ड्राफ्टिंग का अर्थ एंव इसके विभिन्न उपकरण | Meaning of drafting and its various tools in Hindi
ड्राफ्टिंग के लिये आवश्यक वस्तुयें कौन-कौन सी है?
वस्त्रों की सिलाई करने से पहले, उसका खाका बना लेना चाहिये। इस खाके को ही ड्राफ्ट और खाका बनाने की प्रक्रिया को ड्राफ्टिंग कहते है। ड्राफ्ट बनाना एक कला है। ड्राफ्ट बनाने में वस्त्र की नाप को ड्राफ्ट बनाये जाने वाले कागज के आकार के अनुसार छोटा करना पड़ता है। इसके लिए सेमी. में एक विशिष्ट पैमाना मानकर ड्राफ्ट तैयार करना चाहिए। तुरपन आदि को भी ड्राफ्ट बनाते समय ध्यान में रखना चाहिए।
ड्राफ्टिंग उपकरण
(1) कटिंग टेबल – कपड़े की कटाई के विभिन्न व्यवहार किया जाने वाला टेबल ‘कटिंग टेबल’ कहलाता है। रेखांकन के निमित्त भी टेबल का होना आवश्यक है। रेखांकन कार्य दीर्घ अभ्यास पर आधारित होता है। घरेलू स्तर पर एक ही टेबल से दोनों कार्य किए जा सकते हैं। रेखांकन टेबल तथा कटिंग टेबल की बनावट विशेष प्रकार की होती है। इसकी सतह चिकनी, बिना जोड़ वाली होनी चाहिए, जिससे सीधी रेखाएँ खींचने में व्यवधान नहीं होने पाए। इनकी लम्बाई कम से कम पाँच फीट होती हैं, जो पेंट, हाउस कोट, नाइटी जैसे लम्बे कपड़ों की रेखांकन के लिए उचित हो । रेखांकन टेबल की चौड़ाई ढाई से तीन फीट रहती है। रेखांकन टेबल की ऊँचाई साधारण टेबल से अधिक होती है, जिससे रेखांकन या कटाई करते समय झुकना नहीं पड़े। कटिंग या रेखांकन टेबल के नीचे दराज होने चाहिए। इनमें सिलाई में प्रयुक्त होने वाले आवश्यक सामान रखे जा सकते हैं।
(2) रेखक- सिलाई-क्रिया के अन्तर्गत रेखांकन के निमित्त व्यवहार किया जाने वाला रेखक एक फुट का होता है। इस पर बारह इंच के सूचक-चित्र अंकित रहते हैं। प्रत्येक इंच आठ विभागों में विभक्त रहता है। ये विभक्तियाँ मापक फीते के समकक्ष होती हैं। रेखक लकड़ी, धातु या प्लास्टिक के बने होते हैं। रेखांकन करते समय इनकी सहायता से रेखाएँ खींची जाती हैं।
(3) टेलर्स स्क्वायर या ‘एल’ स्क्वायर – रेखांकन में टेलर्स स्क्वायर या ‘एल’ स्क्वायर का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। यह अंग्रेजी के ‘L’ अक्षर के आकार का होता है, ‘इसलिए इसे ‘L’ स्क्वायर भी कहते हैं। इसका एक हिस्सा 12″ का तथा दूसरा हिस्सा 20″ या 24″ का होता है। समकोण खींचने में टेलर्स स्क्वायर का उपयोग किया जाता है। इसके मध्य में गोलाकार आकृति खींचने के निमित्त विशेष आकार बना हुआ रहता है। टेलर्स स्क्वायर पर इंच के निशान भी बने रहते हैं। पैंट, पायजामा, कोट आदि बड़े वस्त्र काटने में टेलर्स स्क्वायर का विशेष रूप से व्यवहार किया जाता है।
( 4 ) टेलरिंग कार्य – सुन्दर कटाई के निमित्त आकृतियों का सुन्दर रेखांकन आवश्यक है। इसके लिए सही सूचक रेखाएँ आवश्यक हैं। सुन्दर आकृतियाँ खींचने के लिए गृहिणी का चित्रकारी जानना आवश्यक नहीं। टेलरिंग कर्व द्वारा रेखांकन अत्यन्त सहज हो जाता है। इसे फ्रेंच कर्व भी कहते हैं।
