100 + मुहावरे और लोकोक्तियाँ | muhavare aur lokoktiyan |
नमस्कार दोस्तों हमारी आज के post का शीर्षक है मुहावरे और लोकोक्तियाँ | muhavare aur lokoktiyan |उम्मीद करतें हैं की यह आपकों अवश्य पसंद आयेगी | धन्यवाद |
Table of Contents
मुहावरे
‘मुहावरा’ अरबी भाषा का शब्द है, इसका अर्थ है- ‘अभ्यास’। इस प्रकार मुहावरा ऐसे शब्दों का समुच्चय होता है, जो अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करे।
मुहावरा अपने कोशगत अर्थ को छोड़कर कुछ भिन्न अर्थ देता है।
मुहावरा भाषा में प्रयुक्त ऐसा पद अथवा वाक्यांश है, जिसका हम अर्थ ग्रहण नहीं करते बल्कि उस सन्दर्भ में अनूठा, विशेष स्वाभाविक अथवा चमत्कारिक भाव ग्रहण करते हैं।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार –
“मुहावरा उस गढ़े हुए वाक्यांश को कहते हैं, जिससे कुछ लक्षणात्मक अर्थ निकलता है। और जिसके गठन में किसी प्रकार का अन्तर होने पर वह लक्षणात्मक अर्थ नहीं निकलता।“
‘अक्ल’ सम्बन्धी मुहावरे
- अक्ल के पीछे लाठी लिए फिरना (समझाने पर भी न मानना) अरे पत्नी को ऐसे डाँटा जाता है, तुमने तो अक्ल के पीछे लाठी ले रखी है।
- अक्ल चरने जाना (कुछ न सोचना) उस कर्मचारी को अक्ल चरने गई थी, जो अपने वरिष्ठ अधिकारी से जा भिड़ा।
- अक्ल बड़ी या भैंस (शारीरिक शक्ति का महत्त्व कम होता है, बुद्धि का अधिक) किसी विद्वान से वार्ता करने पर पता लगता है कि अक्ल बड़ी या भैस |
- अक्ल का दुश्मन (मूर्ख) अरे अगल के दुश्मन तीन और पाँच आठ होते है।
‘आँख’ सम्बन्धी मुहावरे
- आँख का तारा (अत्यन्त प्यारा) दिव्यांशु, मेरा पुत्र मेरी आँखों का तारा है।
- आँखें चार होना (दृष्टि का मिलना) जैसे ही आँखे चार हुई, पप्पू पागल हो गया |
- आँखों से गिरना (मान घटाना) कायर व्यक्ति सबको आँखों से गिर जाता है।
- आँख में धूल झोंकना (धोखा देना) झूठ बोलकर माता-पिता की आंखो में धूल झींकना गलत बात है।
‘कान’ सम्बन्धी मुहावरे
- कान में तेल डालना (ध्यान न देना) सॉरीन तो कानों में तेल डालकर बैठी है, फिर उसे कौन समझा सकता है।
- कान काटना (दूसरों से अच्छा काम करना) हरीश केवल आठ वर्ष का है, किन्तु गाने में अच्छे-अच्छों के कान काटता है।
- कानों कान खबर न होना (गुप्त रहना) मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव मेरठ आए, कोई किन्तु किसी को
- कान पर जून रेगना (कोई असर न होना) मां-बाप के समझाने पर भी उसके कान पर नरेगी।
‘नाक’ सम्बन्धी मुहावरे
- नाक रगड़ना (दोनतापूर्वक प्रार्थना/ विनती करना) उसको तो हर एक के सामने नाक एण्ड़ने की आदत है।
- नाक कटना (प्रतिष्ठा नष्ट होना) तुम्हारे बुरे कार्यों के कारण इस परिवार को तो नाक ही कट गई।
- नाक रख लेना (इज्जत बचाना मेरे पुत्र परीक्षा में श्रेष्ठक प्राप्त की नाक रख लो।
- नाक का बाल होना (अतिप्रिय) राम अपने भाइयों की नाक का बाल है।
‘दाँत’ सम्बन्धी मुहावरे
- दांत खट्टे करना (हरा देना) भारतीय सैनिकों ने युद्ध के मैदान में पाकिस्तानी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए थे।
