भारतीय जनांकिकी संरचना या जनसंख्या वृद्धि | भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण | भारत में जनसंख्या नियन्त्रण हेतु सुझाव
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भारतीय जनांकिकी संरचना या जनसंख्या वृद्धि क्या है? भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण बताइये तथा जनसंख्या नियन्त्रण हेतु सुझाव दीजिए।

भारतीय जनांकिकी संरचना या जनसंख्या वृद्धि

विश्व में भारतवर्ष की जनसंख्या चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2011 के जनगणना आयुक्त सी. चन्द्रमौली के अनुसार भारतवर्ष की जनसंख्या 1.21 अरब है, जिसमें 62.31 करोड़ पुरुष व 58.74 करोड़ महिलाएँ हैं। अनुमान है कि वर्ष 2014 तक जनसंख्या बढ़कर 1.25 अरब हो चुकी है, जबकि चीन की जनसंख्या 1 अरब 28 करोड़ है। 18वीं शताब्दी तक भारत की जनसंख्या लगभग 12 करोड़ मूल्यांकित की गई थी। लेकिन 1901 में भारत की जनसंख्या 23.8 करोड़ थी, जो वर्ष 1971 में बढ़कर 54.8 करोड़ हुई जबकि 40 वर्ष के बाद 2011 तक जनसंख्या में 67 करोड़ लोग और बढ़ गए, फलतः जनसंख्या 1.21 अरब हो गई है। वर्तमान समय में जनगणना का कार्य केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन C.S.O. द्वारा किया जा रहा है। इस प्रकार देश भर में प्रति सेकेण्ड में 1 बच्चा जन्म लेता है जिससे प्रतिवर्ष लगभग 1.5 करोड़ नये बच्चे जनसंख्या से जुड़ जाते हैं। वर्ष 2001 में देश की जनसंख्या वृद्धि दर 1.95% वार्षिक थी, जबकि चीन की 0.95%, रुस की 1% तथा फ्रांस की 0.5%, थी। भारतवर्ष की 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 2001 से 2011 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर पुरुषों की 17.1%, महिलाओं की 18.3% जबकि ग्रामीण 12.3%, है। (Economic Survey C.S.O.)

भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण

भारत में जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित है-

(1 ) ऊँची जन्म दर (Higher Birth Rate)- भारतवर्ष की जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण जन्म दर का ऊँचा होना है। देश में 1991 में जन्म दर 29.5 प्रति हजार थी, जो 2012 तक घटकर 21.6 प्रति हजार हो चुकी है, लेकिन प्रमुख देशों की तुलना में फिर भी ऊँची है। जबकि अमेरिका की जन्म दर 16 प्रति हजार, इंग्लैण्ड की 13 प्रति हजार व आस्ट्रेलिया में 16 प्रति हजार है। इस प्रकार भारतवर्ष की जन्म दर विश्व में सबसे ऊँची है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार विश्व की जनसंख्या में 1.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई, वही 1999-2001 के दौरान चीन में 1 प्रतिशत की कमी की, उसकी तुलना में भारत ने 1.93 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है।

( 2 ) विवाह की अनिवार्यता (Compulsory Marriage) – भारतवर्ष में जनसंख्या वृद्धि का सामाजिक कारण विवाह की अनिवार्यता है। इसी कारण देश में जन्म दर ऊँची है। चूंकि देश का प्रत्येक व्यक्ति जब विवाह बन्धन स्वीकार करता है, तो बच्चों का जन्म भी एक बाध्यता है। स्पष्ट है कि विवाह की अनुवार्यता जनसंख्या वृद्धि में योगदान देती है।

( 3 ) बाल-विवाह की प्रथा (Custom of Child Marriage ) – भारतीय समाज में प्रचीन काल से बाल-विवाह प्रथा प्रचलित रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी 10 से 15 वर्ष के बच्चों की शादियाँ होती हैं। जबकि 15 वर्ष से 20 वर्ष के मध्य 60 प्रतिशत विवाह हो रहे हैं। बाल विवाहों से दीर्घकालीन दाम्पत्य जीवन में प्रजनन काल बढ़ जाता है, जिससे जनसंख्या में वृद्धि होती है, जबकि विकसित देशों में देर से विवाह के कारण जन्म दर कम रहती है। प्रसन्नता का विषय है कि अब भारतवर्ष के शिक्षित समाज में देर से विवाह को बल दिया जा रहा है।

( 4 ) गर्म जलवायु (Hot Climate) – भारतवर्ष की जनसंख्या में तीव्र वृद्धि का एक कारण गर्म जलवायु भी है, जो कम उम्र में ही प्रजनन क्षमता उत्पन्न कर देती है। नम व उष्ण जलवायु के अन्तर्गत कम उम्र में लड़का-लड़की परिपक्व हो जाते हैं। इसलिए बाल अवस्था में ही विवाह एक अनिवार्यता है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव जनसंख्या वृद्धि पर पड़ता है, जबकि ठण्डी जलवायु (Cold Climate) में प्रजनन क्षमता देर से उत्पन्न होने के कारण जन्म-दर कम रहती है, जैसे-इंग्लैण्ड, अमेरिका व कनाडा आदि।

