्ट तैयार करना, डेटाबेस अब कम्प्यूटर में बनाए रखा जाता है। लैन के माध्यम से इंटरकनेक्टिविटी के कारण, सूचना और फाइलों का हस्तांतरण ऑनलाइन होता है, इस प्रकार भौतिक आंदोलनों और खपत और कागज के विशाल ढेर के भंडारण को कम करता है।

(c) सेवाओं की गुणवत्ता (Quality of Services)- आईसीटी सरकारों को नागरिकों को अधिक जवाबदेही, जवाबदेही और संवेदनशीलता के साथ सेवाएँ देने में मदद करती है। सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है, क्योंकि अब लोग कुशलतापूर्वक और तुरंत सेवाएँ प्राप्त करने में सक्षम हैं। चूंकि लेन-देन और सूचनाओं की मात्रा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है और नेट और वेब के माध्यम से व्यापक क्षेत्र में वितरित किया जा सकता है, इसलिए कम से कम समय में, कम से कम लागत में, कम से कम कठिनाई में और अधिक सुविधा में गुणात्मक सेवाएँ संभव हो जाती हैं। शिकायतों का ऑनलाइन निवारण सुनिश्चित करके अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है। वे लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों के प्रति संवेदनशील हो गए हैं। वीडियो टेलीकांफ्रेंसिंग के माध्यम से निगरानी ने केंद्रीय निगरानी, रिपोर्टिंग और आमने-सामने संचार की सुविधा प्रदान की है जिससे अधिकारियों द्वारा प्रभावी सेवा वितरण का आश्वासन दिया गया है।

(d) पदानुक्रम का उन्मूलन (Elimination of Hierarchy) – ICT ने संगठन में पदानुक्रमित प्रक्रियाओं के कारण होने वाली प्रक्रियात्मक देरी को कम किया है। इंट्रानेट और लैन के माध्यम से, एक ही समय में संठन में विभिन्न स्तरों पर सूचना और डेटा भेजना संभव हो गया है। आईसीटी द्वारा सुगम किए गए कम्प्यूटरीकरण और संचार पैटर्न ने दक्षता में वृद्धि की है और निर्णय लेने में सभी स्तरों को शामिल किया है।

(e) प्रशासनिक संस्कृति में परिवर्तन (Change in Administrative Culture) – नौकरशाही संरचनाएँ क्विटर थॉम्पसन द्वारा उपयुक्त रूप से ‘ब्यूरो- पैथोलॉजी’ के रूप में वर्णित विशेषताओं से ग्रस्त हैं। नए लोक प्रशासन के दिनों से नौकरशाही के व्यवहार के रोगात्मक या दुष्क्रियात्मक पहलुओं से निपटने और सार्वजनिक सेवाओं के वितरण को प्रभावी और कुशल बनाने के तरीके खोजने के प्रयास किए गए हैं। ई-गवर्नेस के साथ, जनता की नजर में आने वाली सार्वजनिक कार्रवाई निश्चित रूप से प्रशासनिक संस्कृति में जवाबदेही, खुलेपन, अखंडता, निष्पक्षता, इक्विटी, जिम्मेदारी और न्याय के मानदंडों और मूल्यों को प्रेरित करेगी। बल्कि प्रशासन कुशल और उत्तरदायी बनेगा।

(2) प्रभावी सेवा वितरण (Effective Service Delivery) – आईसीटी लोगों को प्रभावी ढंग से सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आईसीटी सुनिश्चित करते हैं: वेब पर सूचना के प्रसार और प्रकाशन द्वारा पारदर्शिता। यह सूचना तक आसान पहुँच प्रदान करता है और बाद में सिस्टम को सार्वजनिक रूप से जवाबदेह बनाता है। साथ ही वेब सूचना के मुक्त प्रवाह को सक्षम बनाता है, इसे बिना किसी भेदभाव के सभी द्वारा आसानी से एक्सेस किया जा सकता है।

(a) आर्थिक विकास (Economic Development)- आईसीटी की तैनाती से लेनदेन की लागत कम हो जाती है, जिससे सेवाएँ सस्ती हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में बाजारों, उत्पादों, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, मौसम, आदि के बारे में जानकारी की कमी के कारण नुकसान होता है और यदि यह सब ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकता है तो इन क्षेत्रों में बेहतर और अधिक अवसर और समृद्धि आएगी।

(b) सामाजिक विकास (Social Development) – सूचना तक पहुँच नागरिकों को सशक्त बनाती है। जागरूक नागरिक भाग ले सकते हैं और अपनी चिंताओं को आवाज दे सकते हैं, जिन्हें कार्यक्रम परियोजना निर्माण, कार्यान्वयन, निगरानी और सेवा वितरण में समायोजित किया जा सकता है। वेब सक्षम भागीदारी हमारे सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करने वाले भेदभावपूर्ण कारकों का मुकाबला करेगी।

(c) सामरिक सूचना प्रणाली (Strategic Information System) – संगठनात्मक वातावरण में बदलाव और बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने पदाधिकारियों के प्रदर्शन पर दबाव डाला है। नियमित और साथ ही रणनीतिक निर्णय लेने के लिए सभी पहलुओं के बारे में जानकारी प्रबंधन को हर बिंदु पर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। आईसीटी ऐसी रणनीतिक सूचना प्रणाली को प्रभावी ढंग से स्थापित करने में सक्षम बनाता है।

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ई-गवर्नेस में निजी क्षेत्र का इंटरफेस | Private Sector Interface in E-Governance in Hindi
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ई-गवर्नेस में निजी क्षेत्र का इंटरफेस (Private Sector Interface in E-Governance)

निजी क्षेत्र क्या है? निजी क्षेत्र अर्थव्यवस्था का वह हिस्सा है जो व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा लाभ के लिए चलाया जाता है और राज्य नियंत्रित नहीं है। इसलिए, इसमें सभी लाभकारी व्यवसाय शामिल हैं जो सरकार के स्वामित्व या संचालित नहीं हैं।

निजी क्षेत्र की वस्तुओं और सेवाओं के उदाहरणों में ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाता, खाद्य दुकानें, मोबाइल फोन प्रदाता, कार डीलरशिप और उपभोक्ता सामान कंपनियाँ शामिल हैं, उदाहरण के लिए टीवी, फ्रिज और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम बेचने वाली कंपनियाँ ।

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सरकार के लिए व्यापार की अवधारणा से आप क्या समझते हैं? What do you mean the concept of business to Government? in Hindi
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सरकार के लिए व्यापार की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?

सरकार के लिए व्यापार की अवधारणा (Concept of Business To Government)

B2G वेबसाइटों का उपयोग सरकारों द्वारा विभिन्न व्यावसायिक संगठनों के साथ व्यापार और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। ऐसी वेबसाइटें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं और व्यवसायों को सरकार को आवेदन पत्र जमा करने के लिए एक माध्यम प्रदान करती हैं। बिजनेस-टू- गवर्नमेंट (B2G) एक बिजनेस मॉडल है जो सरकारों या सरकारी एजेंसियों को उत्पाद, सेवाएँ या जानकारी बेचने वाले व्यवसायों को संदर्भित करता है। B2G को B2A भी कहा जाता है, जो कि बिजनेस टू एडमिनिस्ट्रेशन है।

व्यवसाय-से-सरकारी ई-कॉमर्स या B2G को आम तौर पर कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच वाणिज्य के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह सार्वजनिक खरीद, लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं और सरकार से संबंधित अन्य कार्यों के लिए इंटरनेट के उपयोग को संदर्भित करता है। उदाहरण एजेंसियाँ व्यवसाय करों का भुगतान करता है, रिपोर्ट दर्ज करता है, या सरकार को सामान और सेवाएँ बेचता है। बिजनेस टू गवर्नमेंट (B2G) संघीय, राज्य या स्थानीय एजेंसियों को वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री और विपणन है। आधुनिक भाषा में, तीन बुनियादी व्यवसाय मॉडल हैं: व्यवसाय से उपभोक्ता (B2C), व्यवसाय से व्यवसाय (B2B), और व्यवसाय से सरकार (B2G) | B2G व्यवसाय का कोई मामूली हिस्सा नहीं है। अकेले संघीय सरकार ने 2020-2021. 1 में प्रति दिन $ 18.2 बिलियन और $42.6 बिलियन के बीच कहीं भी खर्च किया, विशेष रूप से, इसके व्यवसाय का एक हिस्सा छोटे व्यवसाय आपूर्तिकर्ताओं पर खर्च किया जाना चाहिए।

सरकार के लिए व्यापार को समझना (B2G) (Understanding Business to Government)

B2B व्यवसाय एक छोटे व्यवसाय जितना ही मामूली हो सकता है जो किसी नगर सरकार को सहायता सेवाएँ प्रदान करता है। या, यह बोइंग जितना बड़ा हो सकता है, जो अमेरिकी रक्षा विभाग (DoD) के लिए कई अन्य उत्पादों के बीच हेलीकॉप्टर, मिसाइल रक्षा प्रणाली, लड़ाकू जेट और निगरानी विमान बनाता है। संघीय स्तर पर, सामान्य सेवा प्रशासन (GSA) सरकार की आधिकारिक खरीद शाखा है, जो यू.एस. सरकार के लिए खरीदे गए उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला पर नियमों का विकास और कार्यान्वयन करती है।