- दाँतों तले अंगुली दबाना (आश्चर्यचकित होना) महारानी लक्ष्मीबाई के रण-कौशल को देखकर अंग्रेजों ने दांतों तलेअंगुली दबा ली |
- दाँत पीसना (अत्यधिक क्रोष दिखाना) उसे गरीब समझकर क्यों दाँत पीस रहे हो |
‘सिर’ सम्बन्धी मुहावरे
- सिर पीटना (पछताना) अब सिर पीटने से क्या लाभ ? जो होना था सो तो हो गया |
- सिर नीचा होना (शर्मिन्दा होना) जीवन में कोई ऐसा काम मत करना कि सिर नीचा हो जाए |
- सिर की बाजी लगाना (मौत से न डरना) देश की स्वतन्त्रता के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों ने सिर की बाजी लगा दी थी।
‘मुँह’ सम्बन्धी मुहावरे
- मुँह सी लेना (चुप हो जाना) अपनी दादी की जली फटी सुनकर उसने तो अपना मुँह सी लिया था।
- मुँह पर कालिख पोतना (कलंक लगाना) उसके पौत्र ने तो अपनी अधम प्रवृत्तियों के कारण अपने दादा के मुँह पर कालिख ही पोत दी।
- मुँह तोड़ जवाब देना (कढ़ा उत्तर देना) पड़ोसी को ऐसा मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा कि जीवन भर भुला भी नहीं सकेगा।
- मुँह में पानी भर आना (लालच करना) एक पड़ोसी को आम खाता देखकर हरि के मुंह में पानी भर आया।
गर्दन‘ सम्बन्धी मुहावरे
- गर्दन झुकना (लज्जित होना) रामेश्वर जब चुनाव में हार गया तो गर्दन झुकाकर बैठ गया।
- गर्दन पर सवार होना (पीछे पढ़ना) मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, जो तुम मेरी गर्दन पर सवार हो रहे हो।
- गर्दन पर छुरी फेरना (अत्याचार करना) उससे बचकर रहना; पता नहीं कब वह गर्दन पर छुरी फेर दे |
- गर्दन फाँसाना (चक्कर में पढ़ना) रामादीन के साथ रियाज ने भी अपनी गर्दन फंसा रखी है।
‘हाथ’ सम्बन्धी मुहावरे
- हाथ मलना (पछताना) चुनाव में बुरी तरह हारने पर श्रीमती राजो देवी हाथ मलती रह गई।
- हाथ-पाँव मारना (अन्तिम शक्ति भर उपाय करना) खूब हाथ-पाँव मारने पर भी तुम मकान नहीं बनवा पाए।
- हाथ साफ करना (चोरी करना) उसने तो मेरी मोटर साइकिल पर हाथ साफ कर दिया।
‘अँगुली’ सम्बन्धी मुहावरे
- अंगुली पकड़ते पहुंचा पकड़ना (थोड़ा प्राप्त करने पर अधिक अधिकार जमाना) पहले कौशिक, कभी-कभी बाइक माँग कर ले जाता था, किन्तु अब उसने अंगुली पकड़ते ही पहुंचा पकड़ लिया है।
- अंगुली उठाना (दोष दिखाना) मेरे चरित्र पर आज तक कोई भी अंगुली नहीं उठा सका।
- अंगुली पर नचाना (संकेत पर कार्य करना) में अपनी पत्नी को अंगुलियों पर नचाता हूँ।
- पाँचों अंगुलियाँ घी में होना (लाभ-ही-लाभ होना) बुद्ध के अवसर पर जमाखोरों की पाँचो अंगुलियाँ भी में होती है।
‘कलेजा’ सम्बन्धी मुहावरे
- कलेजा ठण्डा होना (सन्तुष्ट एवं शान्त होना) दुश्मन की अपराधियों द्वारा हत्या होने पर ही उसका कलेजा ठण्डा हुआ।
- कलेजे पर पत्थर रखना (दिल मजबूत करना) पारिवारिक सदस्य की मृत्यु पर लोग कलेजे पर पत्थर रखकर ही सहन कर पाते है।
- कलेजे पर साँप लोटना (अन्तदहि होना) पड़ोसी का मकान बनता देख श्यामलाल के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