( 5 ) मृत्यु दर कमी (Fall in Mortality Rate) – भारत की मृत्यु दर में आश्चर्यजनक कमी हुई है, स्वतन्त्रता के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में विशेष सुधार हुआ, फलतः बच्चे व महिलायें चिकित्सा सेवाओं के फलस्वरूप दीर्घ जीवन प्राप्त कर रहे हैं। सन् 1981 में मृत्यु र 12.5 प्रतिशत थी जो 1991 में घटकर 9.8 प्रतिशत और वर्तमान 2012 तक घटकर 7.0 प्रतिशत प्रति हजार पहुँच चुकी है।

(6) अशिक्षा (Illiteracy) – भारतवर्ष में ऊँची जन्म दर का प्रमुख कारण अशिक्षा जिसके कारण परिवार-नियोजन जैसे कार्यक्रम असफल रहे हैं। जनगणना 2011 के अनुसार कुल साक्षर 73 प्रतिशत है और उत्तर प्रदेश में साक्षरता 69.72 प्रतिशत है, जबकि वर्ष 1951 में साक्षरता मात्र 18.33 प्रतिशत थी। वहीं विकसित राष्ट्र अमेरिका 90 प्रतिशत, इंग्लैण्ड 95 प्रतिशत है। देशवासियों में अन्धविश्वास, भाग्यवादिता एवं रूढ़िवादियों का बोलबाला है। अशिक्षा के कारण यौन-शिक्षा व प्रौढ़ शिक्षा बालिकाओं को नहीं दी जाती है। देश में अशिक्षा से ग्रामीण क्षेत्रों में “जिसकी लाठी उसकी भैंस’ की कहावत प्रचलित है। फलतः जन बल को महत्व देने वाली बातें भी जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करती हैं।

( 7 ) निर्धनता या निम्न जीवन स्तर (Poverty or Law Living Standard ) – भारत में 43 प्रतिशत जनसंख्या निर्धन है। तेन्दुलकर रिपोर्ट-योजना आयोग के अनुसार भारत में 37.2 प्रतिशत लोग गरीब हैं, जिसमें 37 प्रतिशत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं, रिपोर्ट में यह कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में 41.8 प्रतिशत लोग व शहर क्षेत्र में 25.7 प्रतिशत लोग गरीब है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार देश में 27 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापक कर रहे हैं (Business Standard July, 2013) के अनुसार 2012 में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 25.7 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में गरीबी का 13.7 प्रतिशत है। जिनके रहन के बाद सहन का स्तर निम्न है और जिसका सीधा सम्बन्ध जनसंख्या वृद्धि से है, क्योंकि गरीबी दूर करने के लिए ऊँची आय प्राप्ति के लिए निर्धन व्यक्ति अधिक बच्चों में विश्वास करते हैं, वे अपने बच्चों को शिक्षा आदि की सुविधा उपलब्ध नहीं कराना चाहते, बल्कि 10 वर्ष की आयु बच्चों को बाल श्रमिक बना धनार्जन कराने लगते हैं। इसके अलावा, ऐसे लोग परिवार नियोजन के उपायों का प्रयोग भी करते हैं। फलतः जन्म दर में तीव्र गति से वृद्धि होती है।

( 8 ) मनोरंजन के साधनों की कमी (Lack of Recreative Sources) – मानव समाज के लिए मनोरंजन एक आवश्यकता है, क्योंकि मनोरंजन के साधन जनसंख्या को नियंत्रित करते हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है। भारत के शहरी क्षेत्रों में अधिकतम मनोरंजन के साधन केन्द्रित हैं, मंहगे होने के कारण 60 प्रतिशत जनसंख्या तक सीमित है। जबकि स्वतन्त्रता के 50 वर्षों बाद भी ग्रामीणा क्षेत्र मनोरंजन के साधनों से शत-प्रतिशत दूर हैं। फलतः ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में मनोरंजन के साथ उपलब्धा न होने के दशा में महिलायें ही मनोरंजन का मुख्य साधन हैं।

भारत में जनसंख्या नियन्त्रण हेतु सुझाव

जनसंख्या के नियन्त्रण हेतु प्रस्तुत सुझाव निम्नलिखित हैं-

1. शिक्षा का विस्तार (Expansion of Education) – भारत में जनसंख्या नियंत्रण का एक मात्र उपाय शिक्षा का विस्तार है, क्योंकि अशिक्षा ही जन्म दर के नियंत्रण में बाधक है। इसीलिए सरकार का प्रथम उद्देश्य शिक्षा का विस्तार होना चाहिए, क्योंकि शिक्षित समाज में जन्म दर कम रह जाती है। इसके लिए सरकार को इंटर तक अनिवार्य शिक्षा घोषित करनी चाहिए तथा अशिक्षितों प्रौढ़ों को प्रौढ़ एवं सतत् शिक्षा के द्वारा साक्षर किया जाना चाहिए।