व्यवसायों को सरकारी अनुबंध (Government contracts to Business)

(i) सरकारें आमतौर पर प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) के माध्यम से निजी क्षेत्र से सेवाएँ मांगती हैं।

(ii) GSA वेबसाइट, GSAAdvantage.gov, सरकारी एजेंसियों के लिए एक शॉपिंग पोर्टल है और संघीय सरकार द्वारा खरीदे गए उत्पादों की व्यापक चौड़ाई का एक विचार देती है।

(iii) आश्चर्य की बात नहीं है, संघीय, राज्य और स्थानीय खरीद आवश्यकताओं की भारी संख्या और सीमा को देखते हुए, इंटरनेट का एक पूरा क्षेत्र सरकारी एजेंसियों के लिए व्यवसायों का मिलान करने के लिए समर्पित है।

सरकार को व्यवसाय के लाभ और हानियाँ (B2G)

(i) ऐसे व्यवसाय जिनका उपयोग अन्य व्यवसायों के साथ या सीधे उपभोक्ताओं के साथ बातचीत करने के लिए किया जाता है, सरकारी एजेंसियों के साथ काम करते समय अक्सर अप्रत्याशित बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

(ii) सरकारें किसी परियोजना को स्वीकृत करने और उस पर काम शुरू करने में निजी कंपनियों की तुलना में अधिक समय लेती हैं। विनियमन की परतें अनुबंध प्रक्रिया की समग्र दक्षता पर खींच सकती हैं।

(iii) जबकि व्यवसायों को लग सकता है कि सरकारी अनुबंधों में अतिरिक्त कागजी कारवाई, समय और पुनरीक्षण शामिल है, सार्वजनिक क्षेत्र को सामान और सेवाएँ प्रदान करने के फायदे हैं।

(iv) सरकारी अनुबंध अक्सर निजी क्षेत्र के समान कार्य की तुलना में बड़े और अधिक स्थिर होते हैं। सफल सरकारी अनुबंध के इतिहास वाली एक कम्पनी को आमतौर पर अगला अनुबंध प्राप्त करना आसान लगता है।

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ई-शासन मॉडल क्या होते है? What are the E-Governance Models ? in Hindi
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ई-शासन मॉडल क्या होते है? What are the E-Governance Models ? in Hindi
ई-शासन मॉडल क्या होते है? What are the E-Governance Models ? in Hindi

ई-शासन मॉडल क्या होते है? 

ई-गवर्नेस के मॉडल (Models of E-Governance)

प्रो. डॉ. एरी हलाचमी ने अपने शोधपत्र, ‘ई-गवर्नमेंट थ्योरी एंड प्रैक्टिसः द एविडेंस फ्रॉम टेनेसी (यूएसए) में ई-गवर्नेस के पाँच महत्वपूर्ण मॉडल दिए हैं, जिन्हें ई-गवर्नेस के डिजाइन में एक गाइड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। स्थानीय स्थिति और शासन की गतिविधियों के आधार पर सरकारी पहल जो किए जाने की उम्मीद है। ये मॉडल हैं-

(1) प्रसारण मॉडल (Broadcasting Model) – मॉडल उपयोगी शासन सूचना के प्रसार / प्रसारण पर आधारित है, जो सार्वजनिक डोमेन में आईसीटी और अभिसरण मीडिया के साथ व्यापक सार्वजनिक डोमेन में है। मॉडल की ताकत इस तथ्य पर टिकी हुई है कि एक अधिक जागरूक नागरिक मौजूदा शासन तंत्र के कामकाज का न्याय करने और उनके बारे में एक सूचित राय बनाने में सक्षम है। नतीजतन, वे अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों का प्रयोग करने के लिए और अधिक सशक्त हो जाते हैं।

इस मॉडल का व्यापक अनुप्रयोग लोगों को सूचित राय बनाने और शासन प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए शासन क्षेत्र से संबंधित प्रासंगिक जानकारी प्रदान करके ‘सूचना विफलता स्थितियों को ठीक करता है। इसके अलावा, आईसीटी का उपयोग लोगों के लिए सूचनाओं तक पहुँचाने के साथ-साथ विभिन्न स्रोतों से मौजूदा जानकारी को मान्य करने के लिए एक वैकल्पिक चौनल खोलता है।

(2) ई-एडवोकेसी / मोबिलाइजेशन और लॉबिंग मॉडल (E-Advocacy / Mobilization and Lobbying Model)- यह मॉडल आभासी समुदायों द्वारा व्यक्त की गई राय और चिंताओं को जोड़कर वास्तविक दुनिया की प्रक्रियाओं की गति का निर्माण करता है। यह मॉडल वैश्विक नागरिक समाज को वैश्विक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं पर प्रभाव डालने में मदद करता है। यह वास्तविक दुनिया में कार्यों के पूरक के लिए मजबूत आभासी सहयोगियों के निर्माण के लिए सूचना के एक नियोजित, निर्देशित प्रवाह की स्थापना पर आधारित है।

आभासी समुदायों का गठन किया जाता है जो समान मूल्यों और चिंताओं को साझा करते हैं और ये समुदाय बदले में वास्तविक जीवन समूहों गतिविधियों के साथ जुड़ते हैं या ठोस कार्रवाई के लिए समर्थन करते हैं। इसलिए, यह आभासी समुदाय की विविधता बनाता है और नेटवर्किंग के इस आभासी रूप के माध्यम से विचार, विशेषज्ञता और संसाधन जमा होते हैं। इसके अलावा, यह भौगोलिक, संस्थागत और नौकरशाही बाधाओं से परे मानव संसाधनों और सूचनाओं को जुटाने और उनका लाभ उठाने और ठोस कार्रवाई के लिए इसका उपयोग करने में सक्षम है।

(3) क्रेटिकल फ्लो मॉडल (Critical Flow Model)- मॉडल लक्षित दर्शकों के लिए या आईसीटी और अभिसरण मीडिया के साथ व्यापक सार्वजनिक डोमेन में महत्वपूर्ण मूल्य की जानकारी प्रसारित चैनल करने पर आधारित है। इस मॉडल की ताकत यह है कि आईसीटी ‘दूरी’ और ‘समय’ की अवधारणा को निरर्थक बना देता है जब सूचना को डिजिटल नेटवर्क पर होस्ट किया जाता है, और इसका उपयोग महत्वपूर्ण जानकारी को तुरंत अपने रणनीतिक उपयोगकर्ता समूह को कहीं भी या इसके द्वारा स्थानांतरित करके लाभप्रद रूप से किया जा सकता है। इसे व्यापक सार्वजनिक डोमेन में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराना।

(4) तुलनात्मक विश्लेषण मॉडल (Comparative Analysis Model) – यह मॉडल विकासशील देशों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण मॉडल है और इसका उपयोग लोगों को सशक्त बनाने के लिए किया जा सकता है। अनिवार्य रूप से, मॉडल लगातार शासन के क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं को आत्मसात करता है और फिर उन्हें अन्य शासन प्रथाओं के मूल्यांकन के लिए बेंचमार्क के रूप में उपयोग करता है। इसके बाद यह परिणाम का उपयोग सकारात्मक परिवर्तनों की वकालत करने या इन शासन प्रथाओं पर ‘जनता’ की राय को प्रभावित करने के लिए करता है।

तुलना को अतीत और वर्तमान स्थिति का एक स्नैपशॉट प्राप्त करने के लिए समय के पैमाने पर किया जा सकता है या दो समान स्थितियों की तुलना करके हस्तक्षेप की प्रभावशीलता की तुलना करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मॉडल की ताकत विभिन्न सूचनाओं को संग्रहीत करने और सभी भौगोलिक और पदानुक्रमित बाधाओं में इसे तुरंत प्राप्त करने और प्रसारित करने के लिए डिजिटल नेटवर्क की अनंत क्षमता में निहित है।

(5) इंटरएक्टिव-सर्विस मॉडल (Interactive Service Model)- यह शासन प्रक्रियाओं में व्यक्तियों की प्रत्यक्ष भागीदारी के लिए मार्ग खोलता है और आईसीटी के माध्यम से निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक निष्पक्षता और पारदर्शिता लाता है। मूल रूप से, आईसीटी में प्रत्येक व्यक्ति को एक डिजिटल नेटवर्क में लाने और उनके बीच सूचना के इंटरैक्टिव (दो-तरफा) प्रवाह को सक्षम करने क्षमता है। इस मॉडल के तहत, सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सेवाएँ एक संवादात्मक तरीके से अपने नागरिकों को सीधे उपलब्ध हो जाती हैं।

यह शासन के विभिन्न पहलुओं, जैसे सरकारी अधिकारियों के चुनाव (ई-बैलट) में सरकार से उपभोक्ता के बीच एक संवादात्मक सरकार (G2C2G) चौनल खोलकर ऐसा करता है; विशिष्ट शिकायतों का ऑनलाइन निवारणय चिंताओं को साझा करना और विशेषज्ञता प्रदान करना विभिन्न मुद्दों पर जनमत सर्वेक्षणय आदि प्रो. डॉ. एरी हलाचमी ‘ई-गवर्नमेंट थ्योरी एंड प्रैक्टिस: द एविडेंस फ्रॉम टैनेसी, यूएसए’ से अनुकूलित। ई-गवर्नेस के मॉडल के बारे में हमारी चर्चा के बाद, अब हम देश में आईसीटी और ई-गवर्नेस के कार्यान्वयन के लिए कानूनी और नीतिगत ढांचे पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