(5) टेलर्स चॉक – कपड़े पर चिन्ह लगाने के निमित्त विशेष प्रकार के चॉक मिलते हैं। इन्हें टेलर्स चॉक के नाम से जाना जाता है। ये साबुन की बट्टी की तरह मुलायम होते हैं तथा बाजारों में कई रंगों में उपलब्ध हैं। किसी भी रंग के कपड़े पर रेखांकन चिन्ह देने के लिए विपरीत रंग के चॉक का उपयोग किया जाता है जिससे चिन्ह स्पष्ट दिखाई दें। मुलायम होने के कारण ये कपड़े पर आसानी से चलते हैं। इन्हें आसानी से मिटाया भी जा सकता है।
(6) पिनें तथा पिन कुशन- कपड़े पर कागज से नमूना उतारते समय पिनें काम आती हैं। सिलाई करते समय भी कपड़ों की तहों को इनकी सहायता से एक साथ रखा जाता है। विशेषकर कृत्रिम तथा रेशमी कपड़ों के निमित्त पिनों का उपयोग किया जाता है क्योंकि ये कपड़े अधिक ट्रायल के समय अतिरिक्त कपड़े को दबाने के लिए पिनों की आवश्यकता होती है। पिनें 1-1/4″ से 1-1/8″ तक की रखनी चाहिए। कपड़े पर लगाने वाली पिनें स्टेनलेस स्टील की होती हैं तथा इनकी नोक अत्यन्त पतली होती है। पतली नोक के कारण कपड़े पर छेद नहीं होता । पिनों को रखने के निमित्त पिन कुशन का उपयोग किया जाता है।
(7) कार्बन पेपर – नमूनों को उतारने के लिए कार्बन पेपर की आवश्यकता होती है। ये दो प्रकार के होते हैं। टाइपिंग वाले कार्बन पेपर का उपयोग नमूना उतारने के निमित्त नहीं किया जाता है। इसके लिए पेंसिल कार्बन का व्यवहार किया जाता है।
(8) मार्किंग ह्वील या ट्रेसिंग ह्वील – यह एक प्रकार का काँटेदार चक्र हो है। कपड़े पर नमूने उतारने तथा सिलाई के चिन्ह लगाने के निमित्त इसका उपयोग किया जाता है। ये निशान पतले कागज पर ऑफ पेपर पर दे दिये जाते हैं। निशान वाले कागज को कपड़े पर रखकर, रेखाओं ऊपर मार्किंग ह्वील या ट्रेसिंग ह्वील चला देने से निशान कपड़े पर आ जाते हैं। कढ़ाई के नमूने उतारने के निमित्त भी इनका उपयोग किया जाता है।
( 9 ) भूरा कागज- सिलाई के नमूने पहले बड़े भूरे कागज पर रेखांकित किए जाते हैं। नमूनों को बनाने के निमित्त बड़े भूरे कागजों का उपयोग किया जाता है। ये कागज साधारण कागज की अपेक्षा मोटे होते हैं और शीघ्र फटते नहीं।
(10) कागज पर बने नमूने- बाजार में कपड़े काटने के निमित्त कागज पर बने हुए नमूने बिकते हैं। इन नमूनों के साथ परिधान का तैयार रूप भी दिया रहता है। नमूने की नाप में अपनी आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है। इस प्रकार के कागज नमूनों की सहायता में सही फिटिंग के वस्त्र बन जाते हैं। नमूने बनाने के निमित्त मोटे तथा मजबूत कागज का उपयोग किया जाता है, जिससे उनका उपयोग बार-बार किया जा सके।
( 11 ) टेल्स स्केल – यह लड़की, प्लास्टिक या धातु का बना होता है। इस पर सेंटीमीटर तथा इंच सूचक अंक होते हैं। इसकी लम्बाई साठ सेंटीमीटर या चौबीस इंच होती है। इसकी आकृति एक ओर सपाट तथा दूसरी ओर घुमावदार होती है। कॉलर को आकार देने के निमित्त इसका उपयोग किया जाता है। कपड़े पर बड़ी रेखाएँ टेलर्स स्केल की सहायता से खींची जाती हैं।
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