- कलेजा मुँह को आना (घबरा जाना) किसी भी दुर्घटना को देखकर महिलाओं का कलेजा मुँह को आ जाता है।
‘खून’ सम्बन्धी मुहावरे
- खून खौलना (क्रोधआना) पड़ोसी के सिर पर मोटर दुर्घटना द्वारा चोट देखकर मोटर के ड्राइवर के प्रति उसका खून खौलने लगा।
- खून का प्यासा होना (प्राण लेने को तत्पर) विभिन्न झगड़ों में राम और श्याम भी एक-दूसरे के खून के प्यारे हो गए।
- खून का घूंट पीना (क्रोष को दबाना) अपनी सास के समक्ष पत्नी द्वारा लताड़ने पर दिलशाद खून का घूँट पीकर रह गया।
- खून-पसीना एक करना (कठिन परिश्रम करना) परीक्षा में कु. सुनीता ने खून-पसीना एक कर दिया।
‘पानी’ सम्बन्धी मुहावरे
- पानी-पानी हो जाना (बहुत शर्मिन्दा होना) जब कालू, मोबाइल चुराते पकड़ा गया तो वह पानी-पानी हो गया।
- पानी फेर देना (निराश कर देना) मेरा मेरे सारे किए-कराए पर पानी फेर गया।
- पानी में आग लगाना (असम्भव को सम्भव करना) पूरे जिले में टॉप करके उसने पानी में आग लगा दी है।
- पानी पी-पी कर कोसना (बहुत बुरा-भला कहना) अगर हिमांशु को मेरा कोई भी परिचित मिलता है तो वह मुझे पानी पी-पी कर कोसता है।
‘हवा’ सम्बन्धी मुहावरे
- हवाई किले बनाना (ऊँची कल्पना) रहीम वार्ड मेम्बर का चुनाव हार गया, परन्तु अब वह ‘एम.पी.’ चुनाव के लिए हवाई किले बना रहा है।
- हवा निकलना (बहुत डरना) बड़े बहादुर बन रहे हो, अरविन्द केजरीवाल के मुख्यमन्त्री बनते ही तुम्हारी हवा क्यों निकल रही है?
- हवा हो जाना (गायब हो जाना) राचा और प्रतिभा देखते ही देखते हवा हो गई।
- हवा लगना (संगति का प्रभाव नकारात्मक अर्थ में) अरे! आजकल के लड़कों को ऐसी हवा लगी है, कि पढ़ते ही नहीं।
‘अपना’ सम्बन्धी मुहावरे
- अपना घर समझना (संकोच न करना) प्रिय पुत्रवधू तुम्हें इस घर को अपना घर समझकर ही रहना है।
- अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ पूरा करना) आजकल अपना उल्लू सीधा करने वाला व्यक्ति ही समझदार माना जाता है।
- अपना राग अलापना (अपनी ही बात कहना) कुछ व्यक्ति अपने स्वार्थवश अपना ही राग अलापते रहते हैं।
- अपना सा मुँह लेकर रह जाना (लज्जित होना) वास्तविकता का पता चलने पर अपना सा रह गया।
‘आसमान’ सम्बन्धी मुहावरे
- आसमान टूट पड़ना (अचानक मुसीबत आना) माता जी की मृत्यु के उपरान्त रमेश की तीनों पुत्रियों पर आसमान टूट पड़ा है।
- आसमान से बातें करना (बहुत ऊँचा होना) भारतीय ध्वज आसमान से बातें करता हुआ बहुत सुन्दर लग रहा है।
- सातवें आसमान पर दिमाग होना (अहंकारी होता) प्रोमोशन होते ही हलीम का दिमाग आसमान पर हो गया है।
- आसमान पर चढ़ा देना (अधिक प्रशंसा करके ऊपर उठाना) बातों ही बातों में मोहन ने कल्लू को आसमान पर चढ़ा दिया।
‘रंग’ सम्बन्धी मुहावरे
- रंग उतरना (रौनक खत्म होना) चुनाव में हारने के कारण प्रत्याशी के चेहरे का रंग उतर गया।
- रंग जमाना (धाक जमाना) अमिताभ बच्चन ने आज भी फिल्मी क्षेत्र में अपना रंग जमा रखा है।