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ई-गवर्नेस की अवधारणा | ई-गवर्नेस के चरण | ई-गवर्नेस और ई-गवर्नमेंट में अंतर
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ई-गवर्नेस की अवधारणा | ई-गवर्नेस के चरण | ई-गवर्नेस और ई-गवर्नमेंट में अंतर
ई-गवर्नेस की अवधारणा | ई-गवर्नेस के चरण | ई-गवर्नेस और ई-गवर्नमेंट में अंतर

ई-गवर्नेस की अवधारणा | ई-गवर्नेस के चरण | ई-गवर्नेस और ई-गवर्नमेंट में अंतर | Concept of E-Governance | Stages of E-Governance | E-Governance Vs E-Government

ई-गवर्नेस (E-Governance)

भारत आईटी क्रांति में सबसे आगे रहा है और लोक प्रशासन प्रणालियों पर इसका प्रभाव पड़ा है, जैसा कि हम इस इकाई में बाद में देखेंगे। वास्तव में, यदि आईसीटी की क्षमता का ठीक से उपयोग किया जाता है, तो इसके बहुत सारे अवसर हैं, विशेष रूप से विकासशील दुनिया के सामाजिक और आर्थिक विकास में।

ई-गवर्नेस की अवधारणा (Concept of E-Governance)

ई-गवर्नेस सुशासन के लिए सरकारी कामकाज की प्रक्रियाओं के लिए आईसीटी का अनुप्रयोग हैं। दूसरे शब्दों में, ई-गवर्नेस सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा सूचना में सुधार करने के उद्देश्य से आईसीटी का उपयोग है और सेवा वितरण, निर्णय लेने में नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और सरकार को और अधिक जवाबदेह, पारदर्शी और कुशल बनाना। सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है। कि ई-गवर्नेस केवल से कहीं आगे जाता है स्टैंड अलोन बैंक ऑफिस संचालन का कम्प्यूटरीकरण । इसका तात्पर्य है सरकार में मूलभूत परिवर्तन संचालय और विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और नागरिकों के लिए जिम्मेदारियों का नया सेट नियंत्रक और महालेखापरीक्षक, यूके के अनुसार, ई-गवर्नेस का अर्थ है सार्वजनिक पहुँच प्रदान करता सरकारी विभागों और उनकी एजेंसियों द्वारा इंटरनेट के माध्यम से जानकारी। तो संक्षेप में, ई-गवर्नेस स्मार्ट लाने के लिए सरकारी कामकाज में आईसीटी का अनुप्रयोग है।

शासन का अर्थ- सरल, नैतिक, जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी शासन। सरल-अर्थात् सरकार के नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं का सरलीकरण के उपयोग के माध्यम से आईसीटी और इस तरह एक उपयोगकर्ता के अनुकूल सरकार के लिए नैतिक-पूरी तरह से उभरने का अर्थ प्रदान करना राजनीतिक और प्रशासनिक तंत्र में नैतिक मूल्यों की नई प्रणाली । प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप से भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों, पुलिस, न्यायपालिका आदि की दक्षता में सुधार होता है। स्मार्ट शासन जवाबदेह – डिजाइन, विकास और प्रभावी का कार्यान्वयन प्रबंधन सूचना प्रणाली और प्रदर्शन माप तंत्र और इस प्रकार सुनिश्चित करना लोक सेवा पदाधिकारियों की जवाबदेही रिस्पॉन्सिव – सर्विस डिलीवरी में तेजी लाने और सिस्टम को अधिक रिस्पॉन्सिव बनाने के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना। पारदर्शी सूचना को अब तक सरकारी दस्तावेजों में सार्वजनिक डोमेन तक सीमित रखना और प्रक्रियाओं और कार्यों को पारदर्शी बनाना, जो बदले में समानता और कानून के शासन को लाएगा। सरकारों की आंतरिक संगठनात्मक प्रक्रियाओं में सुधार करना बेहतर जानकारी और सेवा वितरण प्रदान करना है। भ्रष्टाचार को कम करने के लिए सरकारी पारदर्शिता बढ़ाना: राजनीतिक विश्वसनीयता और जवाबदेही को मजबूत करना तथा जनता की भागीदारी और परामर्श के माध्यम से लोकतांत्रिक प्रथाओं को

ई-गवर्नेस के चरण (Stages of E-Governance)

ई-गवर्नेस के विभिन्न चरणों की पहचान कुछ निश्चित मानदंडों पर की जाती है। ये चरण हैं: सरल सूचना प्रसार (एकतरफा संचार) को सबसे बुनियादी रूप माना जाता है, क्योंकि इसका उपयोग केवल सूचना के प्रसार के लिए किया जाता है; दो-तरफा संचार (अनुरोध और प्रतिक्रिया) – वेबसाइट के रूप में ई-मेल सिस्टम और सूचना और डेटा ट्रांसफर प्रौद्योगिकियों के साथ विशेषता है; सेवा और वित्तीय लेनदेन ऑनलाइन सेवाएँ और वित्तीय लेनदेन हैं जो वेब आधारित स्वयं-सेवाओं के लिए अग्रणी हैं;

(1) एकीकरण ऊर्धवाधर और क्षैजित दोनों- प्रथम चरण में सरकार अंतर और अंतर-सरकारी एकीकरण का प्रयास करेगी।

(2) राजनीतिक भागीदारी – दूसरे चरण का अर्थ है सरकार के साथ अधिक प्रत्यक्ष और व्यापक बातचीत के लिए ऑनलाइन वोटिंग, ऑनलाइन सार्वजनिक मंच और राय सर्वेक्षण।

(3) तीसरा चरण – बहुउद्देश्यीय पोर्टलों को संदर्भित करता है, जो ग्राहकों को सूचना भेजने और प्राप्त करने और कई विभागों में लेनदेन को संसाधित करने के लिए एकल प्रवेश बिंदु का उपयोग करने की अनुमति देता है।

(4) चौथा चरण- पोर्टल वैयक्तिकरण शामिल है, जिसमें ग्राहकों को अपनी वांछित विशेषताओं के साथ पोर्टलों को अनुकूलित करने की अनुमति है।

(5) पाँचवा चरण- जब सरकारी विभाग साझा सेवाओं के वितरण और सामान्य सेवाओं के क्लस्टरिंग में तेजी लाने के लिए सामान्य लाइनों के साथ क्लस्टर सेवाएँ देते हैं, तथा

(6) छठा और अंतिम चरण- सामने ओर पीछे के कार्यालय के बीच की खाई को पाटने के लिए प्रौद्योगिकी की और एकीकृत किया गया है। ई-गवर्नेस की अवधारणा और चरणों की हमारी चर्चा के बाद, अब हम ई-गवर्नेस के महत्वपूर्ण मॉडलों में निपटेंगे जिनका उपयोग ई-गवर्नेस पहलों को डिजाइन करने में किया जा सकता है।

ई-गवर्नेस और ई-गवर्नमेंट (E-Governance Vs E-Government)

ई-गवर्नेस और ई-गवर्नमेंट का उपयोग अक्सर एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है, इसलिए इस पर उनके बीच अंतर करना अनिवार्य है।

(1) थॉमस बी रिले के अनुसार सरकार और शासन दोनों सहमति प्राप्त करने के बारे में हैं और शासितों का सहयोग। लेकिन जबकि सरकार इस उद्देश्य के लिए औपचारिक उपकरण है, शासन वह परिणाम है जो प्राप्त करने वालों द्वारा अनुभव किया जाता है। ई-सरकार और भी हो सकती है सामान्य रूप से सरकार का उत्पादक संस्करण, यदि इसे अच्छी तरह से कार्यान्वित और प्रबंधित किया जाता है। ई-गवर्नेस कर सकते हैं सहभागी शासन में विकसित हो, यदि यह उचित सिद्धांतों, उद्देश्यों के साथ अच्छी तरह से समर्थित है, कार्यक्रम और वास्तुकला ।

(2) ई-सरकार, इस प्रकार, सरकार की प्रक्रियाओं और कार्यों का आधुनिकीकरण के उपकरणों का उपयोग कर रही है अपने घटकों की सेवा करने के तरीके को बदलने के लिए आईसीटी विश्व बैंक के अनुसार, ई-सरकार का तात्पर्य है सूचना प्रौद्योगिकी की सरकारी एजेंसियों द्वारा उपयोग (जैसे विस्तृत क्षेत्र नेटवर्क, इंटरनेट और माबाइल कंप्यूटिंग) जिसमें नागरिकों, व्यवसायों और अन्य शाखाओं के साथ संबंधों को बदलने की क्षमता है सरकार। यह सरकारी सेवाओं तक पहुँच और वितरण को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग है नागरिकों, व्यापार भागीदारों और कर्मचारियों को लाभ।

(3) दूसरी ओर, ई-गवर्नेस, इससे आगे निकल जाता है सेवा वितरण पहलुओं और एक निर्णय प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है। यह की प्रणालियों में आईसीटी के उपयोग के बारे में है शासन, यानी आईसीटी का उपयोग निर्णय लेने और सरकार बनाने में बहु-हितधारकों को शामिल करने के लिए करना खुला और जवाबदेह ।

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शासन में ईडीआई (EDI) से आप क्या समझते हैं? ईडीआई प्रणाली के लाभ
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शासन में ईडी आई से आप क्या समझते हैं? What is EDI in E-Governance ?