2. यौन शिक्षा का महत्व (Importance to Sex Education)-भारतवर्ष में जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण यौन-शिक्षा का अभाव व रहस्यमय बना रहना है। आज भी सामान्य भारतीय यौन-शिक्षा को घृणित शिक्षा समझता है। लेकिन यौन-शिक्षा के महत्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस शिक्षा से गुप्त रोगों व सन्तति वृद्धि से बचा जा सकता है। शिक्षा में उपयुक्त पाठ्यक्रम से यौन-शिक्षा देकर जनसंख्या नियंत्रित की जा सकती है।

भारतवर्ष में शिक्षणा संस्थान (तकनीकी एवं गैर तकनीकी)
शैक्षिक संस्था संख्या
विश्वविद्यालय 642
महाविद्यालय 34908
इण्टरमीडिएट कालेज 72046
हायर सेकेण्ड्री स्कूल 131215
प्राइमरी स्कूल 748547
तकनीकी शिक्षण संस्थान 3586
नर्सिंग संस्थान 2133
टीचर ट्रेनिंग संस्थान 4924

( 3 ) परिवार कल्याण में प्रोत्साहन (Incentives to Family Planning Programmers ) – परिवार कल्याण कार्यक्रम जनसंख्या नियंत्रण का एक नैसर्गिक उपाय है प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं-

(अ) परिवार नियोजन कार्यक्रम को जनप्रिय बनाया जाय। देश में दूरदर्शन, रेडियों, समाचार-पत्र व विज्ञापनों से परिवार कल्याण का प्रचार होना चाहिए।

(ब) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में परिवार कल्याण केन्द्र स्थापित हों जो समाज में परिवार नियंत्रण हेतु गाँवों के लोगों को ही रोजगार देकर कार्यक्रम के प्रति जनता का विश्वास उत्पन्न करें।

(स) जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए गाँवों में गर्भपात, बन्ध्याकरण यौन नसबन्दी या लूप सुविधाएँ चल चिकित्सालयों के माध्यम से उपलब्ध होनी चाहिए। (द) गर्भ निरोधक कार्यों के लिए निरोध, निरोधक गोलियां व अन्य सुविधाएँ निःशुल्क उपलब्ध होनी चाहिए ताकि देशवासी अनचाही सन्तान के जन्म को रोक सके।

( 4 ) विवाह नियमों का कठोरता से पालन (Matriomonial Laws to be obeyed Rigidly)- जनसंख्या नियंत्रण के लिए वैवाहिक नियमों से जनमत को जागरुक करने की एवं कठोरता से पालन कराने की आवश्यकता है। देश में लड़के व लड़कियों की वैवाहिक आयु क्रमशः 21 : 18 वर्ष है। इससे कम आयु के बच्चों का विवाह करने वाले माता-पिता को कानून द्वारा दण्डित किया जाना चाहिए। इसके अलावा जो लोग देर से विवाह (Late Marriage) करें उन्हें उचित परितोष भी देना चाहिए।

( 5 ) मनोरंजन सुविधाओं का विस्तार (Expansion of Entertainment Facilities) – देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मनोरंजन के साधनों का अभाव है यदि ग्राम सभाओं से टेलीविजन, रेडियो तथा समाचार-पत्र आदि को उपलब्ध कराया जाये तथा नुमायश, मेलाहाट व नौटंकी जैसी ललित-कलायें प्रचलित हो सकें तो मनोरंजन की दृष्टि से यह उत्तम कार्य होगा। शहरी क्षेत्रों में मनोरंजन के साधन सिनेमा हाल, पार्क व झील आदि पर्याप्त हैं, किन्तु मनोरंजन कर को कम करने की आवश्यकता है ताकि शहरी क्षेत्रों के गरीब परिवार भी मनोरंजन कर सकें। इस प्रकार मनोरंजन के विस्तार से जन्म दर स्वतः नियंत्रित होगी।

( 6 ) सामाजिक सुरक्षा पर बल (Force upon Social Securities) – भारत में जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण सामाजिक सुरक्षा का अभाव है। देश में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार व संयुक्त क्षेत्र के उद्योग व सेवाओं को छोड़कर शेष सभी क्षेत्रों के लगभग 83 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या है। सामाजिक सुरक्षा के रूप में पेंशन, फण्ड तथा बीमा आदि के लाभों से वंचित है। भारतीय समाज में लड़का ही वृद्धावस्था का सहारा है, इस धारणा के कारण जन्म दर ऊँची है। अतः देश के सभी नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा की सुविधाएँ होने पर सन्तान पर निर्भरता कम हो जायेगी।

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