आर्थिक नियोजन की परिभाषा एंव विशेषताएँ
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आर्थिक नियोजन की परिभाषा एंव विशेषताएँ

आर्थिक नियोजन से क्या तात्पर्य है? आर्थिक नियोजन की विशेषताएं बताइये। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रवार उपलब्धियों की वृद्धि दर (%) में दर्शाइये।

आर्थिक नियोजन से आशय आर्थिक नियोजन से अभिप्राय है ‘राज्य के अभिकरणों द्वारा देश की आर्थिक सम्पदा और सेवाओं की एक निश्चित अवधि हेतु आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाना’। यह अपने आप में सामाजिक नियोजन की अवधारणा को भी समाहित रखता है। वर्तमान में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा में आर्थिक नियोजन के पीछे समाज को विकसित करने का लक्ष्य रखा जाता है।

आर्थिक नियोजन की परिभाषा

1. गुन्नार मिर्डल – “आर्थिक नियोजन राष्ट्रीय सरकार की नीति से सम्बन्धित वह कार्यक्रम है जिससे बाजार शक्तियों के कार्यकलापों में राज्य हस्तक्षेप की प्रणाली को सामाजिक प्रक्रिया से ऊपर ले जाने हेतु लागू किया जाता है।”

2. राबिन्स- “आर्थिक नियोजन आज के युग की एक अचूक औषधि है। कल्याणकारी राज्य के आदर्श को प्राप्त करने के लिए आर्थिक नियोजन एक मात्र साधन है।”

3. एच. डी० डिकिन्सन- “आर्थिक नियोजन का अर्थ निर्धारित सत्ता द्वारा सम्पूर्ण आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था के लिए एक विस्तृत सर्वेक्षण के आधार पर जानबूझ कर आर्थिक निर्णय करना है।”

4. प्रो. एच.ई. हैरिस- “आर्थिक नियोजन मुख्यतः उपलब्ध साधनों के संगठन एवं उपयोग की ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा पूर्व निर्धारित सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति में अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकता है।”

5. योजना आयोग- “नियोजन साधनों के संगठन की एक विधि है जिसके माध्यम से साधनों का अधिकतम लाभप्रद उपयोग निश्चित सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है।” इस प्रकार आर्थिक नियोजन एक सुसंगठित एवं समन्वित प्रक्रिया है जो निश्चित समय में पूरा करने के लक्ष्य से केन्द्रीय सत्ता द्वारा नियन्त्रित होती है।

आर्थिक नियोजन की विशेषताएँ

1. उद्देश्यों एवं प्राथमिकताओं का निर्धारण (Fixation of Objects and Priorities) – आर्थिक नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसस राष्ट्र के आर्थिक विकास का कान दिशा प्रदान की जाये, जिससे देश की की विषम समस्याओं का निराकरण हो सके। इन दृष्टि से उद्देश्यों एवं प्राथमिकताओं का निर्धारण किया जाता है। अतः आर्थिक नियोजन की मुख्य विशेषता यह है कि कौन-कौन से उद्देश्य निश्चित किये जायें ताकि देश विकास से जुड़ सके।

2. निश्चित समय (Fixed Time)- आर्थिक नियोजन की दूसरी विशेषता यह है कि आर्थिक नियोजन का कार्यक्रम एक निश्चित अवधि के लिए बनाया जाता है। इस अवधि में कार्यक्रम के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कार्य संपन्न किया जाता है। प्रायः आर्थिक-नियोजन का कार्यक्रम “पंचवर्षीय योजनाओं” के माध्यम से पूरा किया जाता है। भारत में प्रत्येक योजना “पांच वर्ष” के लिए बनाई जा रही है।

3. प्राकृतिक साधनों का विदोहन (Utilization of Natural Resources) – आर्थिक-नियोजन के माध्यम से प्राकृतिक साधनों का योजनाबद्ध ढंग से पूर्ण विदोहन करते हैं। लेकिन समाजवादी व्यवस्था में जहाँ आर्थिक नियोजन अनिवार्य है, वहां प्राकृतिक साधनों का प्रयोग विवेक एवं क्षमता के अनुसार किया जाता है।