शासन में ईडीआई (EDI in Governance)

ईडीआई इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज के लिए खड़ा है। ईडीआई एक संगठन में आंतरिक रूप से, अपने विभिन्न विभागों के बीच या बाहरी रूप से आपूर्तिकर्ताओं, ग्राहकों, या किसी सहायक कंपनियों के साथ व्यावसायिक दस्तावेजों को स्थानांतरित करने का एक इलेक्ट्रॉनिक तरीका है। कागजी दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों जैसे वर्ड दस्तावेज, स्प्रेडशीट आदि से बदल दिया जाता है। ईडीआई में उपयोए किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज निम्नलिखित हैं-

चालान, खरीद आदेश, शिपिंग अनुरोध, पावती, व्यापार पत्राचार पत्र, वित्तेय सूचना पत्र, ईडीआई प्रणाली में कदम

EDI सिस्टम में निम्नलिखित चरण होते हैं-

(i) एक प्रोग्राम एक फाइल उत्पन्न करता है जिसमें संसाधित दस्तावेज होता है।

(ii) दस्तावेज को एक सहमत मानक प्रारूप में परिवर्तित किया गया है।

(iii) दस्तावेज वाली फाइल नेटवर्क पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजी जाती है।

(iv) व्यापारिक भागीदार फाइल प्राप्त करता है।

(v) एक पावती दस्तावेज तैयार किया जाता है और मूल संगठन को भेजा जाता है।

ईडीआई प्रणाली के लाभ (Advantages of An EDI System)

ईडीआई प्रणाली होने के निम्नलिखित लाभ हैं।

(1) डेटा प्रविष्टि त्रुटियों में कमी (Reduction in data Entry Errors) – डेटा प्रविष्टि के लिए कम्प्यूटर का उपयोग करते समय त्रुटियों की संभावना बहुत कम होती है।

(2) छोटा प्रसंस्करण जीवन चक्र (Shorter Processing life cycle) – जैसे ही वे सिस्टम में प्रवेश करते हैं, ऑर्डर संसाधित किए जा सकते हैं। यह हस्तांतरण दस्तावेजों के प्रसंस्करण समय को कम करता है।

(3) डेटा का इलेक्ट्रॉनिक रूप (Electronic form of data)- डेटा को स्थानंतरित या साझा करना काफी आसान है, क्योंकि यह इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में मौजूद है।

(4) कागजी कार्रवाई में कमी (Reduction in Paper work)- चूंकि बहुत सारे कागजी दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों से बदल दिया गया है, इसलिए कागजी कार्रवाई में भारी कमी आई है।

(5) लागत प्रभावी (Cost Effective) – चूंकि समय की बचत होती है और ऑर्डर बहुत प्रभावी ढंग से संसाधित होते हैं, ईडीआई अत्यधिक लागत प्रभावी साबित होता है।

(6) संचार के मानक साधन (Standard Means of Communication) – ईडीआई डेटा की सामग्री और उसके प्रारूप पर मानकों को लागू करता है जिससे स्पष्ट संचार होता है।

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इंटरनेट के ई-शासन अनुप्रयोग क्यो है? What are E-Governance applications of the Internet?
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इंटरनेट के ई-शासन अनुप्रयोग क्यो है? 

शासन में उपयोगिता (Application in Governance)

1990 के दशक से सरकार का पुनर्निर्माण एक प्रमुख विषय रहा है, जिसमें दुनिया भर की सरकारें सार्वजनिक सेवा वितरण की प्रणालियों में सुधार करने का प्रयास कर रही हैं। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के क्षेत्र में किए गए तेजी से कदमों ने सरकारों के पुनर्निर्माण की सुविधा प्रदान की है और उन्हें एक विविध समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया है।

दूसरे शब्दों में, सूचना युग में मूल सिद्धांतों को फिर से परिभाषित किया है और सेवा वितरण के संस्थानों और तंत्र को हमेशा के लिए बदल दिया है। दृष्टि, सरकारी कार्यों के तरीके और इसके घटकों से संबंधित तरीके को बदलने की इच्छा की अभिव्यक्ति है। इलेक्ट्रॉनिक शासन की अवधारणा, जिसे लोकप्रिय रूप से ई-गवर्नेस कहा जाता है, इसी कारण से ली गई है। दुनिया में लोकतंत्र उस दिन की दृष्टिकोण को साझा करते हैं जब ई-गवर्नेस जीवन का एक तरीका बन जाएगा। एल ई-गवर्नेस सुशासन का समर्थन करने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का उपयोग है। इसके निम्नलिखित मुख्य उपयोगिताएँ हैं:

(1) सरकार से नागरिक (G2C) (Government to Citizen) – G2C का उद्देश्य नागरिकों से बात करके और जवाबदेही का समर्थन करके, नागरिकों की बात सुनकर और लोकतंत्र का समर्थन करके, और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करके नागरिकों को सरकार से जोड़ना होगा। इसमें एकल बिंदु वितरण तंत्र के माध्यम से नागरिकों को बेहतर सेवाएँ शामिल होंगी और इसमें निम्नलिखित क्षेत्र शामिल होंगे:

(2) ई-नागरिक (E-Citizen) – ई-नागरिक के तहत एकीकृत सेवा केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य विभिन्न ग्राहक सेवाएँ प्रदान करना है। यह प्रमाणपत्र, राशन कार्ड, पासपोर्ट, बिलों और करों का भुगतान: आदि जैसी सेवाएँ प्रदान करता है। ये केंद्र सभी सेवाओं के वितरण के लिए वन-स्टॉप सरकारी दुकानें बन जाएंगे।

(3) ई-परिवहन (E-Transport)- जिन परिवहन पहलुओं को आसानी से ई-गवर्न किया जा सकता है उनमें शामिल हैं: मोटर वाहनों का पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना, चलने की अनुमति (परमिट) जारी करना, नकद और बैंक चालान के माध्यम से कर और शुल्क संग्रह और प्रदूषण नियंत्रण ।

(4) ई-चिकित्सा (E-Medicine) – इसमें देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न अस्पतालों को जोड़ना शामिल है, इस प्रकार नागरिकों को बेहतर चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करना ।

(5) ई-शिक्षा (E-Education) – ई-शिक्षा विभिन्न सूचना प्रौद्योगिकियों के साथ नागरिक और सरकार को शिक्षित करने की विभिन्न पहलों का गठन करती है।

(6) ई-पंजीकरण (E-Registration)- संपत्तियों के पंजीकरण और हस्तांतरण और उस पर भुगतान की जाने वाली स्टांप ड्यूटी को ई-गवर्निंग करने से कागजी कार्रवाई में काफी कमी आती है और प्रविष्टियों की नकल कम हो जाती है। इसके अलावा काम में पारदर्शिता बढ़ती है और प्रक्रिया पंजीकरण का कुल समय कम हो जाता है।

उपलब्धि के लिए अनिवार्य (Essentials for Achievement)

(i) सभी के लिए सूचना ( Information for AII) – नागरिक को सूचित करना, उसे सरकारी गतिविधियों का विवरण प्रदान करना। जानकारी उपलब्ध होने पर नागरिक सरकार के प्रहरी के रूप में कार्य करेगा। पत्रकार, विपक्ष जैसे कुछ हित समूह सरकार के खर्च पर हमेशा नजर रखेंगे, जिसकी स्थिति ऑनलाइन उपलब्ध होगी। वही सिविल सेवकों के बीच जवाबदेही लाएगा। इसका कारण कर्मचारियों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ाना और सरकार की जनता की समझ में सुधार करना है।

(ii) नागरिक प्रतिक्रिया (Citizen Feedback ) – सरकारी सेवाओं में सुधार के लिए नागरिक प्रतिक्रिया आवश्यक है। जब तक सरकार अपने नागरिकों की नहीं सुनेगी, तक तक यह पता नहीं चल पाएगा कि वह क्या चाहता है। इस प्रकार यह सार्वजनिक क्षेत्र के निर्णय को नागरिकों के दृष्टिकोण या आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी बनाने का एक प्रयास है।

(iii) सेवाओं में सुधार (Improving Services)- दुनिया की सबसे अच्छी कंपनियों ने किया है, भारतीय कंपनियों ने उनकी नकल की हे, विदेशों की सरकारों ने सूट का पालन किया है, भारत सरकार क्यों नहीं कर सकती। उद्देश्य गति, गुणवत्ता, विश्वसनीयता, सुविधा और लागत जैसे आयामों पर नागरिकों को दी जाने वाली सेवाओं में सुधार करना होना चाहिए। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी की बड़ी भूमिका होगी सेवाओं को 24 घंटे वन-स्टॉप सरकारी दुकानों से वितरित किया जा सकता है।