- रंग में भंग पढ़ना (आनन्द में विघ्न होना) चौराहे पर दुर्घटना होने पर यात्रियों में रंग में भग पड़ गया।
- रंग में रंगना (प्रभावित होना) आजकल सभी छात्र टी. वी. और बाइक के रंग में रंगे हुए हैं।
‘प्राण’ सम्बन्धी मुहावरे
- प्राण फूंकना (जीवन प्रदान करना) महात्मा गाँधी ने स्वतन्त्रता आन्दोलन अपने प्राण फूंक दिए।
- प्राण हथेली पर लेना (मृत्यु के लिए तैयार रहना) भारतीय सैनिक शत्रुओं का सामना प्राण हथेली पर लेकर करते हैं।
- प्राणों की बाजी लगाना (बलिदान के लिए तत्पर रहना) झांसी की रानी ने आजादी लिए प्राणों की बाजी लगा दी।
‘बात’ सम्बन्धी मुहावरे
- बात बनना (कार्य सिद्ध होना) यदि आप नगरपालिका अध्यक्ष से मेरी सिफारिश कर दें तो मेरी बात बन जाएगी।
- बात बनाना (गम मारना) वास्तविक रूप से कार्य करने में आनन्द आता है बातें बनाने में नहीं।
- बात की बात (चर्चा या प्रसंग के कारण किसी बात का कहा जाना) बात की बात से ही अनेकों बातों की उत्पत्ति होती है।
- बात जमना (समझ में आना) मुझे पुत्री की शादी को वाराणसी से जमी लग रही है।
‘अंक’ सम्बन्धी मुहावरे
- एक और एक ग्यारह होना (संगठन से शक्ति बढ़ जाना) तुम्हें अपने ताऊ जी के साथ ही रहना चाहिए, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
- दो-दो हाथ करना (पुद्ध करना, लड़ना) पाकिस्तान से दो-दो हाथ किए बिना कश्मीर समस्या नहीं सकती।
- तीन तेरह होना (बिखर जाना) श्यामू का कितना बड़ा परिवार था पर अब तो तीन तेरह हो गया।
- चार चाँद लगना (सुन्दरता बढ़ना) नए भवन में फर्नीचर को शोभा से चार चाँद लग गए है।
- पाँचों उँगलियाँ घी में होना (लाभ-ही-लाभ होना) चिन्ता मत करो, मेरे पतिदेव पुलिस महानिदेशक हो गए है; अब तो हमारी पाँचो उँगलियों घी मे है।
- छठी का दूध याद आना (अत्यधिक कठिन या कष्टप्रद होना) अंग्रेजी का प्रश्न पत्र देखते हो मुझे छठी का दूध याद आ गया।
- आठ-आठ आँसू रोना (पछतावे में रोना) मेरा मित्र जब से माता-पिता से अलग हुआ तो वह आठ आठ आँसू रोता रहता है।
- नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना) दिल्ली को देखक हो गए।
कुछ विभिन्न मुहावरे
- आस्तीन का साँप (विश्वासघाती मित्र) रमेश पक्का आस्तीन का साँप है, उससे सतर्क रहना।
- काठ का उल्लू (मूर्ख) सिर्फ काठ के उल्लू रह जाओगे, यदि आज के युग में कम्प्यूटर और अंग्रेजी नहीं सीखोगे।
- चूड़ियाँ पहनना (कायरता दिखाना) देश की रक्षा न कर पाने से तो अच्छा कि भ्रष्ट नेता चूड़ियाँ पहनकर घर बैठे।
- पेट में दाड़ी होना (कम उम्र में अधिक जानना) दिव्यांशु को कम मत समझो, इसके पेट में दाड़ी है।
- पौ बारह होना (अत्यधिक लाभ होना) सोने के व्यापार में उमा के पौ बारह हो गए है।
- लुटिया डुबोना (काम बिगाड़ना) शेयर बाजार ने इस बार बड़े-बड़ों को लुटिया डुबो दी।
- सिर ऊंचा करके चलना (स्वाभिमान से जीना) जे. के. रस्तोगी अपने दोनो पुत्री के आई. ए. एस. बनने पर स्वाभिमान से जी रहे हैं।
- हिरन हो जाना (दूर भाग जाना) अब हिरन हो जाओ, नहीं तो पिट जाओगे।