4. संगठित प्रणाली (Organized System) – आर्थिक-नियोजन समाजवादी व्यवस्था का स्वरूप है, जिसमें संगठित प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। अतः सार्वजनिक उपक्रमों का विकास होता है। जबकि पूँजीवादी व्यवस्था जिसमें निजी उपक्रमो की प्रधानता होती है, ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था भी उपलब्ध रहती है। अतः निजी क्षेत्र में रुचि रखने वाले उद्यमों हतोत्साहित नहीं होते हैं।

5. राज्यीय हस्तक्षेप (State Interference) – आर्थिक-नियोजन की एक विशेषता यह है कि इसमें राज्य का हस्तक्षेप रहता है, अतः निजी क्षेत्र के उद्योगों का संचालन पूर्णरूपेण स्वतन्त्र नहीं रहता है, क्योंकि सरकार (राज्य) के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होता है। यदि कोई उद्योग अथवा संस्था राज्य के निर्देशों का पालन नहीं करती है, तो सरकार ऐसी संस्थाओं या उद्योगों का अधिग्रहण भी करती है।

6. एकाधिकारी शक्तियों का अंकुश (Control on Monopolist Powers) – आर्थिक नियोजन द्वारा एकाधिकार शक्तियों पर नियंत्रण रखा जाता है, क्योंकि एकाधिकार शक्तियाँ बड़े उद्योग स्थापित करके जब बाजार को अपने नियंत्रण में ले लेती हैं, तो सरकार उनके मुकाबले में समान आकार के उद्योग स्थापित करके उनके एकाधिकारी अस्तित्व को समाप्त कर देती है। इसी प्रकार सरकार ऐसी शक्तियों के नियंत्रण हेतु कुछ नियम एवं कानून बनाती है।

7. सरकार का कार्यक्रम (Programme of the Government) – आर्थिक नियोजन सरकार की एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसमें सरकारी नीति का निर्माण होता है। अतः आर्थिक नियोजन की यह विशेषता है कि सरकारी नीति के आधार पर ही विकास कार्यक्रम अपनाया जाता है।

8. आर्थिक नियोजन से सामाजिक उत्थान (Social Uplift by Econon Planning)- आर्थिक नियोजन की प्रमुख विशेषता सामाजिक उत्थान है। अतः प्राथमिकता आधार पर कार्यक्रम निश्चित करने से अधिकतम सामाजिक लाभ होता है। इससे समाज शिक्षा, जीवन के स्तर एवं सुख सुविधाओं में वृद्धि होती है, क्योंकि समाज की आय में वृद्धि से गरीबी एवं बेकारी का ही उन्मूलन नहीं होता है बल्कि सामाजिक बुराइयों का भी अन्त होता है।

9. साधनों का विवेकपूर्ण उपयोग (Rationalise Use of Means) – आर्थिक नियोजन से साधनों का विवेकपूर्ण विदोहन होता है, क्योंकि राष्ट्र के सभी साधन जैसे भूमि, श्रम, पूँजी एवं प्रबन्ध आदि का प्रयोग आवश्यकतानुसार किया जाता है। इससे साधनों की उत्पादन क्षमता का उचित उपयोग होता है, न कि शोषण जबकि पूंजीवादी व्यवस्था में साधनों का शोषण किया जाता है।

10. दीर्घकालीन विकास प्रक्रिया (Long Term Development Process) – आर्थिक नियोजन की मुख्य विशेषता यह है कि आर्थिक विकास की प्रक्रिया सतत् संचालित रहती है। अतः एक योजना के पश्चात् दूसरी, तीसरी, चौथी योजना निरन्तर चलती है। इससे विकास का कार्य अपूर्ण नहीं रहता है। इस प्रकार आर्थिक नियोजन दीर्घकालीन सतत् विकास प्रक्रिया है, जिसे सरकार योजना आयोग निरन्तर घोषित करती है।

साधनों का विवेकपूर्ण विदोहन होता है, क्योंकि राष्ट्र के सभी साधन जैसे भूमि, श्रम, पूँजी एवं प्रबन्ध आदि का प्रयोग आवश्यकतानुसार किया जाता है। इससे साधनों की उत्पादन क्षमता का उचित उपयोग होता है, न कि शोषण जबकि पूंजीवादी व्यवस्था में साधनों का शोषण किया जाता है।

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