सरकार के लिए उपभोक्ता (C2G) (Consumer To Government)

C2G मुख्य रूप से उन क्षेत्रों का गठन करता है जहाँ नागरिक सरकार के साथ बातचीत करते हैं। इसमें चुनाव जैसे क्षेत्र शामिल हैं जब नागरिक सरकार को वोट देते हैं; जनगणना जहाँ वह सरकार को अपने बारे में जानकारी प्रदान करता है: कराधान जहाँ वह सरकार को करों का भुगतान कर रहा है।

ई-डेमोक्रेसी (E-Democracy)-

(i) ई-लोकतंत्र नागरिक की भूमिका को निष्क्रिय सूचना देने से सक्रिय नागरिक भागीदारी में बदलने का एक प्रयास है। एक ई-लोकतंत्र में सरकार नागरिक को सूचित करती है, नागरिक का प्रतिनिधित्व करती है, नागरिक को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करती है, नागरिक से परामर्श करती है। और शासन में नागरिक को शामिल करती है।

(ii) ई-डिबेट आयोजित करके नागरिकों को विभिन्न सरकारी नीतियों के बारे में जानकारी लेने से ई-लोकतंत्र को और मजबूती मिलेगी। ई-डिबेट की अवधारणा इंटरनेट पर चौट के समान है, जिसमें न केवल नागरिक बल्कि चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक नेता भी भाग लेते हैं।

(iii) नागरिक पार्टियों की विभिन्न नीतियों और विशेष रूप से पार्टी के घोषणापत्र के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। यह पहल प्रतिनिधि भूमिका को बढ़ाकर, नागरिकों की अपने निर्वाचित सदस्यों तक पहुँच में सुधार करके और ई-सरकार में संलग्न होने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों की क्षमता विकसित करके प्रक्रिया को और मजबूत करेगी।

(iv) निर्वाचित सदस्यों को स्थानीय प्राधिकरण के इंट्रानेट और ई-मेल सिस्टम तक पहुँच प्रदान की जाएगी ताकि वे निर्णय लेने के लिए ऑनलाइन उपलब्ध हो सकें और लोग आसानी से उन तक पहुँच सकें।

उपलब्धि के लिए अनिवार्य (Essentials for Achievement)

(i) नागरिक भागीदारी-उपरोक्त पहल की उपलब्धि के लिए नागरिक को सरकारी कामकाज में भाग लेना होता है और इसलिए जागरूकता फैलाना राज्य की जिम्मेदारी बन जाती है।

(ii) चुनाव इस सिद्धांत पर नहीं लड़ा जाना चाहिए कि एक पार्टी या दूसरे को क्या पेशकश करनी है। लेकिन उन्हें इस सिद्धांत पर लड़ा जाना चाहिए कि नागरिकों को क्या चाहिए।

(iii) नागरिकों की जरूरतों को निर्धारित करने के लिए सूचना प्रणाली का उपयोग करके बाजार अनुसंधान कार्यक्रम किए जाने चाहिए। प्रस्तावित सेवाओं में संभावित अंतराल का पता लगाने के लिए जीआईएस का उपयोग एक उपकरण के रूप में किया जा सकता है।

सरकार से सरकार (G2C) (Government to Government)

इसे ई-प्रशासन के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है। इसमें लागत में कटौती, प्रदर्शन का प्रबंधन, सरकार के भीतर रणनीतिक संबंध बनाना और सशक्तिकरण बनाकर सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार करना शामिल है। इसमें सभी सरकारी कार्यालयों को नेटवर्किंग करना शामिल है ताकि उनके बीच तालमेल पैदा किया जा सके। प्रमुख क्षेत्र हैं:

(1) ई-सचिवालय (Secretariat)- सचिवालय जो सत्ता की सीट है, राज्य के कामकाज के बारे बहुत सारी बहुमूल्य जानकारी है। विभिन्न विभागों को आपस में जोड़ने और विभिन्न घटकों के बीच में सूचनाओं के आदान-प्रदान से शासन की प्रक्रिया सरल हो जाती है।

(2) ई- पुलिस (E-Police)- ई-पुलिस नागरिकों का विश्वास बनाने में मदद करेगी। दो डेटाबेस होंगेः एक पुलिस कर्मियों का और दूसरा अपराधियों का। कर्मियों के डेटाबेस में उनकी वर्तमान और पिछली पोस्टिंग का रिकॉर्ड होगा। यह कुछ भौगोलिक क्षेत्रों और कौशल में विशेषज्ञता वाले पुलिसकर्मियों को ट्रैक करने में मदद करेगा। उदाहरण के लिए, हम एक फोरेंसिक विशेषज्ञ की तलाश करना चाहते हैं। डेटाबेस सेकंड के भीतर सभी फोरेंसिक विशेषज्ञों की सूची देता है। वही डेटाबेस उनके विवरण जैसे सेवा रिकॉर्ड, पारिवारिक पृष्ठभूमि आदि का ट्रैक रखेगा जो बद्धिमान पोस्टिंग और कर्मियों की पदोन्नति में भी सहायक होगा।

दूसरा डेटाबेस अपराधियों का होगा। इस डेटाबेस को इसकी कुल उपयोगिता के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस में अपग्रेड करना होगा। एक अपराधी का नाम टाइप करने से ही एक पुलिस अधिकारी उसकी पिछली गतिविधियों का विवरण जान सकेगा, जिसमें उसके तौर-तरीके और संचालन का क्षेत्र शामिल है। इसके अलावा, इस तरह का एक डेटाबेस अपराधियों को आसानी से पकड़ने में मदद करेगा क्योंकि सभी पुलिस स्टेशनों के पास एक साथ उनके रिकॉर्ड तक पहुँच होगी। मॉडयूल में G2C गतिविधियाँ भी शामिल हैं जैसे एफआईआर की ऑनलाइन फाइलिंग, एफआईआर की केस की स्थिति का पता लगाना आदि । लॉस्ट एंड फाउंड का एक डेटाबेस बनाने से कीमती सामान और व्यक्तियों के खोए और पाए जाने में सहायता मिल सकती है।

(3) ई-कोर्ट (E-Court)- भारत में लंबित अदालती मामलों ने कानूनी व्यवस्था को ठप कर दिया है। उपभोक्ता न केवल प्रशासन में बदलाव की मांग कर रहे हैं, बल्कि इस तरह से जारी रहने पर व्यवस्था भी चरमरा जाएगी। सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली को बदल सकती है और अदालती मामलों को शून्य निर्भरता के स्तर पर ला सकती है। मामलों का डेटाबेस बनाना वही कर सकता है।

वास्तव में ऐसी प्रणाली उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में सभी अपीलों से बचने में मदद करेगी, क्योंकि न्यायाधीश एक इंट्रानेट से अपील पर विचार कर सकते हैं जिसमें मामला एक ही जिला अदालत में रहता है लेकिन उच्च न्यायालय अपना निर्णय ऑनलाइन के आधार पर देता है मामले के तथ्य दर्ज इस तरह के कदम से न केवल नागरिकों को मदद मिलगी बल्कि मामलों के बैकलॉग में भी कमी आएगी। इसके अलावा अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग, धोखाधड़ी वाले दस्तावेजों की पहचान के लिए हाई रेजोल्यूशन रिमोट वीडियो, लाइव फिंगरप्रिंट स्क्रैनिंग और सत्यापन, रिमोट प्रोबेशन मॉनिटरिंग, रिपोर्ट की इलेक्ट्रॉनिक प्रविष्टि और कागजी कार्य जैसे क्षेत्रों में आईटी का उपयोग अदालती कार्यवाही को और तेज करेगा।

(4) स्टेट वाइड नेटवर्क (State Wide Networks) – इसमें सरकार के सभी विभागों को विभिन्न जिला मुख्यालयों और राज्य की राजधानी से जोड़ना, विभिन्न राज्य विभागों और उसके घटकों के बीच सूचना के प्रवाह को सुगम बनाना शामिल है। यहाँ विभिन्न ब्लॉक जिला मुख्यालय, जिला मुख्यालय से राज्य मुख्यालय और राज्य मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी से जुड़े हुए हैं।

उपलब्धि के लिए अनिवार्य (Essentials for Achievement)

(i) व्यय में कटौती (Cutting Expenditure)- उचित प्रक्रिया नियंत्रण के साथ इनपुट आउटपुट अनुपात में सुधार किया जा सकता है। वित्तीय समय की लागत में कटौती करके इसे प्राप्त किया जा सकता है। सरकारी खर्च में कटौती से बचत और जवाबदेही बढ़ेगी।

(ii) परिणामों के आसपास व्यवस्थित करें, कार्यों को नहीं (Organize Around Outcomes, not tasks) – यह सिद्धांत बताता है कि एक व्यक्ति को एक प्रक्रिया में सभी चरणों का पालन करना चाहिए और यह कि व्यक्ति को नौकरी को एक कार्य के बजाय परिणाम या उद्देश्य के आसपास डिजाइन किया जाना चाहिए। मान लीजिए, उदाहरण के लिए, एक नागरिक परमिट के लिए आवेदन करता है यह प्राप्त करने वाले प्राधिकारी का कर्तव्य बन जाता है कि नागरिक इसे प्राप्त करने के लिए इधर-उधर जाने के बजाय वही प्राप्त करे।