- सफेद झूठ (बिल्कुल झूठ) उसके पी. सी. एस. में चयन होने का समाचार सफेद झूठ है |
- दूध की मक्खी होना (किसी को तुच्छ समझकर अलग कर देना) सोनू सेठ अपने नौकर टोनू को घर से दूध की मक्खी की तरह निकाल दिया।
- बगुला भगत होना (निरा पाखण्डी) आजकल अनेक लोग पीले वस्त्र धारण कर बगुला भगत बन बैठे हैं।
- पापड़ बेलना (कष्ट झेलना) हरि को अपने पुत्र की नौकरी के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े।
- पत्थर की लकीर (अमिट बात) महापुरुषों के कथन पत्थर की लकीर होते हैं।
- तलवे चाटना (खुशामद करना) कामचोर रमेश अपने अधिकारों के सदैव तलवे चाटता रहता है।
- झाँसे में आना (धोखे में आ जाना) पहले मैं उसको वास्तविकता नहीं जानता था, पर अब झांसे में नहीं आऊंगा।
- खेत रहना (मारा जाना) धन्नाराम बड़ी डाँग मार रहा था, पर एक लाठी पड़ी ही खेत रह गया।
- कलम घिसना (बेकार की मेहनत) आजकल के बच्चों का पढ़ना-लिखना हो क्या रहा? कलम पिसना चल रहा है।
लोकोक्ति
लोकोक्तियाँ लोगों के अनुभव पर आधारित वे कथन है, जिनका प्रयोग परिस्थिति को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। इसमें व्यंजना शक्ति को प्रधानता होती है, जैसे मुँह में राम बगल में छुरो, काला अक्षर भैसक आदि। इनके क्रमशः अर्थ है-कपटी व्यक्ति और बिना पढ़ा-लिखा व्यक्ति |
भाषा में लोकोक्तियों का प्रयोग करने से भाषा प्रभावशाली एवं आकर्षक बन जाती है।
लोकोत्तियां प्रायः किसी घटना या प्रसंग पर आधारित होती है। लोकोक्तियाँजीको है। इनका प्रयोग बोलचाल की अधिक होने के कारण इन्हें भी है।
लोकोत्तियाँ वभिन्न विषयों से सम्बन्धित होती है। विद्वानों ने लोकोत्तियों को कृषि सम्बन्धी समयक कर उनका विस्तृत अध्ययन किया है।
प्रमुख लोकोक्तियाँ एवं उनके अर्थ
यहाँ कुछ लोकप्रिय लोकोक्तियाँ दी गई है-
- एक पन्य दो काज- एक हो उपाय से दो कार्य करना।
- एक थाली के चट्टे-बट्टे- सबका एक-सा होना।
- एक और एक ग्यारह होते हैं- एकता में शक्ति होती है।
- एक चुप्पी सौ को हराए- चुप रहने वाला अच्छा होता है।
- एक तन्दुरुस्ती हजार नियामत- स्वास्थ्य का अच्छा रहना सभी सम्पत्तियों में श्रेष्ठ होता है।
- एक म्यान में दो तलवारे नहीं समा सकती- एक स्थान पर दो विचारधाराएँ नहीं रह सकती।
- कूपमण्डूक होना- संकीर्ण विचारों का व्यक्ति |
- कागा चला हंस की चाल- अयोग्य व्यक्ति का योग्य बनने का प्रयत्न करना।
- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा-भानुमती ने कुनबा जोड़ा- आवश्यक और अनावश्यक वस्तुओं का एक साथ संग्रह करना।
- कंगालों में आटा गीला- विपत्ति पर विपत्ति आना।
- कभी भी चना, कभी मुट्ठी पर बना, कभी वह भी मना- जो कुछ मिले उसी से सन्तुष्ट रहना चाहिए।
- कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर- समय पड़ने पर एक-दूसरे की मदद पर करना।
- का बरखा जब कृषि सुखाने- काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ होती है।
- अन्धेर नगरी चौपट राजा- मूर्ख राजा के राज्य में अन्याय का बोलबाला होना।