(iii) प्रक्रिया प्रदर्शन का प्रबंधन (Managing Process Perform) – प्रक्रिया संसाधनों मानव, वित्तीय और अन्यऋ के प्रदर्शन की योजना बनाना, निगरानी करना और नियंत्रित करना । सूचनाकरण प्रक्रिया प्रदर्शन और प्रदर्शन मानकों के बारे में जानकारी प्रदान करके इसका समर्थन करता है। तर्क प्रक्रिया संसाधनों का अधिक कुशल या प्रभावी उपयोग करना है।

(iv) एक नेटवर्क स्थापित करें (Establish a Network) – भौगोलिक रूप से बिखरे हुए संसाधनों के साथ ऐसा व्यवहार करें जैसे कि वे केंद्रीकृत हों। लचीलेपन और सेवा के लाभों को बनाए रखते हुए, सरकार पैमाने और समन्वय के लाभ प्राप्त करने के लिए डेटाबेस, दूरसंचार नेटवर्क और मानवीकृत प्रसंस्करण प्रणालियों का उपयोग कर सकती है। केंद्र से स्थानीय, मंत्रालय से मंत्रालय, कार्यपालिका से विधायिका और निर्णय लेने वाले से डेटा स्टोर की तरह सरकार में रणनीतिक संबंध स्थापित किए जाने चाहिए।

(v) प्रतिनिधि और अधिकार (Delegate and Enpower) – निर्णय बिंदु रखें जहाँ कार्य किया जाता है, और प्रक्रिया में नियंत्रण का निर्माण करें।

इस प्रकार, निर्णय लेने में सफल होने के लिए समग्र सरकारी प्रक्रिया पुनर्रचना (जीपीआर) के लिए वास्तविक कार्य करने वाले लोगों को उन लोगों से पारित करना चाहिए जो इसकी निगरानी कर रहे हैं। वास्तविक गतिविधियों में लगे लोगों को आवश्यक केंद्र बिंदु पर निर्णय लेने के लिए सशक्त किया जाना चाहिए और इसलिए इस तरह की गतिविधियों को अपने दम पर सौंपना चाहिए ताकि प्रक्रिया स्वयं नियंत्रण में हो सकें। इससे न केवल प्रक्रिया में तेजी आएगी बल्कि लागत में भी कमी आएगी।

सरकार से व्यवसाय (G2B) (Government To Business)

एल ई-कराधान यह विभिन्न सेवाओं का गठन करता है जो एक व्यापार घर को सरकार से प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, जिसमें लाइसेंस प्राप्त करना आदि शामिल है। इसी तरह के परिदृश्य में, यह एक व्यापार घर से सरकार के लिए भी प्रवाहित हो सकता है जैसे खरीद के मामले में, सरकार द्वारा ऐसे व्यापारिक घरानों से यह बी2जी सेवा बन जाएगी।

उपलब्धि के लिए अनिवार्य (Essentials for Achievement)

(i) मानक (Standards) – इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन या ई-कॉमर्स के लिए मानक बनाए जाने की जरूरत है। मानकों में सामग्री आदि पर मानक भी शामिल होंगे।

(ii) भुगतान तंत्र (Payment Mechanism ) – इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान को सक्षम करने के लिए एक सुरक्षित भुगतान तंत्र बनाने की आवश्यकता है।

(iii) पीकेआई (PKI) – पीकेआई या पब्लिक की इन्फ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित और प्रामणिक लेनदेन के लिए आवश्यक है।

गवर्नमेंट टू एनजीओ (G2N) (Government To NGO) –

एल ई-सोसाइटी – विकासशील समुदायों द्वारा सरकार की सीमाओं से परे बातचीत का निर्माण, सरकारी भागीदारी और नागरिक समाज का निर्माण। इसमें विभिन्न संघों या हित समूहों का निर्माण शामिल है जो समाज की बेहतरी सुनिश्चित करेंगे। इस तरह की पहल विशेष रूप से सरकार और नागरिकों के बीच संबंधों से संबंधित हैं: या तो मतदाताओं हितधारकों के रूप में, जिनसे सार्वजनिक क्षेत्र को इसकी वैधता प्राप्त होती है, या ऐसे ग्राहक जो सार्वजनिक सेवाओं का उपभाग करते हैं।

उपलब्धि के लिए अनिवार्य (Essentials for Achievement)—

प्रकाशन (Publishing) – नागरिकों को डेटा वितरित करना। इसमें सरकारी सूचनाओं तक खुली पहुँच शामिल है। सरकारी सूचना और उसकी गतिविधियों पर नागरिक का अधिकार है।

इंटरैक्शन (Interaction)- नागरिकों को डेटा वितरित करना और नागरिकों से डेटा प्राप्त करना। इसमें नागरिकों से फीडबैक लेना और रुचि समूहों के साथ बातचीत करना शामिल है।

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आपूर्तिकर्ता उन्मुख बाजार की विशेषताएँ (Characteristics of the Supplier Oriented Marketplace)

(1) आपूर्तिकर्ता उन्मुख मार्केटप्लेस ग्राहकों के एक समूह को उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं और उन्हें अपने स्वयं के व्यवसाय में समर्थन भी देते हैं। इसके अलावा, ग्राहक समुदायों, व्यक्तिगत उत्पादों और प्रत्यक्ष ग्राहक संबंधों के माध्यम से बड़ी संभावनाएँ हैं।

(2) आपूर्तिकर्ता उन्मुख मार्केटप्लेस का उपयोग करके, आपूर्तिकर्ताओं को विपणन और वितरण में नए प्रकार के बाजार चौनलों की पेशकश की जाती है। बिचौलियों का उपयोग किए बिना उत्पाद सीधे ग्राहक को बेचे जा सकते हैं। पगड़ी, ली, किंग और चुंग के अनुसार, ग्राहक संबंधों की खेती भी संभव हैं।

(3) सप्लायर ओरिएंटेड मार्केटप्लेस की विशेषताएँ सप्लायर-ओरिएंटेड माक्रेटप्लेस ग्राहकों के एक समूह को उत्पादों और सेवाओं का एक विस्तृत स्पेक्ट्रम प्रदान करते हैं और उन्हें अपने स्वयं के व्यवसाय में समर्थन भी देते हैं। इसके अलावा, ग्राहक समुदायों, व्यक्तिगत उत्पादों और प्रत्यक्ष ग्राहक संबंधों के माध्यम से बड़ी संभावनाएँ हैं।

(4) अधिकांश निर्माता संचालित इलेक्ट्रॉनिक स्टोर बाजार के इस रूप का उपयोग करते हैं। इस व्यवसाय मॉडल के सफल उदाहरण हैं उदा। डेल और सिस्को। डेल ने अपने 90 प्रतिशत कम्प्यूटर सीधे व्यावसायिक खरीदारों को बेचे और सिस्को ने 1997 में मुख्य रूप से व्यावसायिक ग्राहकों को बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के राउटर, स्विच और अन्य नेटवर्क इंटरकनेक्शन डिवाइस बेचे।

(5) डेल और सिस्को दोनों ने अपने उत्पादों को इंटरनेट के माध्यम से बेचा और बेचा। हालांकि, न केवल डेल और सिस्को सप्लायर ओरिएंटेड मार्केटप्लेस का उपयोग करते हैं, इस मॉडल का उपयोग करने वाली हजारों अन्य कंपनियाँ हैं। विशेष रूप से छोटी कंपनियों के लिए प्रमुख मुद्दा यह है कि अपने उत्पादों के लिए खरीदार कैसे खोजें। इस मॉडल का उपयोग करने वाली साइटों की सफलता के लिए उत्कृष्ट प्रतिष्ठा और वफादार ग्राहकों का एक समूह आवश्यक है।

(6) सप्लायर-ओरिएंटेड मार्केटप्लेस का एक अन्य एप्लिकेशन नीलामी साइट है जैसे उदा। कम्प्यूटर पुनर्विक्रेता इनग्राम माइक्रो कंपनियाँ कर सकती हैं उदा। अधिशेष माल बेचते हैं और व्यापार ग्राहक इसलिए बड़ी छूट का एहसास कर सकते हैं।

आपूर्तिकर्ता उन्मुख बाजार का उदाहरण (Example of the Supplier Oriented Marketplace)

(i) सिस्को सप्लायर-ओरिएंटेड मार्केटप्लेस का सफलतापूर्वक उपयोग करता है। बाजार सिस्को कनेक्शन ऑनलाइन द्वारा संचालित है। 1997 में सिस्को ने राउटर, स्विच और अन्य नेटवर्क इंटरकनेक्ट डिवाइसों के 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक ऑनलाइन (कुलः यूएस $6.4 बिलियन) बेचे। सिस्को के व्यवसाय मॉडल में ग्राहक सेवा और ऑर्डर की स्थिति ढूँढ़ना भी शामिल है। 1991 में, सिस्को ने इंटरनेट का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक सहायता प्रदान करना शुरू किया।

(ii) पहले आवेदन सॉफ्टवेयर डाउनलोड, दोष ट्रैकिंग और तकनीकी सलाह थे। तीन साल बाद, 1994 में, सिस्को ने वेब पर अपना सिस्टम सिस्को कनेक्शन ऑनलाइन नाम दिया। 1998 तक, ग्राहक तकनीकी सहायता प्राप्त करने, ऑर्डर चेक करने या सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए महीने में लगभग दस लाख बार सिस्को की वेब साइट का उपयोग कर रहे थे।

(iii) लगभग 70 प्रतिशत तकनीकी सहायता और ग्राहक सेवा कॉलों को ऑनलाइन संभाला जाता है। नतीजतन, सिस्को ने अपनी तकनीकी सहायता उत्पादकता में प्रति वर्ष लगभग 200 से 300- प्रतिशत की वृद्धि की। इसके अलावा, ऑनलाइन तकनीकी सहायता ने तकनीकी सहायता स्टाफ की लागत में लगभग 125 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी की। 1996 से सिस्को का इंटरनेट उत्पाद केंद्र ग्राहकों को वेब के माध्यम से कोई भी उत्पाद खरीदने की अनुमति देता है, जिससे सिस्को और उसके ग्राहकों दोनों के लिए समय की बचत होती है।

(iv) वेब साइट के विकास से पहले, किसी उत्पाद को ऑर्डर करना लंबा और जटिल था। सिस्को अपनी वेब साइट पर उपकरण भी प्रदान करता है जहाँ ग्राहक जैसे सवालों के जवाब ढूँढ सकते हैं। “आदेश कब तैयार होगा ?”।

(v) सिस्को का अनुमान है कि 1998 में अपने आवेदन ऑनलाइन करने से कम्पनी को प्रति वर्ष 363 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत हुई इसके अतिरिक्त, सिस्को वितरण, पैकेजिंग और दौहराव में प्रति वर्ष यूएस $ 180 मिलियन बचाता है, क्योंकि ग्राहक सिस्को की साइट से सीधे नए सॉफ्टवेयर रिलीज डाउनलोड करते हैं। वेब साइट और वेब-आधारित सीडी-रोम पर उत्पाद और मूल्य निर्धारण की जानकारी प्रदान करके, सिस्को कैटलॉग को प्रिंट करने और वितरित करने में प्रति वर्ष यूएस + 50 मिलयन बचाता है।

क्रेता- उन्मुख बाजार की विशेषताएँ (characteristics of the Buyer-Oriented Marketplace)

आपूर्तिकर्ता उन्मुख मार्केटप्लेस का उपयोग करके, खरीदारों को आपूर्तिकर्ताओं और उत्पादों को खोजने और तुलना करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्टोर और इलेक्ट्रॉनिक मॉल खोजना होगा। यह बड़े खरीदारों के लिए बहुत महंगा और समय लेने वाला होगा, जो इंटरनेट पर हजारों आइटम खरीदते हैं। नतीजतन, ऐसे बड़े खरीदार अपना खुद का मार्केटप्लेस खोलना पसंद करते हैं जिसे क्रेता-ओरिएंटेड मार्केटप्लेस कहा जाता है।

लेन-देन और खरीद प्रक्रियाओं का समर्थन करके, ये मार्केटप्लेस लागत बचत में काफी संभावनाएँ प्रदान करते हैं। क्रेता-उन्मुख बाजार औद्योगिक क्षेत्रों में कुछ और प्रमुख खरीदारों के साथ पाए जाते हैं। बाजार के आवश्यक तत्व हैं:

लेनदेन के लिए दिशानिर्देश, इंटरनेट आधारित उत्पाद और आपूर्तिकर्ता सूची उपलब्धता जांच, वार्ता का सूचनात्मक समर्थन, नीलामियों और प्रस्तुतियाँ में बोली लगाने का नियंत्रण, कैटलॉग ऑर्डरिंग, लेनदेन का समर्थन, वितरण निरीक्षण, गुणवत्ता प्रबंधन

इलेक्ट्रॉनिक खरीद की संभावनाएँ (Potential of Electronic Procurement) – कई कंपनियों में, खरीद पिछले वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक बन गया है। कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक रूप से खरीद का समर्थन करके लागत बचत में बड़ी संभावनाओं के अस्तित्व का एहसास किया। इलेक्ट्रॉनिक प्रोक्योरमेंट द्धई-प्रोक्योरमेंटॠ का उपयोग करके उत्पाद, प्रक्रिया- और इन्वेंट्री लागत को कम किया जा सकता है। ई-प्रोक्योरमेंट ज्यादातर क्रेता- उन्मुख मार्केटप्लेस में महसूस किया जाता है।

उत्पाद लागत (Product Costs) – ई-प्रोक्योरमेंट के माध्यम से खरीद कीमतों को कम करके उत्पाद की कम लागत का एहसास किया जा सकता है। यह मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा प्राप्त किया जाता है:

(1) विदेशों में स्थित छोटी कंपनियों तक पहुँच की सुविधा है।

(2) कुंजी-आपूर्तिकर्ताओं के उद्देश्य से खरीद प्रणाली को अन्य आपूर्तिकर्ताओं के लिए कुशलता से विस्तारित किया जा सकता है।

(3) खरीद चक्र को छोटा किया जा सकता है और उदा द्वारा समर्थित भी किया जा सकता है। नीलामी खरीद मात्रा को आंतरिक व्यापार विभागों और भागीदार कंपनियों से बंडल किया जा सकता है।

(4) ये बिंदु मुख्य रूप से आपूर्तिकर्ताओं के लिए सही हैं उदा। बोल्ट, नट और स्टेशनरी की । अत्यधिक विशिष्ट उत्पादों के आपूर्तिकर्ता कम प्रभावित होते हैं। 1999 में, एवरडीन समूह ने पाया कि बड़े पैमाने के उद्यम उत्पाद लागत को औसतन 5-10% तक कम करने में सक्षम थे।

क्रेता- उन्मुख बाजारस्थल (Buyer Oriented Marketplaces)- प्रक्रिया लागत (Process Costs)-प्रक्रिया लागत को कम करना ई-प्रोक्योरमेंट की सबसे बड़ी संभावना है। अब तक, एक आदेश के कारण औसतन 200-300 डीएम की लागत आई है। आंतरिक नौकरशाही लागत के एक बड़े हिस्से के लिए जिम्मेदार है। ई-प्रोक्योरमेंट प्रक्रिया लागत को 90 प्रतिशत तक कम कर सकता है। 17% इन लागत बचत को निम्नलिखित सुधारों के माध्यम से महसूस किया जाता है:

(i) प्रशासनिक कार्यों का अधिक प्रभावी संचालन जैसे इलेक्ट्रॉनिक समर्थन के माध्यम से वितरण निरीक्षण या आदेश प्रपत्र तेज और अधिक कुशल आंतरिक समन्वय जैसे हस्ताक्षर जो एक प्राधिकरण के लिए आवश्यक हैं।

(ii) बेहतर जानकारी उत्पाद कैटलॉग और विवरण नियमित रूप से अपडेट करना

(iii) त्रुटियों से बचना (जैसे गलत लेख संख्या)

(iv) मैं उत्पादों की तेजी से खोज कर रहा हूँ

(v) एबरडीन समूह की 1999 की जांच से पता चला है कि प्रक्रिया लागत (बड़े पैमाने के उद्यमों कीॠ खरीदार उन्मुख का उपयोग करके औसतन यूएस $ 100 से यूएस $ 30 तक कम हो गई थी।

(vi) मार्केटप्लेस 1 ‘बी 2 बी ई-कॉमर्स के माध्यम से सतत संबंध विकसित करना’

सूची लागत (Inventory Costs)- लंबी डिलीवरी का समय और ऑर्डर की खराब पारदर्शिता के कारण इन्वेंट्री का स्तर अधिक होता है, जिससे उच्च पूंजीगत लागत और इन्वेंट्री के मूल्य का आंशिक नुकसान होता है। यह कम्पनी की लाभप्रदता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। ई-प्रोक्योरमेंट इन्वेंट्री के स्तर को 20-40 प्रतिशत तक कम कर सकता है। एबरडीन समूह ने दिखाया कि इन्वेंट्री लागत में 25-30 प्रतिशत की कमी आई है।

इलेक्ट्रॉनिक खरीद की संभावित समस्याएँ (Possible Problems of Electronic Procurement)

(i) क्रेता-उन्मुख बाजार लागत बचत में कई संभावनाएँ प्रदान करता है। बाजार सैद्धांतिक रूप से सभी प्रतिभागियों को लाभ प्रदान करता है लेकिन वास्तविकता यह दर्शाती हैं कि वे मुख्य रूप से खरीदारों और प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं द्वारा महसूस किए जाते हैं। ऑटोमोबाइल निर्माता डेमलर क्रिसलर, फोर्ड औन जनरल मोटर्स ने कोविसिंट, एक क्रेता-उन्मुख बाजार बनाने के लिए शामिल हो गए। वे प्रति कार US $ 1000 तक की लागत बचत प्राप्त करने की अपेक्षा करते हैं। अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियाँ इसमें शामिल होने के इच्छुक हैं। आपूर्तिकर्ता जैसे उदा. कॉन्टिनेंटल और कर्मन, जो विशेष उत्पादों का निर्माण करते हैं। और जो अपने सेगमेंट में मार्केट लीडर हैं, इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस का स्वागत करते हैं।