- होनहार विरवान के होत चीकने पात- महानता के लक्षण प्रारम्भ में हो प्रकट हो जाते हैं।
- शौकोन बुड़िया चटाई का लहंगा- विचित्र शौख।
- मुख में राम बगल में छुरी- कपटपूर्ण व्यवहार |
- मेडकी को जुकाम- अपनी औकात से ज्यादा नखरे |
- पुचकारा कुत्ता सिर चढ़े- ओछे लोग मुंह लगाने पर अनुचित लाभ उठाते हैं।
- प्यादे ते फरजी भयो हो जाए- व्यक्ति पद पाने पर इतराने लगता है।
- बीरबल की खिचड़ी- अत्यधिक विलम्ब से कार्य होना।
- नाच न आए आँगन टेढ़ा- गुण अथवा योग्यता न होने पर बहाने बनाना।
- जैसा देश वैसा भेष- परिस्थिति के अनुसार स्वयं को बदलना।
- सकी उसकी भैंस- किसी भी वस्तु आदि पर शक्तिशाली का ही अधिकार होना।
- खरी मजूरी चोखा काम- उचित मजदूरी देने से काम भी अच्छा होता है।
- गुड़ न दें. गुड़ की बात तो करे- चाहे कुछ न दे, परन्तु वचन तो मीठे बोले।
- घर की मुर्गी दाल बराबर- घर की वस्तु का महत्व नहीं समझा जाता |
- घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या?- मजदूरी मांगने में संकोच करना व्यर्थ है।
- गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज- दिखावटी परहेज |
- चमड़ जाए पर दमड़ो न जाए- कंजूस होना |
- चिकने मुँह को सभी चूमते है- धनवान की सभी चापलूसी करते है |
- चूहे का जाया बिल ही खोदता है- बच्चे में पत्रिक्गुन ही आते हैं |
- चलती का नाम गाड़ी- जिसका नाम चल जाए, वही योग्य है।
- घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने- झूठी शान दिखाना।
- कोयले की दलाली में हाथ काले- कुसंगति से कलक ही लगता है।
- कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली- दो असमान वस्तुओं की तुलना करना।
- कहने से धोबी गधे पर नहीं बैठता- हाथी मनुष्य दूसरे के कहने से काम नहीं करता है।
- मेरी बिल्ली मुझी को म्याऊँ- आश्रयदाता को आँखें दिखाना।
- भई मति साँप छयूदर केरी- असमंजस की स्थिति में रहना।
- दूध का दूध पानी का पानी- सही न्याय करना।
- दाल भात में मूसलचन्द- व्यर्थ में दखल देना।
- नीम हकीम खत्तराए जान- अल्पज्ञान खतरनाक होता है।
- बद अच्छा बदनाम बुरा- बुरे कमों की अपेक्षा कलंकित होना अधिक बुरा है।
- इस हाथ दे उस हाथ ले- कर्म का फल शीघ्र मिलता है।
- थोथा चना बाजे घना- ओछा आदमी अपने महत्त्व का अधिक प्रदर्शन करता है।
- चिराग तले अंधेरा- अपना दोष स्वयं दिखाई नहीं देता।
- नाम बड़े दर्शन छोटे- प्रसिद्धि के अनुरूप गुण न होना।
- नेकी और पूछ-पूछ– बिना कहे ही भलाई करना |
- आया है तो जाएगा- राजा रंक फकीर सबको मृत्यु सुनिश्चित है।
- कानी के ब्याह में सौ जोखीम- कमी होने पर अनेक बाधाएँ आती है।
- चित भी मेरी पट्ट भी मेरी- शक्तिशाली अपना लाभ हर तरफ से चाहता है।
- डेढ़ पाव आटा पुल पै रसोई- थोड़ी सम्पत्ति पर भारी दिखावा |
- जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ- दुष्टी की प्रवृत्ति एक जैसी होना।
- तन पर नहीं लत्ता, पान खाप अलवता- झूठी रईसी दिखाना।
- तीन लोक से मथुरा न्यारी- सबसे अलग रहना।