(ii) इन आपूर्तिकर्ताओं और खरीदारों के बीच अन्योन्याश्रितताएँ हैं। वे लागत बचत भी महसूस कर सकते हैं उदा। प्रक्रिया लागत में। वहीं दूसरी तरफ कई छोटी और मझोली कंपनियों के सामने नई स्थिति आ गई वे अक्सर अनिर्दिष्ट उत्पादों का निर्माण करते हैं और बड़े पैमाने पर व्यावसायिक संबंधों में निवेश करते हैं उदा। अपने संयंत्र को खरीदार के करीब रखकर।

(iii) नया बाजार खरीदारों के प्रभुत्व को बढ़ाता है। खरीदार उन्हें नए विकल्पों के साथ दबाव में डाल सकते हैं और कम खरीद कीमतों का एहसास कर सकते हैं। नई स्थिति से इन कंपनियों को खतरा है।

क्रेता- उन्मुख बाजार का उदाहरण (Example of the buyer Oriented Marketplace)

(i) क्रेता की बोली लगाने वाली साइट क्रेता- उन्मुख बाजार का सबसे लोकप्रिय प्रकार है। यह उदाहरण जीई की इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग साइट (जीई टीपीएन पोस्ट) को दर्शाता है जो कम्पनी की खरीद प्रक्रिया को बढ़ाता है। जीई ने अपनी साइट अन्य खरीदारों के लिए भी खोली जो लाभ से भी लाभ उठा सकते हैं। जीई अपनी साइट का उपयोग करने के लिए शुल्क लेता है और इसलिए अतिरिक्त लाभ उत्पन्न करता है। जीई की बोली लगाने वाली साइट का उपयोग करने के लिए, खरीदार बोली परियोजना की जानकारी तैयार करते हैं और इसे इंटरनेट पर पोस्ट करते हैं।

(ii) संभावित आपूर्तिकर्ताओं की पहचान के बाद, इन आपूर्तिकर्ताओं को परियोजना पर बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। आपूर्तिकर्ता इंटरनेट से परियोजना की जानकारी डाउनलोड कर सकते हैं और परियोजना के लिए बोलियाँ जमा कर सकते हैं। खरीदार तब आपूर्तिकर्ता की बोलियों का मूल्यांकन करते हैं और इलेक्ट्रॉनिक रूप से बातचीत कर सकते हैं। खरीदार उन बोलियों को स्वीकार करते हैं जो उनकी आवश्यकताओं को सर्वोत्तम रूप से पूरा करती हैं। ऐसा करने से, खरीदार दुनिया भर में नए आपूर्तिकर्ताओं के साथ साझेदारी की पहचान और निर्माण कर सकते हैं। सूचना और विशिष्टताओं को व्यापार भागीदारों (आपूर्तिकर्ताओं) को तेजी से (एक साथ) वितरित किया जा सकता है। नतीजतन, बेहतर कीमतों पर बातचीत करने के लिए बड़ी संख्या में आपूर्तिकर्ताओं से बोलियाँ तेजी से प्राप्त की जा सकती हैं और उनकी तुलना की जा सकती है।

(iii) जीई की बोली लगाने वाली साइट आपूर्तिकर्ताओं को भी लाभ प्रदान करती है। विक्रेता । बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की क्रय शक्ति के साथ बड़े पैमाने के खरीदार तक तुरंत पहुँच प्राप्त कर सकते हैं। इसलि विक्रेता अपनी बाजार पहुँच का विस्तार कर सकते हैं और बिक्री और विपणन गतिविधियों के लिए लागत कम कर सकते हैं। उन्हें लघु बिक्री चक्र से भी लाभ होता है।

मध्यस्थ-उन्मुख बाजार की विशेषताएँ (Characteristics of the Inter judiciary oriented Marketplace)

(i) यह व्यवसाय मॉडल एक मध्यस्थ कम्पनी द्वारा स्थापित किया गया है जो एक बाजार चलाती है जहाँ व्यापार खरीदार और विक्रेता मिल सकते हैं। दो प्रकार के इंटरमीडियरी-ओरिएंटेड मार्केटप्लेस हैं: हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल मार्केटप्लेस। वर्टिकल मार्केटप्लेस एक औद्योगिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं जबकि क्षैतिज बाजार सभी औद्योगिक क्षेत्रों को सेवाएँ प्रदान करते हैं।

(ii) इंटरमीडियरी-ओरिएंटेड मार्केटप्लेस एक तटस्थ व्यापार मंच है और एक सामान्य बाजार के शास्त्रीय आर्थिक कार्यों की पेशकश करता है। अंतर यह है कि प्रतिभागियों को शारीरिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। हजारों इंटरमीडियरी-ओरिएंटेड मार्केटप्लेस हैं और उनमें से कई उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में बहुत भिन्न हैं। इन बाजारों में “औद्योगिक क्षेत्र को आभासी सूची ” हो सकती है।

(iii) कंपनियों के पास इस वर्चुअल कैटलॉग में खुद को पेश करने की संभावना है। इंटरनेट आधारित “नोटिस बोर्ड”, पर कंपनियों के एकल प्रस्ताव या अनुरोध पाए जा सकते हैं। एक मध्यस्थ-उन्मुख बाजार में कैटलॉग भी हो सकते हैं जहाँ उत्पादों और कीमतों की जानकारी प्रस्तुत जा सकती है। खोज कार्यों की पेशकश करके, बाजार उत्पादों की तुलना और पारदर्शिता को संभव की बनाता है। मार्केटप्लेस नीलामी की पेशकश भी कर सकते हैं। ये नीलामियाँ विक्रेताओं (उत्पाद बेचे जाते हैं) या खरीदारों (आदेश बेचे जाते हैं) द्वारा आयोजित की जा सकती हैं।

(iv) इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक कार्यों की पेशकश करना संभव है जहाँ प्रतिभागी वास्तविक समय में बातचीत कर सकते हैं। बाजार चलाने वाली मध्यस्थ कम्पनी सफल लेनदेन और सेवाओं की बातचीत के प्रावधानों के माध्यम से लाभ उत्पन्न कर सकती है (उदाहरण के लिए उत्पादों को वितरित करने के लिए एक रसद कम्पनी)।

(v) कम्पनी सदस्यता के लिए और जानकारी, ऑफर या अनुरोध प्रस्तुत करने के लिए शुल्क भी ले सकती है। इसके अलावा विज्ञापन (जैसे बैनर) द्वारा लाभ अर्जित किया जा सकता है। कम्पनी साइट पर प्रवेश करने वाले अधिक खरीदारों से मुनाफा कमाने वाले बाजार के माध्यम से अपने उत्पादों का वितरण भी कर सकती है। एक सामान्य ई-स्टोर।

इंटरमीडियरी – ओरिएंटेड मार्केटप्लेस के उदाहरणः Buzzsaw (Example of the Intermediary oriented market place)

(i) बज्जॉ एक लंबवत इलेक्ट्रॉनिक बाजार है जो भवन उद्योग पर केंद्रित है। एक निर्माण परियोजना में कई अलग-अलग पक्ष शामिल हैं: उदा। भवन निर्माण के ठेकेदार, निर्माता, हाथ से कम करने वाले श्रमिक, वास्तुविद, व्यापारी और भवन स्वामी। इनमें से कई पार्टियाँ क्षेत्रीय विक्रेता है। सभी प्रतिभागियों के बीच विविध व्यावसायिक संबंध हैं।

(ii) जटिल संरचना योजना और संचार की अक्षम प्रक्रियाओं की ओर ले जाती है। बजसॉ पार्टियों के बीच योजना और संचार को बेहतर बनाने के लिए सॉफ्टवेयर प्रदान करता है। यह परियोजना के बजट और समय सारिणी के सामान्य ओवरस्पीडिंग को कम करने में मदद करता है। बजसों की सेवाओं का केंद्र एक सॉफ्टवेयर है, जो निर्माण परियोजना (प्रशासक) का प्रबंधन करता है।

(iii) इस सॉफ्टवेयर का उपयोग प्रक्रिया में शामिल कई प्रतिभागियों की संपूर्ण निर्माण योजना को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। कार्य जैसे उदा। डिजाइन, परियोजना की योजना और भवन की प्रगति के पर्यवेक्षण का समर्थन किया जा सकता है। Buzzsaw भवन उद्योग के बारे में विस्तृत जानकारी भी प्रदान करता है (उदाहरण के लिए क्षेत्र को प्रभावित करने वाली खबरें, एक वर्गीकृत निर्देशिका और एक स्थानीय मौसम पूर्वानुमान)। बाजार व्यापार करने का विकल्प भी प्रदान करता है।

(iv) भवन उद्योग के लिए प्रासंगिक सभी उत्पादों का कारोबार किया जा सकता है। वेब साइट वांछित उत्पादों को खोजने के लिए खोज इंजन प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, खरीदार और विक्रेता बाजार में अनुरोध और ऑफर सम्मिलित कर सकते हैं। Buzzsaw की आय के स्रोत लेनदेन के लिए और व्यवस्थापक के उपयोग के साथ-साथ विज्ञापन राजस्व के लिए शुल्क हैं।

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