- चट मंगनी पट ब्याह- शुभ कार्य तुरन्त सम्पन्न कर देना चाहिए।
- ओछे की प्रीत बालू की भीत- ओछे व्यक्ति से मित्रता निभती नहीं है।
- छछूंदर के सिर में चमेली का तेल- कुरूप के लिए सौन्दर्य प्रसाधन |
- तिरिया तेल हमोर हठ चढ़े न दूजी बार- प्रतिज्ञ लोग अपनी बात पर डटे रहते है।
- पाँव मारिए जेती लम्बी सौर- सामर्थ्य के भीतर कार्य करना।
- उठी पैठ आठवें दिन लगती है- अगसर रोज-रोज नहीं आता है।
- अन्या क्या चाहे दो आँखें उपयोगी- वस्तुओं का मिल जाना |
- ऊँट के मुंह में जीरा- आवश्यकता से कम प्राप्त होना।
- एक पूड़े बैल को कौन बाँध भुस देय- अकर्मण्य को कोई नहीं रखता है।
- काला अक्षर भैस बराबर- निरक्षर या अनपढ़ |
- काम का न काज का दुश्मन अनाज का- निकम्मा व्यक्ति |
- काठ की हंडिया बार-बार नहीं चढ़ती- कपटी व्यवहार हमेशा नहीं जा सकता |
- खिसियानी बिल्ली खम्म नोचे- व्यर्थ झुंझलाना |
- उल्टे बाँस बरेली को- विपरीत कार्य करना।
- ऊंट को चोरी निहुरे निहुरे- बड़ा काम लुक छिपकर नहीं होता है।
- खग जाने खग की ही भाषा- समान प्रकृति वाले लोग एक-दूसरे को समझ पाते हैं।
- अंगूर खट्टे है- वस्तु न मिलने पर उसमे दोष निकालना।
- बाँझ क्या जाने प्रसव की पीर- भुक्तभोगी ही दुःख का अनुमान सकता है।
- हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और- करनी और कथनी में अन्तर होना।
- विधि का लिखा को मेटन हारा- भाग्य में लिखा होकर रहता है।
- मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त- जिसका काम वही ढीला।
- मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक- सीमित पहुँच होना।
- पढ़े फारसी बेचे तेल- यह देखो किस्मत का खेल-अधिक योग्य कम योग्यता का काम करना।
- नौ नकद न तेरह उधार- वर्तमान पर ध्यान देना ही उचित है।
- अधजल गगरी छलकत जाए- अल्पज्ञ अहंकारी होता है।
- आई मौज फकीर को दिया झोपड़ा फूंक- विरागी धन दौलत की चिन्ता नहीं करता है।
- अन्धा बाँटे रेवड़ी, अपने-अपने को देय- पक्षपात करना।
- अन्धी पीसे कुत्ता खाय- देखभाल न करने से फल दूसरे ले जातें हैं |
- आँख का अन्धा नाम नैनसुख- नाम के विपरीत गुण।
- दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम- दो कार्यों में भटकना अच्छा नहीं।
- न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी- काम न करने के उद्देश्य से बहाने बनाना।
- भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराय- अपात्र से बात न करो।
- राम-राम जपना पराया माल अपना- धोखा देकर माल हड़पना।
- गोदी में छोरा गाँव में ढिंढोरा- पास की वस्तु को न देख पाना।
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मुहावरे क्या होते हैं ?
लोकोक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिये |
मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त लोकोक्ति का क्या अर्थ है ?
हिरन हो जाना मुहावरे का क्या अर्थ है ?
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